उपोष्ण: Difference between revisions
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*दक्षिणी गोलार्द्ध का उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र, अधिकांशतः सागर पर स्थित है। इसलिए वह बहुत हद तक एक संतत क्षेत्र है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में वह परिमित और स्पष्ट कक्षों में विभाजित है। | *दक्षिणी गोलार्द्ध का उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र, अधिकांशतः सागर पर स्थित है। इसलिए वह बहुत हद तक एक संतत क्षेत्र है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में वह परिमित और स्पष्ट कक्षों में विभाजित है। | ||
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Revision as of 14:59, 21 April 2011
- भारत के निचले पर्वतीय क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से उपोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र माने जाते हैं।
- उत्तरी और दक्षिणी, दोनों, गोलार्द्धों में 300 और 350 अक्षांशों के बीच के क्षेत्र, जहां भूमध्यरेखीय द्रोणी से ऊपर उठने वाली पवन उतरती है।
- इन क्षेत्रों में सदैव उच्च दाब बना रहता है।
- इन क्षेत्रों से ही भूमध्य रेखा की ओर व्यापारी पवन और ध्रुवों की ओर पश्चिमी पवन बहती हैं। ये अपसरण क्षेत्र होते हैं। इनमें वायु की हलचल काफ़ी धीमी और क्षीण होती है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध का उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र, अधिकांशतः सागर पर स्थित है। इसलिए वह बहुत हद तक एक संतत क्षेत्र है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में वह परिमित और स्पष्ट कक्षों में विभाजित है।
- सम्पूर्ण वन को मुख्यत: तीन भागों में विभाजित किया गया हैं -
- आर्द्र पर्णपाती,
- शुष्क पर्णपाती
- मध्य भारतीय उपोष्ण कटिबंधीय पर्वतीय वन।
बाहरी कड़ियाँ
- उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र
- कैसे हो सर्दियों में उपोष्ण बगीचों का प्रबंधन
- सामान्य अध्ययन
- पियर्सन सामान्य अध्ययन
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टीका टिप्पणी और संदर्भ