आभूषण: Difference between revisions
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Revision as of 06:03, 14 March 2011
- दुनिया को अपनी चमक दमक से आकर्षित करने वाले आभूषण गंगा जमुनी तहज़ीब वाले देश भारत में लगभग हर धर्म से जुड़ी परम्पराओं का अभिन्न अंग हैं। इस मुल्क में ज़ेवर सिर्फ़ आभूषण नहीं बल्कि रीति-रिवाज़ भावनाओं और आन बान शान का प्रतिबिम्ब है।
- आभूषणों के दीवाने देश भारत में ज़ेवरात के प्रति आकर्षण अब भी कम नहीं हुआ है हालांकि पसंद और तौर तरीकों में बदलाव ज़रूर हुआ है। कभी सोने की चिड़ियाँ कहा जाने वाला भारत आज भी सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और मुल्क का आभूषण उद्योग सबसे तेज़ी से विकास कर रहे क्षेत्रों में शुमार किया जाता है।
- कभी सोने-चाँदी, हीरे ज़वाहरात के ज़ख़ीरे को अपनी शान और ताक़त के प्रदर्शन का ज़रिया मानने की राजा महाराजाओं की धारणा वाले देश में शादी ब्याह तथा अन्य रस्मों में आज भी आभूषण को सबसे शानदार तोहफा माना जाता है। भारत में श्रृंगार का अभिन्न अंग और महिलाओं की कमज़ोरी समझे जाने वाले आभूषणों की चमक कभी फीकी नहीं पड़ी।[1]
- नारियाँ ज़्यादा कर आभूषणों से प्रेम करती हैं। हमारे शास्त्रों ने भी नारियों के लिये विविध प्रकार के रत़्नाभूषणों आदि की व्यवस्था की है, पर प्रत्येक आभूषण के अन्तर्गत एक गुण, सन्देश छिपा है।
नारी के आभूषण
- नथ
- टीका
- कर्णफ़ूल
- हँसली
- कण्ठहार
- कड़े
- छल्ले
- करघनी या कमरबंद
- पायल
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सलीम, एम. मजहर। परंपराओं के प्रतीक है आभूषण (हिन्दी) (एच.टी.एम) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 25 फ़रवरी, 2011।