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| {लाखों लोग [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] को देवता के रूप में पूजते हैं और अन्य लाखों लोग एक दुष्ट के रूप में घृणा करते हैं", यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-41 | | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +मैक्सी | | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| -सेबाइन | | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| -कार्ल पॉपर | | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| -ऑकशाट | | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| ||मार्क्स वैज्ञानिक समाजवाद का जन्मदाता है यद्यपि मार्क्स से पहले अनेक ब्रिटिश तथा फ्रेंच विचारक थे जिनके द्वारा समाजवादी विचार व्यक्त किए गए। इनमें फ्रांस के नॉयल बाबेफ, सेण्ड साइमन, चार्ल्सफोरियर, और इग्लैण्ड में जॉन, डी. सिसमेण्डी, बिलियम थॉम्पसन तथा रावर्ट आवेन प्रमुख थे। लेकिन [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने सामाजिक परिवर्तन करने वाली शक्तियों की व्याख्या कर उसे वैज्ञानिकता प्रदान की। मार्क्स के विचार इतने हुए मैक्सी ने लिखा है कि "निष्पक्ष रूप से उस व्यक्ति के बारे में कुछ भी कहना बहुत कठिन हो जाता है जिसे लाखों लोग ईश्वर की भांति पूजते हो और लाखों पिशाच मानकर घृणा करते हों।" | | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
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| {फ़ेबियन समाजवाद समर्थक नहीं था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-60,प्रश्न-52
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| +उग्र परिवर्तनों का
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| -म्यूनिसिपल सुधारों का
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| -अविलंब सामाजिक पुन: संरचना का
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| -मजदूरों के आंदोलन का
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| ||फ़ेबियन समाजवद उग्र परिवर्तनों का समर्थक नहीं था।
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| {राज्य के कार्यों की परंपरागत विचारधारा के अनुसार अनिवार्य तथा ऐच्छिक दो भागों में बांटा गया है लेकिन वर्तमान समय में समय की अवधारणा के अनुसार अनिवार्य और ऐच्छिक का भेद समाप्त है तथा समस्त कार्य अनिवार्य ही माने जा रहे हैं।(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-13,प्रश्न-53
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| +लोक कल्याणकारी राज्य
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| -अनिवार्य सेवा राज्य
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| -लोकतांत्रिक राज्य
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| -आदर्शवादी राज्य
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| ||परंपरागत विचारधारा राज्य के कार्यों को दो वर्गों (अनिवार्य तथा ऐच्छिक) में विभाजित करने की रही है और यह माना जाता रहा है कि अनिवार्य कार्य तो राज्य के अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए किए जाने ज़रूरी हैं, किंतु ऐच्छिक कार्य राज्य की जनता के हित में होते हुए भी राज्य के द्वारा उनका दिया जाना तत्कालीन समय की विशेष परिस्थितियों और शासन के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है, लेकिन लोक-कल्याणकारी राज्य की धारणा के विकास के परिणामस्वरूप अनिवार्य और ऐच्छिक कार्यों की वह सीमा-रेखा समाप्त हो गई है और अब यह माना जाने लगा है कि परंपरागत रूप में ऐच्छिक कहे जाने वाले कार्य भी राज्य के लिए उतने ही आवश्यक हैं, जितने कि अनिवार्य समझे जाने वाले कार्य।
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| {"इतिहास कुलीन वर्गों का श्मशान है।" यह कथन किस विचारक का है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-61 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[प्लेटो]] | | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| +पैरेटो | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| -मोस्का | | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| -बर्नहम
| | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| ||पैरेटो 'अभिजन वर्ग' सिद्धांत का प्रवक्ता है। इसके अनुसार, अभिजनों में संरचण होता है। कोई भी राजनीतिक अभिजन स्थायी नहीं होता है। प्रत्येक समाज में व्यक्ति और अभिजन वर्ग अनवरत रूप से ऊंचे स्तर से नीचे स्तर की ओर, और नीचे स्तर से ऊंचे स्तर की ओर जाते रहते हैं। पतनकारक तत्त्वों की संख्या बढ़ती रहती है और दूसरी ओर शासित वर्गों में ऊंचे गुणों से संपन्न तत्त्व उभरते रहते हैं। पैरेटो का कहना हैं कि इस प्रक्रिया के माध्यम से समाज का प्रत्येक अभिजन वर्ग अंतत: नष्ट हो जाता है और उसके स्थान पर दूसरे लोग आ जाते हैं। इसके पैरेटो ने इतिहास को 'कुलीन वर्गों का शमशान' कहा है। | | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
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| {यह कथन किसका है "ईश्वर जिसने हमें जन्म दिया उसी ने स्वतंत्रता भी प्रदान की"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-28
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| -[[महात्मा गाँधी|गांधीजी]]
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| -लास्की
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| -मिल
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| +जेफरसन
