आंगिरस: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(नया पन्ना: {{Incomplete}} ==आंगिरस / Aangiras== मनुस्मृति में भी यह कथा है कि आंगिरस नामक ए…)
 
(अंगिरस को अनुप्रेषित (रिडायरेक्ट))
 
(18 intermediate revisions by 10 users not shown)
Line 1: Line 1:
 
#REDIRECT [[अंगिरस]]
{{Incomplete}}
==आंगिरस / Aangiras==
मनुस्मृति में भी यह कथा है कि आंगिरस नामक एक ऋषि को छोटी अवस्था में ही बहुत ज्ञान हो गया था; इसलिए उसके काका–मामा आदि बड़े बूढ़े नातीदार उसके पास अध्ययन करने लग गए थे। एक दिन पाठ पढ़ाते–पढ़ाते आंगिरस ने कहा '''पुत्रका इति होवाच ज्ञानेन परिगृह्य तान्।''' बस, यह सुनकर सब वृद्धजन क्रोध से लाल हो गए और कहने लगे कि यह लड़का मस्त हो गया है! उसको उचित दण्ड दिलाने के लिए उन लोगों ने देवताओं से शिकायत की। देवताओं ने दोनों ओर का कहना सुन लिया और यह निर्णय लिया कि 'आंगिरस ने जो कुछ तुम्हें कहा, वही न्याय है।' इसका कारण यह है किः–
<poem>
'''न तेन वृद्धो भवति येनास्य पलितं शिरः।'''
'''यो वै युवाप्यधीयानस्तं देवाः स्थविरं विदुः।।'''
</poem>
'सिर के बाल सफ़ेद हो जाने से ही कोई मनुष्य वृद्ध नहीं कहा जा सकता; देवगण उसी को वृद्ध कहते हैं जो तरूण होने पर भी ज्ञानवान हो'
 
 
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:ॠषि_मुनि]]
__INDEX__

Latest revision as of 07:23, 9 February 2014

Redirect to: