ॐ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 7: Line 7:


कैसे हुए लाभ प्रोफ़ेसर मार्गन कहते हैं कि विभिन्न आवृतियो (तरंगों) और ‘ओ३म्‌’ ध्वनि के उतार चढ़ाव से पैदा होने वाली कम्पन क्रिया से मृत कोशिकाओं का पुनर्निर्माण हो जाता है। रक्त विकार होने ही नहीं पाता। मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय, पेट और पैर तक तीव्र तरंगों का संचार होता है। रक्त विकार दूर होता है और स्फुर्ती बनी रहती है।
कैसे हुए लाभ प्रोफ़ेसर मार्गन कहते हैं कि विभिन्न आवृतियो (तरंगों) और ‘ओ३म्‌’ ध्वनि के उतार चढ़ाव से पैदा होने वाली कम्पन क्रिया से मृत कोशिकाओं का पुनर्निर्माण हो जाता है। रक्त विकार होने ही नहीं पाता। मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय, पेट और पैर तक तीव्र तरंगों का संचार होता है। रक्त विकार दूर होता है और स्फुर्ती बनी रहती है।
अभी हाल ही में हारवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हारबर्ट बेन्सन ने अपने लबे समय के शोध कार्य के बाद ‘ओ३म्‌’ के वैज्ञानिक आधार पर प्रकाश डाला है। थोड़ी प्रार्थना और ओ३म्‌ शब्द के उच्चारण से जानलेवा बीमारी एड्‌स के लक्षणों से राहत मिलती है तथा बांझपन के उपचार में दवा का काम करता है। इसके अलावा आप स्वयं ‘ओ३म्‌’ जप करके ओ३म्‌ ध्वनि के परिणाम देख सकते हैं। इसके जप से सभी रोगों में लाभ व दुष्कर्मों के संस्कारों को शमन होता है। अतः ओ३म्‌ की चमत्कारिक ध्वनि का उच्चारण (जाप) यदि मनुष्य अटूट श्रद्धा व पूर्ण विश्वास के साथ करे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जीवन को सार्थक कर सकता है।
अभी हाल ही में हारवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हारबर्ट बेन्सन ने अपने लबे समय के शोध कार्य के बाद ‘ओ३म्‌’ के वैज्ञानिक आधार पर प्रकाश डाला है। थोड़ी प्रार्थना और ओ३म्‌ शब्द के उच्चारण से जानलेवा बीमारी एड्‌स के लक्षणों से राहत मिलती है तथा बांझपन के उपचार में दवा का काम करता है। इसके अलावा आप स्वयं ‘ओ३म्‌’ जप करके ओ३म्‌ ध्वनि के परिणाम देख सकते हैं। इसके जप से सभी रोगों में लाभ व दुष्कर्मों के संस्कारों को शमन होता है। अतः ओ३म्‌ की चमत्कारिक ध्वनि का उच्चारण (जाप) यदि मनुष्य अटूट श्रद्धा व पूर्ण विश्वास के साथ करे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जीवन को सार्थक कर सकता है।



Revision as of 15:08, 7 February 2011

ओ३म्‌ की ध्वनि का सभी सम्प्रदायों में महत्व है। हमारे सभी वेदमंत्रों का उच्चारण भी ओ३म्‌ से ही प्रारंभ होता है जो ईश्र्वरीय शक्ति की पहचान है। परमात्मा का निज नाम ओ३म्‌ है। अंग्रेजी में भी ईश्र्वर के लिए सर्वव्यापक शब्द का प्रयोग होता है यही सृष्टि का आधार है। यह सिर्फ आस्था नहीं, इसका वैज्ञानिक आधार भी है।

खगोल वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि हमारे अंतरिक्ष में पृथ्वी मण्डल, सौर मण्डल, सभी ग्रह मण्डल तथा अनेक आकाशगंगाएं, लगातार ब्रह्माण्ड का चक्कर लगा रही हैं। ये सभी आकाशीय पिण्ड कई हजार मील प्रति सेकेण्ड की गति से अनंत की ओर भागे जा रहे हैं, जिससे लगातार एक कम्पन, एक ध्वनि अथवा शोर उत्पन्न हो रहा है इसी को अथवा इसी ध्वनि को हमारे ऋषि महर्षियों ने अपनी ध्यानावस्था में सुना। इसे ब्रह्मानाद कहा यानी अंतरिक्ष में होने वाला मधुर गीत ‘ओ३म्‌’ ही अनादिकाल से अनन्त काल तक ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। ओ३म्‌ की ध्वनि या नाद ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक ऊर्जा के रूप में फैला हुआ है जब हम अपने मुख से एक ही सांस में ओ३म्‌ का उच्चारण मस्तिष्क ध्वनि अनुनाद तकनीक से करते हैं तों मानव शरीर को अनेक लाभ होते हैं और वह असीम सुख, शांति व आनन्द की अनुभूति करता है। ओ३म्‌ शब्द तीन अक्षरों एवं दो मात्राओं से मिलकर बना है जो वर्णमाला के समस्त अक्षरों में व्याप्त है। पहला शब्द है ‘अ’ जो कंठ से निकलता है। दूसरा है ‘उ’ जो हृदय को प्रभावित करता है। तीसरा शब्द ‘म्‌’ है जो नाभि में कम्पन करता है। इस सर्वव्यापक पवित्र ध्वनि के गुंजन का हमारे शरीर की नस नाडिय़ों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है विशेषकर मस्तिष्क, हृदय व नाभि केंद्र में कम्पन होने से उनमें से जहरीली वायु तथा व्याप्त अवरोध दूर हो जाते हैं जिससे हमारी समस्त नाडिय़ां शुद्ध हो जाती हैं। जिससे हमारा आभामण्डल शुद्ध हो जाता है और हमारे अन्दर छिपी हुई सूक्ष्म शक्तिया जागृत होती व आत्म अनुभूति होती है। किसी भी ध्वनि का प्रभाव तभी उत्पन्न होता है जब उसे विशेष लयबद्धता व श्रद्धा के साथ व्यक्त किया जाये। ‘ओ३म्‌’ ध्वनि करते हुए स्वर की मधुरता तथा उच्चारण करे तब सब ओर से विकृतियों को हटाकर एकाग्रचित होकर के उस प्रभु का प्रेम, श्रद्धा और दृढ़ विश्वास से ध्यान करें। ऐसी भावना बनाये कि वही हमारा सच्चा पिता, माता, भाई, बंधु हमारा सर्वस्व, हमारे जीवन का आधार है, अच्छा ही करता है दुःख द्वारा भी हमारे पाप कर्मों का शमन करता है व हमें पाप के बोझ से हल्का करता है। इसलिए दुःख आने पर भी उसका ही धन्यवाद करें। क्योकि सृष्टिकर्ता के अनेक नामों में ओ३म्‌ का सर्वोत्तम महत्व है। इसी महत्त्व को देखते हुए व अनुभव करते हुए ऋषियों ने चारों वेदों के ख्फ्त्त्िंऽ मन्त्रों में प्रत्येक को ओ३म्‌ से प्रारंभ किया। इसी आधार पर ओ३म्‌ क्रञ्तो स्मर का आदेश यजुर्वेद के ब् वें अध्याय के क्भ् वें मंत्र में दिया गया है।

ओ३म्‌ के संबंध में यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या ओ३म्‌ शब्द की महिमा का कोई वैज्ञानिक आधार हैं? क्या इसके उच्चारण से इस असार संसार में भी कुछ लाभ है? इस संबंध में ब्रिटेन के एक साईटिस्ट जर्नल ने शोध परिणाम बताये हैं जो यहां प्रस्तुत हैं रिसर्च एंड इंस्टीट्‌यूट ऑफ न्यूरो साइंस के प्रमुख प्रोफ़ेसर जे. मार्गन और उनके सहयोगियों ने सात वर्ष तक ‘ओ३म्‌’ के प्रभावों का अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने मस्तिष्क और हृदय की विभिन्न बीमारियों से पीडि़त ख्भ् पुरूषो और ख् महिलाओं का परीक्षण किया। इन सारे मरीजों को केवल वे ही दवाईयां दी गई जो उनका जीवन बचाने के लिए आवश्यक थीं। शेष सब बंद कर दी गई। सुबह से स्त्र बजे तक यानी कि एक घंटा इन लोगों को साफ, स्वच्छ, खुले वातावरण में योग्य शिक्षकों द्वारा ‘ओ३म्‌’ का जप कराया गया। इन दिनों उन्हें विभिन्न ध्वनियों और आवृतियो में ‘ओ३म्‌’ का जप कराया गया। हर तीन माह में हृदय, मस्तिष्क के अलावा पूरे शरीर का ‘स्कैन’ कराया गया। चार साल तक ऐसा करने के बाद जो रिपोर्ट सामने आई वह आश्चर्यजनक थी। स्त्र प्रतिशत पुरूष और त्त्ख् प्रतिशत महिलाओं से ‘ओ३म्‌’ का जप शुरू करने के पहले बीमारियों की जो स्थिति थी उसमें ऽ प्रतिशत कमी दर्ज की गई। कुछ लोगों पर मात्र क् प्रतिशत ही असर हुआ। इसका कारण प्रोफ़ेसर मार्गन ने बताया कि उनकी बीमारी अंतिम अवस्था में पहुंच चुकी थी। इस प्रयास से यह परिणाम भी प्राप्त हुआ कि नशे से मुक्ति भी ‘ओ३म्‌’ के जप से प्राप्त की जा सकती है। इसका लाभ उठाकर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है।

कैसे हुए लाभ प्रोफ़ेसर मार्गन कहते हैं कि विभिन्न आवृतियो (तरंगों) और ‘ओ३म्‌’ ध्वनि के उतार चढ़ाव से पैदा होने वाली कम्पन क्रिया से मृत कोशिकाओं का पुनर्निर्माण हो जाता है। रक्त विकार होने ही नहीं पाता। मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय, पेट और पैर तक तीव्र तरंगों का संचार होता है। रक्त विकार दूर होता है और स्फुर्ती बनी रहती है।

अभी हाल ही में हारवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हारबर्ट बेन्सन ने अपने लबे समय के शोध कार्य के बाद ‘ओ३म्‌’ के वैज्ञानिक आधार पर प्रकाश डाला है। थोड़ी प्रार्थना और ओ३म्‌ शब्द के उच्चारण से जानलेवा बीमारी एड्‌स के लक्षणों से राहत मिलती है तथा बांझपन के उपचार में दवा का काम करता है। इसके अलावा आप स्वयं ‘ओ३म्‌’ जप करके ओ३म्‌ ध्वनि के परिणाम देख सकते हैं। इसके जप से सभी रोगों में लाभ व दुष्कर्मों के संस्कारों को शमन होता है। अतः ओ३म्‌ की चमत्कारिक ध्वनि का उच्चारण (जाप) यदि मनुष्य अटूट श्रद्धा व पूर्ण विश्वास के साथ करे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जीवन को सार्थक कर सकता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