आखिया खारस: Difference between revisions

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'''आखिया खारस''' (अथवा अहिकार) अस्सीरिया के राजा सिनाख़िरीब को परामर्श देने वाला एक प्राचीन मनीषी। इसकी जीवनकथा तथा सूक्तियाँ सीरिया, अरब, इथियोपिया, आर्मेनिया, रूमानिया और तुर्की की प्राचीन भाषाओं में उपलब्ध हैं। इसने अपने भतीजे नादान को दत्तक पुत्र के रूप में रख लिया था। पर नादान ने इसका विनाश करने का प्रयत्न किया, किंतु वह भूमिगृह में छिपकर किसी प्रकार बच गया। वह प्रकट हुआ तब जब राजा को उसके परामर्श की आवश्यकता पड़ी। अत: उसने अपने प्रभाव को पुन: प्राप्त कर लिया। उसने अधर में प्रासाद का निर्माण करके तथा बालू की रस्सी बटकर मिस्र के सम्राट् को संतुष्ट किया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=347 |url=}}</ref> इसके पश्चात्‌ उसने नादान को समुचित दंड दिया और उसकी लगातार भर्त्सना की। आखिया खारस की कथा ई.पू. ५वीं शताब्दी से भी अधिक पुरानी है।<ref>सं.ग्रं.-कोनीबियर इत्यादि : स्टोरी ऑव अहिकर।</ref>
'''आखिया खारस''' अथवा 'अहिकार' अस्सीरिया के राजा सिनाख़िरीब को परामर्श देने वाला एक प्राचीन मनीषी था। इसकी जीवन कथा तथा [[सूक्ति और कहावत|सूक्तियाँ]] सीरिया, [[अरब देश|अरब]], इथियोपिया, आर्मेनिया, रूमानिया और तुर्की की प्राचीन [[भाषा|भाषाओं]] में उपलब्ध हैं।<br />
 
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*आखिया खारस ने अपने भतीजे नादान को दत्तक पुत्र के रूप में रख लिया था, पर नादान ने इसका विनाश करने का प्रयत्न किया, किंतु वह भूमिगृह में छिपकर किसी प्रकार बच गया। वह प्रकट हुआ तब जब राजा को उसके परामर्श की आवश्यकता पड़ी। अत: उसने अपने प्रभाव को पुन: प्राप्त कर लिया। उसने अधर में प्रासाद का निर्माण करके तथा बालू की रस्सी बटकर [[मिस्र]] के सम्राट् को संतुष्ट किया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=347 |url=}}</ref> इसके पश्चात्‌ उसने नादान को समुचित दंड दिया और उसकी लगातार भर्त्सना की। आखिया खारस की कथा ई.पू. 5वीं शताब्दी से भी अधिक पुरानी है।<ref>सं.ग्रं.-कोनीबियर इत्यादि : स्टोरी ऑव अहिकर।</ref>


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आखिया खारस अथवा 'अहिकार' अस्सीरिया के राजा सिनाख़िरीब को परामर्श देने वाला एक प्राचीन मनीषी था। इसकी जीवन कथा तथा सूक्तियाँ सीरिया, अरब, इथियोपिया, आर्मेनिया, रूमानिया और तुर्की की प्राचीन भाषाओं में उपलब्ध हैं।

  • आखिया खारस ने अपने भतीजे नादान को दत्तक पुत्र के रूप में रख लिया था, पर नादान ने इसका विनाश करने का प्रयत्न किया, किंतु वह भूमिगृह में छिपकर किसी प्रकार बच गया। वह प्रकट हुआ तब जब राजा को उसके परामर्श की आवश्यकता पड़ी। अत: उसने अपने प्रभाव को पुन: प्राप्त कर लिया। उसने अधर में प्रासाद का निर्माण करके तथा बालू की रस्सी बटकर मिस्र के सम्राट् को संतुष्ट किया।[1] इसके पश्चात्‌ उसने नादान को समुचित दंड दिया और उसकी लगातार भर्त्सना की। आखिया खारस की कथा ई.पू. 5वीं शताब्दी से भी अधिक पुरानी है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 347 |
  2. सं.ग्रं.-कोनीबियर इत्यादि : स्टोरी ऑव अहिकर।

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