जुलाही को आरोग्य करना: Difference between revisions
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उधर इनके वचनों से जुलाही पागलों की तरह बुख्लाने लगी। गुरु अंगद देव जी ने दोनों को अपने पास बुलाया और पूछा प्रातःकाल क्या बात हुई थी, सच सच बताना। जुलाहे ने सारी बात सच सच गुरु जी के आगे रख दी कि अमरदास जी के वचन से ही मेरी पत्नी पागल हुई है। आप कृपा करके हमें क्षमा करें और इसे आरोग्य कर दें नहीं तो मेरा घर बर्बाद हो जायेगा। | उधर इनके वचनों से जुलाही पागलों की तरह बुख्लाने लगी। गुरु अंगद देव जी ने दोनों को अपने पास बुलाया और पूछा प्रातःकाल क्या बात हुई थी, सच सच बताना। जुलाहे ने सारी बात सच सच गुरु जी के आगे रख दी कि अमरदास जी के वचन से ही मेरी पत्नी पागल हुई है। आप कृपा करके हमें क्षमा करें और इसे आरोग्य कर दें नहीं तो मेरा घर बर्बाद हो जायेगा। | ||
गुरु जी ने अमरदास जी को बारह वरदान देकर अपने गले से लगा लिया और वचन किया कि आप मेरा ही रूप हो गये हो। इसके | गुरु जी ने अमरदास जी को बारह वरदान देकर अपने गले से लगा लिया और वचन किया कि आप मेरा ही रूप हो गये हो। इसके पश्चात् गुरु अंगद देव जी ने अपनी कृपा दृष्टि से जुलाही की तरफ देखा और उसे आरोग्य कर दिया। इस प्रकार वे दोनों गुरु जी की उपमा गाते हुए घर की ओर चल दिये।<ref>{{cite web |url=http://www.spiritualworld.co.in/ten-gurus-of-sikhism/2-shri-guru-angad-dev-ji/shri-guru-angad-dev-ji-saakhiya/181-julahi-ko-arogya-karna-shri-guru-angad-dev-ji-sakhi-story.html |title=जुलाही को आरोग्य करना |accessmonthday= 23 मार्च|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=आध्यात्मिक जगत् |language=हिंदी }}</ref> | ||
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[[चित्र:Guru-angad-dev.jpg|thumb|गुरु अंगद देव]] जुलाही को आरोग्य करना गुरु अंगद देव की साखियों में से पहली साखी है।
साखी
एक दिन अमरदास जी गुरु अंगद जी के स्नान के लिए पानी की गागर सिर पर उठाकर प्रातःकाल आ रहे थे कि रास्ते में एक जुलाहे कि खड्डी के खूंटे से आपको चोट लगी जिससे आप खड्डी में गिर गये। गिरने की आवाज़ सुनकर जुलाहे ने जुलाही से पुछा कि बाहर कौन है? जुलाही ने कहा इस समय और कौन हो सकता है, अमरू घरहीन ही होगा, जो रातदिन समधियों का पानी ढ़ोता फिरता है। जुलाही की यह बात सुनकर अमरदास जी ने कहा कमलीये! मैं घरहीन नहीं, मैं गुरु वाला हूँ। तू पागल है जो इस तरह कह रही हो।
उधर इनके वचनों से जुलाही पागलों की तरह बुख्लाने लगी। गुरु अंगद देव जी ने दोनों को अपने पास बुलाया और पूछा प्रातःकाल क्या बात हुई थी, सच सच बताना। जुलाहे ने सारी बात सच सच गुरु जी के आगे रख दी कि अमरदास जी के वचन से ही मेरी पत्नी पागल हुई है। आप कृपा करके हमें क्षमा करें और इसे आरोग्य कर दें नहीं तो मेरा घर बर्बाद हो जायेगा।
गुरु जी ने अमरदास जी को बारह वरदान देकर अपने गले से लगा लिया और वचन किया कि आप मेरा ही रूप हो गये हो। इसके पश्चात् गुरु अंगद देव जी ने अपनी कृपा दृष्टि से जुलाही की तरफ देखा और उसे आरोग्य कर दिया। इस प्रकार वे दोनों गुरु जी की उपमा गाते हुए घर की ओर चल दिये।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जुलाही को आरोग्य करना (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) आध्यात्मिक जगत्। अभिगमन तिथि: 23 मार्च, 2013।
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