उत्तर प्रदेश की नहरें: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
No edit summary |
||
Line 32: | Line 32: | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= |
Revision as of 09:40, 15 January 2011
नहरों के वितरण एवं विस्तार क दृष्टि से उत्तर प्रदेश का अग्रणीय स्थान है। यहाँ की कुल सिंचित भूमि का लगभग 30 प्रतिशत भाग नहरों के द्वारा सिंचित होता है। यहाँ की नहरें भारत की प्राचीनतम नहरों में से एक हैं। प्रदेश की प्रमुख नहरें निम्नलिखित हैं:-
- पूर्वी यमुना नहर,
- आगरा नहर,
- ऊपरी गंगा नहर,
- निचली गंगा नहर,
- शारदा नहर,
- बेतवा नहर,
- केन नहर,
- धसांन नहर,
- घाघरा नहर,
- ललितपुर नहर,
- मौहदा बाँध नहर,
- सपरार नहर,
- रानी लक्ष्मीबाई बाँध नहर,
- अर्जुन बाँध की नहर,
- रगँवा बाँध नहर,
- बेलन टौंस नहर,
- नगवाँ बाँध नहर,
- नौगढ़ बाँध नहर,
- चन्द्र प्रभा बाँध नहर,
- अहरौरा बाँध नहर,
- बानगंगा नहर,
- रामगंगा नहर,
- शारदा सागर की नहर,
- नानक सागर योजना नहर,
- तुमरिया जलाशय की नहर,
- मेजा जलाशय की नहर,
- गंडक नहर,
- घाघरा नहर।
इसके अतिरिक्त बेलन नहर प्रणाली, तुमरिया जलाशय (नैनीताल), ललितपुर नहर प्रणाली, केन नहर प्रणाली, सपरार, अर्जुन एवं कबरई बाँध की नहरों का विस्तार किया गया है। बौर (नैनीताल), पिलीभीत जलाशय (नैनीताल), चित्तौड़गढ़ (गोंडा), चितिया (गोंडा), भूसाखण्ड (वाराणसी), टकिया (बहराइच), बहमुल (नैनीताल), सेवती (मिर्ज़ापुर), नवलगढ़ (गोंडा) एवं तुण्दपारी (इलाहाबाद) जलाशय भी निर्मित किए गए हैं। इनसे नहरें निकालकर सिंचाई की जाती है।
|
|
|
|
|