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| {एक राज्य जो अपने नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुविधाएं प्रदान करे, कहलाता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-12,प्रश्न-46
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| -समाजवादी राज्य
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| -पुलिस राज्य
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| +कल्याणकारी राज्य
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| -सर्वोदय
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| ||वह राज्य जो अपने नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुविधाएं प्रदान करता है, कल्याणकारी राज्य कहलाता है। डेविड मार्श अपनी पुस्तक 'द वेलफेयर स्टेट' में कल्याणकारी राज्य की विशेषता बताते हुए कहते है कि ऐसा राज्य अपने नागरिकों को रोजगार, न्यूनतम आय, शिक्षा का अधिकार तथा अशक्तता की स्थिति में संरक्षण का अधिकार और सामुदायिक आश्रय प्रदान करने का प्रयास करता है।
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| {"हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है।" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-54
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| -जार्ज बर्नार्ड शॉ
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| +मुनरो
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| -मोरीजन
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| -रैम्जे म्योर
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| ||मुनरो ने कहा था कि "हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है"।
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| {हेनरी डेविड थोरो का विश्वास था कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-86,प्रश्न-21
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| -राज्य की आज्ञा को सदैव मानना चाहिए
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| -राज्य के आदेश में संप्रभुता और नैतिकता का समावेश है
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| +अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है
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| -उपर्युक्त में से कोई नहीं
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| ||हेनरी डेविड थोरो का विश्वास था कि अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है। थोरो ने वर्ष [[1848]] में लिखे एक निबंध 'Civil Disobedience' (सविनय अवज्ञा) में यह तर्क दिया था कि जब अपनी ही सरकार अन्याय करने लगे तो जनता को उसका विरोध अवश्य करना चाहिए।
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| {यथार्थवादी विचार की शास्त्रीय पुस्तक मानी जाने वाली कृति, 'पालिटिक्स एमंग नेशन्स' के लेखक-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-64
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| +हेन्स मार्गेन्थाऊ हैं
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| -हेनरी किसिंजर हैं
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| -क्विन्से राइट हैं
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| -मार्टिन राइट हैं
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| ||राजनीतिक यथार्थवाद का मुख्य प्रवक्ता मॉरगेन्थाऊ है। अपनी पुस्तक 'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस' में मॉरगेन्ताऊ ने शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रनीति का केंद्र बिंदु माना है। उसकी दृष्टि में शक्ति राष्ट्रहित का ही प्रतिबिंब है। मॉरगेन्थाऊ ने यथार्थवाद को सैद्धांतिक आधार प्रदान किया है।
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| {हमारे देश में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रधान होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-51 | | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[मुख्यमंत्री]] | | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| -कैबिनेट मंत्री | | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| +[[राज्यपाल]]
| | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| -मुख्य सचिव | | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| ||संविधान के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। | | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
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| {भारत में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के कितने दिन पश्चात एवं उम्मीदवार को अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देने चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-155,प्रश्न-110 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -20 दिन | | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| +30 दिन | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| -40 दिन | | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| -50 दिन
| | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| ||लोक प्रतिनिधित्व अधीनियम, 1951 की धारा 77 के अनुसार, भारत में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के 30 दिन के अंदर उम्मीदवार को स्वयं अथवा अपने प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देना चाहिए। | | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
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| {"माजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-59
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| -सैलरस
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| -रसेल
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| -राबर्ट
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| +बर्नार्ड शॉ
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| ||समाजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।" यह कथन जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का है। जॉर्ज बनार्ड शॉ ब्रिटेन के फेवियन सोसाइटी के प्रमुख विचारक थे। ये समाजवादी (फेबियन) विचारक के साथ-साथ मसहूर लेखक भी थे। 'मैन एण्ड सुपरमैन, तथा पिग्मेलियन इनकी प्रमुख रचनाएं है। इन्हें 1925 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।
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| {"मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में नौकरशाही पनपती है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-75
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| |type="()"}
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| +रैम्ये म्योर का
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| -हरमन फाइनर का
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| -मैक्स वेबर का
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| -लास्की का
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| ||रैम्ये म्योर के अनुसार "हमारी शासन प्रणाली में नौकरशाही की शाक्ति बहुत ज्यादा है चाहे वह प्रशासन हो, विधायन हो या वित्त हो। वह मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में फ्रेंकेन्सटीन के दैत्य की भांति पनपी और विकसित हुई है और अब वह अपने पैदा करने वाले को ही खा जाना चाहती है"।
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| {"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-33 | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -तिलक | | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| -लेनिन | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| -भगत सिंह | | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| +माओत्से तुंग
| | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन मओत्से तुंग का है। माओत्से-तुंग को मार्क्सवादी को यूरोपीय से एशियाई रूप देने के लिए जाना जाता है। | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
| अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
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| .माओ ने 'लंबी छलांग' (1958-1960), 'सैकड़ों फूलों का अभियान' (1957) और 'महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांन्ति' (1966-1967) जैसे क्रांन्तिकारी प्रयोग किए।
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| .माओ की प्रमुख रचनाएं क्रमश: 'ऑन कंट्राडिक्शन', 'न्यू डेमीक्रेसी, 'ऑन कोलिजन गवर्नमेंट', 'पीपुल्स डेमोक्रेटिक डिक्टेटरशिप' हैं। | |
| .माओ द्वारा दिए गए सिद्धांतों में प्रमुख अंतर्विरोध का नियम, 'समाजवादी पुनर्निर्माण की प्रक्रिया', 'सांस्कृतिक क्रांति की अवधारणा', 'असंगति का सिद्धांत', 'शक्ति का सिद्धांत', 'लोक युद्ध का सिद्धांत,' 'सशस्त्र क्रांन्ति का सिद्धांत', 'जनवादी लोकतंत्र का सिद्धांत' आदि हैं। | |
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| {माओ ने चीन में मार्क्सवाद की स्थापना करने के लिए किस विचारक के विचारों को उखाड़ फेंका? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-45 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -लेनिन
| | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| +कन्फ्यूशियस | | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| -स्टालिन | | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| -खुश्चेय | | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| ||माओ ने चीन में मार्क्सवादी की स्थापना करने के लिए चीन के छठीं सदी ई. पू. के समाज सुधारक 'कन्फ्यूशियस' के चीनी समाज में व्याप्त विचारों व मान्यताओं को उखाड़ फेंका। माओ ने 'सांस्कृतिक क्रांति' के अपने आंदोलन के दौरान वर्ष 1973 में 'क्रिटिसाइज लिन बियाओ, क्रिटिसाइज कन्फ्यूशियम' (Critisize Lain Biao, Critisize Confucius) नामक आंदोलन चलाया जो वर्ष 1976 तक चला। इस आंदोलन में माओ ने चीनी इतिहास व संस्कृति की माओवादी व्याख्याएं की। | | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
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