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| ||थामस जेफरसन अमेरिका के तीसरे [[राष्ट्रपति]] और 'अमेरिकी' 'स्वतंत्रता की घोषणा' के मुख्य लेखक थे। उन्होंने कहा था कि "ईश्वर जिसने हमें जन्म दिया उसी ने स्वतंत्रता भी प्रदान की।" जेदरसन का ही कथन है कि जहां प्रेस की आजादी होती है और सभी पढ़ने के योग्य होने हैं वहा सभी सुरक्षित होते हैं।
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| {इनमें से कौन राजनीतिक व्यवस्था का लक्षण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-75,प्रश्न-72 | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +राजनीतिक व्यवस्था के अंग एक-दूसरे पर निर्भर नहीं होते।
| | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| -राजनीतिक व्यवस्था की सीमा होती है। | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| -राजनीतिक व्यवस्था का पर्यावरण होता है।
| | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| -राजनीतिक व्यवस्था का वैध बाह्मकारी शक्ति होती है। | | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||आमंड और पावेल ने राजनीतिक व्यवस्था के कुछ लक्षण इस प्रकार बताए हैं- | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
| .भागों की अंतनिर्भरता या अंत:संबंधित गतिविधियां, .राजनीतिक व्यवस्था की सीमा, .राजनीतिक व्यवस्था का पर्यावरण, और .वैध बाध्यकारी शक्ति। | |
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| {लोक लेखा-समिति अपना प्रतिवेदन सौंपती है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-146,प्रश्न-59 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[राष्ट्रपति]] को | | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| -[[प्रधानमंत्री]] को | | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| +लोक सभा को
| | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| -वित्त मंत्री को | | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| ||लोक सभा समिति अपना प्रतिवेदन लोक सभा के स्पीकर (अध्यक्ष) को प्रस्तुत करती है क्योंकि यह वित्तीय समिति है साथ ही यह समिति लोक सभा की समिति है। राज्य सभा के सदस्य इसमें सहयुक्त होते हैं जिससे समिति सुदृढ़ हो जाए।
| | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
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| {इनमें से कौन-सा तथ्य संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों के संदर्भ में सत्य नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-157,प्रश्न-117
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| |type="()"} | |
| -वे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते हैं
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| -उनकी नियुक्ति 6 वर्ष या जब तक वे 65 वर्ष के हों, जो भी पहले हो, के लिए होती है
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| +वे प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त होते हैं
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| -वे निष्पक्ष होते हैं | |
| ||संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों तथा अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य 6 वर्ष या जब तक वह 65 वर्ष आयु के हों, जो भी पहले हो, पद पर बने रहते हैं। अपने कार्यकाल के दौरान निष्पक्षा से कार्य करने हेतु वे कर्त्तव्यबद्ध होते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि कथन-3 असत्य है।
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| {विश्व में प्रथम समाजवादी राज्य की स्थापना कहां हुई थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-63,प्रश्न-68
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| -चीन में
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| +सोवियत संघ में
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| -क्यूबा में
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| -चेकोस्लोवालिया में
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| ||विश्व में प्रथम समाजवादी राज्य की स्थापना सोवियत संघ में 1917 में हुई थी। लेनिन सोवियत संघ की बोल्शेविक क्रांति (1917) के कर्णधार थे। यह प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का समय था जब लेनिन ने अपनी विख्यात कृति 'साम्राज्यवाद पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था है' (1916) लिखी। इसमें लेनिन ने तर्क दिया है कि पूंजीवाद राष्ट्रीय स्तर पर सर्वहारा का शोषण तो करता ही है पर यह साम्राज्यवाद का जाल विछाकर अल्प विकसित देशों का शोषण भी करता है। इसी नारे के साथ लेनिन ने रूस में क्रांन्ति कर समाजवादी राज्य की स्थापना की।
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| {"समाज की उन्नति के लिए 'विज्ञान की प्रबुद्ध तानाशाही" आवश्यक है।" निम्नलिखित विचारकों में से किसका कथन है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-77,प्रश्न- 82
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| |type="()"}
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| +फ्रांसिस बेकन
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| -ज्यां जाक रूसो
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| -ल्यूकाच
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| -सी.बी. मैक्फर्सन
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| ||फ्रांसिस बेकन के अनुसार "समाज की उन्नति के लिए विज्ञान की प्रबुद्ध तानाशाही आवश्यक है"।
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