रहिमन प्रीति सराहिये -रहीम: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:03, 4 February 2021
‘रहिमन’ प्रीति सराहिये, मिले होत रंग दून।
ज्यों जरदी हरदी तजै, तजै सफेदी चून॥
- अर्थ
सराहना ऐसे ही प्रेम की की जाय, जिसमें अन्तर न रह जाय। चूना और हल्दी मिलकर अपना-अपना रंग छोड़ देते है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ न द्रष्टारहता है और न दृश्य, दोनों एकाकार हो जाते हैं।
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