गोपीनाथ साहा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "फांसी" to "फाँसी")
m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(3 intermediate revisions by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
{{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
{{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
|चित्र=Blankimage.png
|चित्र=Gopinath-Saha.jpg
|चित्र का नाम=गोपीनाथ शाह
|चित्र का नाम=गोपीनाथ साहा
|पूरा नाम=गोपीनाथ शाह
|पूरा नाम=गोपीनाथ साहा
|अन्य नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म=[[1901]]
|जन्म=[[1901]]
Line 15: Line 15:
|क़ब्र=  
|क़ब्र=  
|नागरिकता=भारतीय
|नागरिकता=भारतीय
|प्रसिद्धि=
|प्रसिद्धि=क्रांतिकारी
|धर्म=
|धर्म=
|आंदोलन=
|आंदोलन=
Line 33: Line 33:
|अद्यतन=04:31, [[10 मार्च]]-[[2017]] (IST)
|अद्यतन=04:31, [[10 मार्च]]-[[2017]] (IST)
}}
}}
'''गोपीनाथ साहा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gopinath Saha'', जन्म- [[1901]], [[हुगली ज़िला]], [[पश्चिम बंगाल]]; मृत्यु- [[12 जनवरी]], [[1924]]) पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/pish%20bangal%20%20krantikari.php#Saha|title=गोपीनाथ शाह|accessmonthday=16 मार्च|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रांति 1857|language= हिंदी}}</ref>
'''गोपीनाथ साहा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gopinath Saha'', जन्म- [[1901]], [[हुगली ज़िला]], [[पश्चिम बंगाल]]; मृत्यु- [[12 जनवरी]], [[1924]]) पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। वे 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' के सदस्य थे।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/pish%20bangal%20%20krantikari.php#Saha|title=गोपीनाथ शाह|accessmonthday=16 मार्च|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रांति 1857|language= हिंदी}}</ref> वे [[भारत]] के अमर क्रांतिकारियों की श्रृंखला में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनका मुख्य कार्य क्षेत्र बंगाल रहा।
==परिचय==
==परिचय==
गोपीनाथ शाह का जन्म पूर्वी बंगाल के हुगली ज़िले के समरपुर नामक स्थान पर सन 1901 में हुआ था। समरपुर से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। वे युगान्तर पार्टी की ओर आकर्षित हुए।  
गोपीनाथ साहा का जन्म पूर्वी बंगाल के हुगली ज़िले के समरपुर नामक स्थान पर सन 1901 में हुआ था। समरपुर से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। वे 'युगान्तर पार्टी' की ओर आकर्षित हुए। उनकी आरंभ से ही राजनीतिक कार्यकलापों में ही रुचि रही। बाद में वे क्रांतिकारी गतिविधियों से सक्रिय रूप से जुड़ गए थे। [[असहयोग आंदोलन]] में भी सक्रिय रूप से भाग लिया तथा अनेक बार जेल भी गए, किंतु आंदोलन के स्थगन से इनमें निराशा उत्पन्न हुई।
==मृत्यु==
==गिरफ़्तारी==
गोपीनाथ शाह को पुलिस उपायुक्त सर चार्ल्स टेगर्ट की हत्या के लिए बुलाया गया किन्तु गलती से उन्होंने अर्नस्ट डे नामक एक अन्य [[अंग्रेज]] अधिकारी को गोली मार दी। [[12 जनवरी]], [[1924]] को उन्हें गिरफ्तार कर फाँसी पर लटका दिया गया।  
उन दिनों कलकत्ता में पुलिस के डिटेक्टिव डिपार्टमेन्ट के मुखिया चार्ल्स टेगार्ट ने क्रान्तिकारियों के ख़िलाफ़ बहुत सख्ती से मोर्चा खोला हुआ था। देशभक्तों के ऊपर बहुत ज़ुल्म किया जा रहा था। टेगार्ट के सख्त रवैये के चलते बहुत से क्रान्तिकारियों को फाँसी पर लटकाया जा चुका था। बहुतेरे जेलों में थे। ऐसे में ‘युगान्तर दल’ ने यह निर्णय लिया कि टेगार्ट का काम तमाम कर दिया जाए। इससे क्रान्तिकारियों का मनोबल बढ़ेगा और पुलिस का टूटेगा तथा शहीद क्रान्तिकारियों का बदला भी लिया जा सकेगा। उसको ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी गोपीनाथ साहा को दी गई।
 
