बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय: Difference between revisions

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thumb|250px|काशी हिंदू विश्वविद्यालय
Banaras-Hindu-University

पंडित मदनमोहन मालवीय ने 84 साल पहले 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। तब इसका कुल मिलाकर एक ही कॉलेज था- सेंट्रल हिंदू कॉलेज और आज यह विश्वविद्यालय 15 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिसमें 100 से भी अधिक विभाग हैं। इसे एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय होने का गौरव हासिल है। महामना पंडित मालवीय के साथ ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन और एनी बेसेंट ने भी विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और लंबे समय तक विश्वविद्यालय से जुड़े रहे।

परिसर

वाराणसी प्राचीन नगरी है और इसे देखकर सहज ही लगता है कि हम किसी पुरानी रियासत में हैं। परिसर के भीतर विशालकाय भवन हैं, जिनमें कक्षाएँ चलती हैं। विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, मेडिकल, फाइन आर्ट्स, संगीत, संस्कृत शोध विभाग आदि के लिए अलग-अलग इमारतें हैं। इसका परिसर खूब हरा-भरा है और लगता ही नहीं कि आप भीड़-भाड़ वाली वाराणसी नगरी में हैं। विश्वविद्यालय के पास निजी संचार प्रणाली, प्रेस, कंप्यूटर नेटवर्क, डेयरी, कृषि फार्म, कला व संस्कृति संग्रहालय और विशालकाय सेंट्रल लाइब्रेरी हैं। लाइब्रेरी में 10 लाख से भी अधिक पुस्तकें, पत्रिकाएँ, शोध रिपोर्ट और ग्रंथ आदि हैं। विश्वविद्यालय का अपना हेलीपैड भी और अपनी अलग सुरक्षा व्यवस्था भी है। विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री भी हासिल की जा सकती है।

इंस्टीट्यूट ऑफ़् टेक्नोलॉजी

विश्वविद्यालय का इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन, एशियन रिसर्च एंड डवलपमेंट बैंक, डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन, टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी, हिंदुस्तान एल्युमीनियम कंपनी, स्टील आथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के सहयोग व समर्थन से चलाया जा रहा है।

विभिन्न कोर्स

परिसर के भीतर 14 अलग-अलग संकाय हैं। इनमें एक महिला कॉलेज, इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस, कृषि संकाय भी शामिल हैं। विश्वविद्यालय में छह विषयों के एडवांस्ड स्टडी सेंटर भी हैं। ये विषय हैं बॉटरी, जुलोजी, मेटलर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फिजिक्स और माइनिंग।

विश्वविद्यालय में 49 छात्रावास हैं, जिनमें से 35 लड़कों के लिए और 14 लड़कियों के लिए हैं। कई नए छात्रावास भी निर्माणाधीन अवस्था में हैं। यहाँ के इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की तुलना आईआईटी से की जाती है। प्रवेश भी आईआईटी की परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर होता है।

यह संस्थान 16 कोर्स उपलब्ध कराता है। इनमें कंप्यूटर इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रोनिक्स एप्लाएड फिजिक्स, एप्लाएड मैथेमेटिक्स और एप्लाएड केमिस्ट्री भी शामिल हैं। इंजीनियरिंग कोर्स काफ़ी लोकप्रिय हैं और यहाँ के मेटलर्जी व माइनिंग कोर्स तो देश में सबसे अच्छे माने जाते हैं। मेडिकल संस्थान में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। इसके अतिरिक्त तीन साल के कला व समाज विज्ञान बीए व बीएसएसी डिग्री कोर्स की पढ़ाई होती है। बीलिव एंड इनफॉर्मेशन साइंस, पत्रकारिता, एलएलबी, एमबीए के साथ ही कई और पेशेवर कोर्स भी कराए जाते हैं। स्नातकोत्तर स्तर पर भी कई कोर्स हैं। यह देश के उन गिने-चुने विश्वविद्यालयों में से है जहाँ आयुर्वेद के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा पद्धति की भी पढ़ाई होती है। इनके अतिरिक्त वेद, व्याकरण और सांख्य योग से संबंधित कोर्स भी कराए जाते हैं।

प्रवेश परीक्षा

बीए, बीएससी, बीकॉम, एलएलबी प्रवेश परीक्षाओं के लिए बारहवीं में 45 फीसदी औसत अंक के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए स्नातक स्तर पर 48 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी की ज़रूरत है।

उल्लेखनीय उपलब्धियाँ

वैज्ञानिक जयंत नार्लिकर, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहाकार पी. रामा राव, ऑयल एंड. नेचुरल गैस कमीशन के चेयरमैन बी.सी. बोरा, एशिया ब्राउन बावेरी के सीएमडी के. एन. शिनॉय, पंजाब नेशनल बैंक के सीएमडी एस. एस. कोहली सरीखे लोग विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। इनके अतिरिक्त भी विश्वविद्यालय के छात्र बतौर वैज्ञानिक, साहित्यकार, एमबीए, इंजीनियर और चिकित्सक देश-विदेश में काफ़ी सुनाम अर्जित कर चुके हैं और कई ज़िम्मेदार पदों पर कार्यरत हैं।

कैंपस की जिंदगी

विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर स्थित लंका का छोटा सा बाजार छात्र-छात्राओं की ज़रूरतें पूरी करता है। कुछ ही दूर गंगा तट पर अस्सी घाट स्थित है, जहाँ फाइन आर्ट्स के छात्र स्केच बनाते अकसर दिखते हैं। दिन भर परिसर के भीतर सेंट्रल लाइब्रेरी के पास विश्वनाथ मन्दिर छात्रों के जमावड़े का केंद्र रहता है।

पत्र व्यवहार

किसी भी तरह की जानकारी के लिए संबद्ध विभागाध्यक्ष के नाम काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी- 221005 के पते पर पत्र व्यवहार किया जा सकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