जेहि रहीम मन आपनो -रहीम: Difference between revisions

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जिस किसी ने अपने मन को सुन्दर चकोर बना लिया, वह नित्य निरन्तर, रात और दिन, श्रीकृष्णरूपी चन्द्र की ओर टकटकी लगाकर देखता रहता है।<ref>सन्दर्भ-चन्द्र का उदय रात को होता है, पर यहाँ वासर अर्थात दिन भी आया है, अत: वासर का आशय है नित्य निरन्तर से।</ref>
जिस किसी ने अपने मन को सुन्दर चकोर बना लिया, वह नित्य निरन्तर, रात और दिन, श्रीकृष्णरूपी चन्द्र की ओर टकटकी लगाकर देखता रहता है।<ref>सन्दर्भ-चन्द्र का उदय रात को होता है, पर यहाँ वासर अर्थात् दिन भी आया है, अत: वासर का आशय है नित्य निरन्तर से।</ref>


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Latest revision as of 07:47, 7 November 2017

जेहि ‘रहीम’ मन आपनो कीन्हो चारु चकोर।
निसि-वासर लाग्यो रहे, कृष्ण चन्द्र की ओर॥

अर्थ

जिस किसी ने अपने मन को सुन्दर चकोर बना लिया, वह नित्य निरन्तर, रात और दिन, श्रीकृष्णरूपी चन्द्र की ओर टकटकी लगाकर देखता रहता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सन्दर्भ-चन्द्र का उदय रात को होता है, पर यहाँ वासर अर्थात् दिन भी आया है, अत: वासर का आशय है नित्य निरन्तर से।

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