पक्षपात करो...! -विनोबा भावे: Difference between revisions
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कोई भी राष्ट्रीय योजना तब तक राष्ट्रीय कहलाने की हकदार नहीं हो सकती जब तक वह अपने देश के सभी लोगों को पूरा काम न दे सके। 'राष्ट्रीय योजना' अर्थात' नेशनल प्लानिंग' का यह बुनियादी उसूल होना चाहिये कि सबको काम देने की जिम्मेदारी हमारी है। 'सबको काम | कोई भी राष्ट्रीय योजना तब तक राष्ट्रीय कहलाने की हकदार नहीं हो सकती जब तक वह अपने देश के सभी लोगों को पूरा काम न दे सके। 'राष्ट्रीय योजना' अर्थात' नेशनल प्लानिंग' का यह बुनियादी उसूल होना चाहिये कि सबको काम देने की जिम्मेदारी हमारी है। 'सबको काम और सबको रोटी' यह सिद्धांत होना चाहिये। | ||
विनोबा जी के इन विचारों को सुनकर योजना आयोग के किसी सदस्य ने तत्कालिक टिप्पणी की कि:- | |||
'नेशनल प्लानिंग' का अर्थ यह नहीं है कि समूचे देश में मात्र यही प्लानिंग लागू होगी अपितु अन्य योजनाऐं भी साथ साथ लागू होंगी इसलिये इसे कह सकते हैं कि यह 'पार्शियल प्लानिंग' अर्थात् (आंशिक नियोजन) है। अब इसमें किसी न किसी वर्ग की कुछ अनदेखी तो होगी ही। | |||
योजना आयोग के सदस्य के इस तर्क को सुनकर | योजना आयोग के सदस्य के इस तर्क को सुनकर विनोबा जी ने विनोदपूर्वक कहा कि अगर यह 'पार्शियल प्लानिंग' है तो पार्शियलिटी अर्थात् पक्षपात आपको ग़रीबों के पक्ष में करनी चाहिये। अनदेखी हम स्वयं की करे दूसरो की नहीं। | ||
विनोबा जी के इस विनोदपूर्ण उत्तर को सुनकर योजना आयोग के सभी सदस्य अवाक् से रह गये परन्तु मुस्कुराये बगैर नहीं रह सके। | |||
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पक्षपात करो...! -विनोबा भावे
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विवरण | विनोबा भावे |
भाषा | हिंदी |
देश | भारत |
मूल शीर्षक | प्रेरक प्रसंग |
उप शीर्षक | विनोबा भावे के प्रेरक प्रसंग |
संकलनकर्ता | अशोक कुमार शुक्ला |
आचार्य विनोबा भावे ने एक बार योजना आयोग की बैठक में पक्षपात किये जाने का भी आह्वान किया था। नई दिल्ली में योजना आयोग की एक बैठक थी और विनोबा जी ने अपने विचार स्पष्ठता से रखे कि:-
कोई भी राष्ट्रीय योजना तब तक राष्ट्रीय कहलाने की हकदार नहीं हो सकती जब तक वह अपने देश के सभी लोगों को पूरा काम न दे सके। 'राष्ट्रीय योजना' अर्थात' नेशनल प्लानिंग' का यह बुनियादी उसूल होना चाहिये कि सबको काम देने की जिम्मेदारी हमारी है। 'सबको काम और सबको रोटी' यह सिद्धांत होना चाहिये।
विनोबा जी के इन विचारों को सुनकर योजना आयोग के किसी सदस्य ने तत्कालिक टिप्पणी की कि:-
'नेशनल प्लानिंग' का अर्थ यह नहीं है कि समूचे देश में मात्र यही प्लानिंग लागू होगी अपितु अन्य योजनाऐं भी साथ साथ लागू होंगी इसलिये इसे कह सकते हैं कि यह 'पार्शियल प्लानिंग' अर्थात् (आंशिक नियोजन) है। अब इसमें किसी न किसी वर्ग की कुछ अनदेखी तो होगी ही।
योजना आयोग के सदस्य के इस तर्क को सुनकर विनोबा जी ने विनोदपूर्वक कहा कि अगर यह 'पार्शियल प्लानिंग' है तो पार्शियलिटी अर्थात् पक्षपात आपको ग़रीबों के पक्ष में करनी चाहिये। अनदेखी हम स्वयं की करे दूसरो की नहीं।
विनोबा जी के इस विनोदपूर्ण उत्तर को सुनकर योजना आयोग के सभी सदस्य अवाक् से रह गये परन्तु मुस्कुराये बगैर नहीं रह सके।
- विनोबा भावे से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए विनोबा भावे के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख