एमिल जोला: Difference between revisions

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Latest revision as of 11:39, 14 July 2018

एमिल जोला (1840-1902) का जन्मस्थान पेरिस है। एमिल जोला विश्वविख्यात उपन्सासकार और पत्रकार थे। उनकी माँ फ्रांसीसी थीं, किंतु पिता मिश्रित इटालियन और ग्रीक नस्ल के थे। वे सैनिक और इंजिनियर थे। पिता की मृत्यु के उपरांत जोला और उनकी माँ आर्थिक संकट में फँस गए। संबंधियों की सहायता से जोला की शिक्षा दीक्षा संभव हो सकी। जोला ने बाल्यावस्था में ही साहित्य के प्रति अपनी अभिरुचि दिखाई। जब वे स्कूल में छात्र थे, तभी उन्होंने एक नाटक लिखा, जिसका शीर्षक था 'चपरासी को मूर्ख बनाना'। स्कूल छोड़ने के बाद जोला ने क्लार्क का काम शुरू किया। बाद में उन्होंने एक प्रकाशन संस्था में नौकरी की। जोला ने साहित्यिक कार्य भी आरंभ कर दिया था। वे एक पत्र के लिये लेख लिखते थे, दूसरे के लिये कहानियाँ और एक तीसरे के लिये समीक्षा। जोला विशेष रूप उपन्यास लिखने की ओर आकृष्ट हुए।

जोला की रचनाएँ दो भागों में बाँटी जा सकती हैं- यथार्थवादी रचनाएँ और समाजवाद की प्रेरक रचनाएँ। जिस यथार्थवादी शैली को जोला ने अपनाया, उसे प्रकृतवाद कहा गया है। प्रकृतवाद यथार्थ का निर्मम अनावरण करता है। वह कुछ भी दाब ढककर नहीं रखता। इस प्रकार प्रकृतवाद जीवन के कठोर और क्रूर रूप का निस्संकोच अंकन करता है। जो दृश्य साहित्य और कला में वर्जित और गर्हित समझे जाते थे, उनका भी प्रकृतवाद उद्घाटन करता है। प्रकृतवाद जीवन की कुरूपता और विरूपता से कतराता नहीं। कथासाहित्य में पूरे स्कूल[1] के प्रवर्तक और जनक जोला थे। इनके ही पथचिह्नों पर मोपासाँ, फ्लौवेयर, गौंकू बंधु और दौदे आदि बाद में चले।

जोला ने कला को वैज्ञानिक पद्धति प्रदान की। वे नोटबुक और पेंसिल लेकर बाजारहाट में निकल जाते थे। जो कुछ भी वे देखते थे, उसका पूरा विवरण वे अपनी नोटबुक में लिख लेते थे। कैसे दृश्य, दुकानें, व्यक्ति आदि उन्होंने देखे, सभी का तफसील में वर्णन इनकी नोटबुक में रहता था। बाद में आवश्यकता के अनुसार इस वर्णन को अपनी कथा का अंग बना लेते थे। इस प्रकार जोला की कला हमें जीवन के बहुत समीप ले आती है। इसमें मद्यप, वेश्याएँ, जुआरी आदि अपने वास्तविक रूप में हमें मिलते हैं।

प्रकृतवादी शैली के जनक और आचार्य के रूप में जोला सर्वमान्य हो चुके हैं। अपने उपन्यास, 'ला सुमुआ' (L' Assommoir) में वे एक मद्यप का यथातथ्य वर्णन करते हैं, जिसके कारण एक पूरा परिवार नष्ट भ्रष्ट हो गया।

दूसरी कोटि के उपन्यासों में जोला कथनाक और पात्रों को समाजवादी विचारदर्शन की स्थापना के लिये गौण बनाते हैं। इस श्रेणी के उपन्यासों में चार गौस्पैल (The Four Gospels), (Fecondite), 'पीड़ा' (Travail) और 'सत्य' (Venite) का उल्लेख हो सकता है।

पहली श्रेणी के उपन्यासों में 'नाना' बहुत लोकप्रिय हुआ है। यह एक अभिनेत्री की जीवनकथा है जिसे कोई अस्पष्ट रेखा ही वेश्या के पेशे से विभाजित करती है। जोला की सर्वश्रेष्ठ रचना 'पराजय' (La Debacle) है, जिसमें १८७० के युद्ध में फ्रांस की पराजय का वर्णन है। जोला के उपन्यासों में हमें १९वीं सदी के संपूर्ण फ्रांसीसी जीवन का व्यापक चित्र मिलता है।

जोला के जीवन का अंतिम महत्वपूर्ण कार्य था एक यहूदी सैनिक अफसर, द्रेफ्‌, की शासक वर्ग के आक्रोश से रक्षा। जोला ने अपने प्रसिद्ध पत्र, 'मेरा अभियोग हैं', मैं न्याय का पक्ष सशक्त स्वर में उठाया और इस आंदोलन के फलस्वरूप द्रेफ्‌ मुक्त हुए। यहूदियों की रक्षा में यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अभियान था।

जोला की मृत्यु असमय ही विचित्र प्रकार से हुई। कोयले की गैस से दम घुटने के कारण वे अपने घर पर मृत अवस्था में पाए गए।[2]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पंथ या मत
  2. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 5 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 63 |

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