[[12 जनवरी]], [[1924]] को चौरंगी रोड पर टेगार्ट के आने की भनक थी। घात लगाकर गोपीनाथ ने आने वाले [[अंग्रेज़]] पर फॉयर किया। उनका ख़्याल था कि वह चार्ल्स टेगार्ट है। परन्तु बाद में पता चला कि मारा जाने वाला एक सिविलियन अंग्रेज़ था, जो किसी कम्पनी में कार्य करता था। उसका नाम अर्नेस्ट डे था। लोगों ने उनका पीछा किया और गोपीनाथ साहा पकडे गए।
==मुक़दमा==
गोपीनाथ के ऊपर मुक़द्दमा दर्ज़ करके न्यायलय में केस चलाया गया। [[21 जनवरी]], [[1924]] को पेशी पर उन्होंने जज से मुख़ातिब होकर बड़ी बेबाक़ी और बहादुरी से कहा, ‘कंजूसी क्यों करते हैं, दो-चार धाराएँ और भी लगाइए’। बहुत ही साहस और दिलेरी से उन्होंने केस का सामना किया। उच्च अदालत में पेशी पर उन्होंने कहा- "मैं तो चार्ल्स टेगार्ट को ठिकाने लगाना चाहता था, क्योंकि उसने देश-प्रेमी क्रान्तिकारियों को काफी तंग कर रखा था। लेकिन उसकी क़िस्मत अच्छी थी कि वह बच निकला और इस बात का दु:ख है कि एक मासूम व्यक्ति मारा गया। परन्तु मुझे विश्वास है कि कोई न कोई क्रान्तिकारी मेरी इस इच्छा को ज़रूर पूरी करेगा।"<ref>{{cite web |url=http://saadarindia.com/?p=227 |title=देशभक्त क्रान्तिकारी गोपीनाथ साहा |accessmonthday=22 अगस्त|accessyear= 2018|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=saadarindia.com |language= हिन्दी}}</ref>
==शहादत==
अदालत ने उनके इस बयान पर उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई। सज़ा सुनते ही वे खिलखिलाकर हँसे और बोले- "मैं फाँसी की सज़ा का स्वागत करता हूँ। मेरी इच्छा है कि मेरे [[रक्त]] की प्रत्येक बूंद [[भारत]] के प्रत्येक घर में आज़ादी के बीज बोए। एक दिन आएगा, जब ब्रिटिश हुक़ूमत को अपने अत्याचारी रवैये का फल भुगतना ही पड़ेगा।" [[12 जनवरी]], [[1924]] को उन्हें फाँसी पर लटका दिया गया और एक साहसी वीर देश के लिए 23 वर्ष की आयु में शहीद हो गया। फाँसी के तख्ते पर वह प्रसन्न मुद्रा में पहुँचा। काल-कोठरी से लाने से कुछ क्षण पहले ही उन्होंने अपनी माँ को पत्र लिखा था- "तुम मेरी माँ हो, यही तुम्हारी शान है। काश! भगवान हर व्यक्ति को ऐसी माँ दे जो ऐसे साहसी सपूत को जन्म दे।"
 


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 44: Line 51:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतंत्रता सेनानी}}
{{स्वतंत्रता सेनानी}}
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:जीवनी_साहित्य]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:जीवनी_साहित्य]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 10:36, 9 February 2021

गोपीनाथ साहा
पूरा नाम गोपीनाथ साहा
जन्म 1901
जन्म भूमि हुगली ज़िला, पश्चिम बंगाल
मृत्यु 12 जनवरी, 1924
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि क्रांतिकारी
अद्यतन‎ 04:31, 10 मार्च-2017 (IST)

गोपीनाथ साहा (अंग्रेज़ी: Gopinath Saha, जन्म- 1901, हुगली ज़िला, पश्चिम बंगाल; मृत्यु- 12 जनवरी, 1924) पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। वे 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' के सदस्य थे।[1] वे भारत के अमर क्रांतिकारियों की श्रृंखला में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनका मुख्य कार्य क्षेत्र बंगाल रहा।

परिचय

गोपीनाथ साहा का जन्म पूर्वी बंगाल के हुगली ज़िले के समरपुर नामक स्थान पर सन 1901 में हुआ था। समरपुर से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। वे 'युगान्तर पार्टी' की ओर आकर्षित हुए। उनकी आरंभ से ही राजनीतिक कार्यकलापों में ही रुचि रही। बाद में वे क्रांतिकारी गतिविधियों से सक्रिय रूप से जुड़ गए थे। असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया तथा अनेक बार जेल भी गए, किंतु आंदोलन के स्थगन से इनमें निराशा उत्पन्न हुई।

