पायरोमीटर: Difference between revisions

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'''पायरोमीटर''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Pyrometer) उत्तापमापी एक [[वैज्ञानिक उपकरण]] है। दूर स्थित वस्तुओं के [[ताप]] को ज्ञात करने हेतु इस [[यंत्र]] का प्रयोग किया जाता है। ये कई प्रकार के होते हैं:-
#प्रकाशिक उत्तापमापी,
#विकिरण उत्तापमापी,
#प्रतिरोध उत्तापमापी,
#ताप-विद्युत्‌-उत्तापमापी और अवरक्त उत्तापमापी।
यहाँ प्रकाशिक उत्तापमापी का वर्णन दिया जा रहा है।
प्रकाशिक उत्तापमापी में किसी मानक लैंप की तीव्रता को कम करके उत्तप्त पृष्ठ के प्रकाश की तीव्रता के बराबर कर ली जाती है। तीव्रता का समंजन करने के लिए लैंप के परिपथ में प्रतिरोध को बढ़ाया जाता है या कोई अवशोषक पदार्थ लैंप के सामने रखकर उसकी मोटाई का समंजन किया जाता है। [[आँख]] के सामने कोई रंगीन फिल्टर भी रख दिया जाता है ताकि किसी विशेष रंग के प्रकाश का ही उपयोग किया जा सके।


([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Pyrometer) पायरोमीटर एक [[वैज्ञानिक उपकरण]] है। दूर स्थित वस्तुओं के ताप को ज्ञात करने हेतु इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है
तीव्रताओं की तुलना किसी प्रकाशमापी विधि से की जा सकती है। प्राय: एक उत्तल लेंस द्वारा उत्तप्त पृष्ठ का वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त किया जाता और ठीक वहीं लैंप का फिलामेंट रखा जाता है। जब फिलामेंट अदृष्ट हो जाए तब दोनों की तीव्रताएँ बराबर होंगी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=81 |url=}}</ref>


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Latest revision as of 11:30, 1 July 2018

thumb|पायरोमीटर पायरोमीटर (अंग्रेज़ी:Pyrometer) उत्तापमापी एक वैज्ञानिक उपकरण है। दूर स्थित वस्तुओं के ताप को ज्ञात करने हेतु इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है। ये कई प्रकार के होते हैं:-

  1. प्रकाशिक उत्तापमापी,
  2. विकिरण उत्तापमापी,
  3. प्रतिरोध उत्तापमापी,
  4. ताप-विद्युत्‌-उत्तापमापी और अवरक्त उत्तापमापी।

यहाँ प्रकाशिक उत्तापमापी का वर्णन दिया जा रहा है। प्रकाशिक उत्तापमापी में किसी मानक लैंप की तीव्रता को कम करके उत्तप्त पृष्ठ के प्रकाश की तीव्रता के बराबर कर ली जाती है। तीव्रता का समंजन करने के लिए लैंप के परिपथ में प्रतिरोध को बढ़ाया जाता है या कोई अवशोषक पदार्थ लैंप के सामने रखकर उसकी मोटाई का समंजन किया जाता है। आँख के सामने कोई रंगीन फिल्टर भी रख दिया जाता है ताकि किसी विशेष रंग के प्रकाश का ही उपयोग किया जा सके।

तीव्रताओं की तुलना किसी प्रकाशमापी विधि से की जा सकती है। प्राय: एक उत्तल लेंस द्वारा उत्तप्त पृष्ठ का वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त किया जाता और ठीक वहीं लैंप का फिलामेंट रखा जाता है। जब फिलामेंट अदृष्ट हो जाए तब दोनों की तीव्रताएँ बराबर होंगी।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 81 |

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