गिरफ़्तारी

उन दिनों कलकत्ता में पुलिस के डिटेक्टिव डिपार्टमेन्ट के मुखिया चार्ल्स टेगार्ट ने क्रान्तिकारियों के ख़िलाफ़ बहुत सख्ती से मोर्चा खोला हुआ था। देशभक्तों के ऊपर बहुत ज़ुल्म किया जा रहा था। टेगार्ट के सख्त रवैये के चलते बहुत से क्रान्तिकारियों को फाँसी पर लटकाया जा चुका था। बहुतेरे जेलों में थे। ऐसे में ‘युगान्तर दल’ ने यह निर्णय लिया कि टेगार्ट का काम तमाम कर दिया जाए। इससे क्रान्तिकारियों का मनोबल बढ़ेगा और पुलिस का टूटेगा तथा शहीद क्रान्तिकारियों का बदला भी लिया जा सकेगा। उसको ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी गोपीनाथ साहा को दी गई।

12 जनवरी, 1924 को चौरंगी रोड पर टेगार्ट के आने की भनक थी। घात लगाकर गोपीनाथ ने आने वाले अंग्रेज़ पर फॉयर किया। उनका ख़्याल था कि वह चार्ल्स टेगार्ट है। परन्तु बाद में पता चला कि मारा जाने वाला एक सिविलियन अंग्रेज़ था, जो किसी कम्पनी में कार्य करता था। उसका नाम अर्नेस्ट डे था। लोगों ने उनका पीछा किया और गोपीनाथ साहा पकडे गए।

मुक़दमा

गोपीनाथ के ऊपर मुक़द्दमा दर्ज़ करके न्यायलय में केस चलाया गया। 21 जनवरी, 1924 को पेशी पर उन्होंने जज से मुख़ातिब होकर बड़ी बेबाक़ी और बहादुरी से कहा, ‘कंजूसी क्यों करते हैं, दो-चार धाराएँ और भी लगाइए’। बहुत ही साहस और दिलेरी से उन्होंने केस का सामना किया। उच्च अदालत में पेशी पर उन्होंने कहा- "मैं तो चार्ल्स टेगार्ट को ठिकाने लगाना चाहता था, क्योंकि उसने देश-प्रेमी क्रान्तिकारियों को काफी तंग कर रखा था। लेकिन उसकी क़िस्मत अच्छी थी कि वह बच निकला और इस बात का दु:ख है कि एक मासूम व्यक्ति मारा गया। परन्तु मुझे विश्वास है कि कोई न कोई क्रान्तिकारी मेरी इस इच्छा को ज़रूर पूरी करेगा।"[2]

शहादत

अदालत ने उनके इस बयान पर उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई। सज़ा सुनते ही वे खिलखिलाकर हँसे और बोले- "मैं फाँसी की सज़ा का स्वागत करता हूँ। मेरी इच्छा है कि मेरे रक्त की प्रत्येक बूंद भारत के प्रत्येक घर में आज़ादी के बीज बोए। एक दिन आएगा, जब ब्रिटिश हुक़ूमत को अपने अत्याचारी रवैये का फल भुगतना ही पड़ेगा।" 12 जनवरी, 1924 को उन्हें फाँसी पर लटका दिया गया और एक साहसी वीर देश के लिए 23 वर्ष की आयु में शहीद हो गया। फाँसी के तख्ते पर वह प्रसन्न मुद्रा में पहुँचा। काल-कोठरी से लाने से कुछ क्षण पहले ही उन्होंने अपनी माँ को पत्र लिखा था- "तुम मेरी माँ हो, यही तुम्हारी शान है। काश! भगवान हर व्यक्ति को ऐसी माँ दे जो ऐसे साहसी सपूत को जन्म दे।"


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गोपीनाथ शाह (हिंदी) क्रांति 1857। अभिगमन तिथि: 16 मार्च, 2017।
  2. देशभक्त क्रान्तिकारी गोपीनाथ साहा (हिन्दी) saadarindia.com। अभिगमन तिथि: 22 अगस्त, 2018।

संबंधित लेख

  1. REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी