अंकोरवाट: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (Adding category Category:विदेशी स्थान (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
Line 29: | Line 29: | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
[[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:विश्व_विरासत_स्थल]] [[Category:पर्यटन कोश]] | [[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:विश्व_विरासत_स्थल]] [[Category:पर्यटन कोश]] | ||
[[Category:विदेशी स्थान]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 07:30, 22 April 2011
- अंकोरवाट कम्बोडिया, जिसे पुराने लेखों में कम्बुज कहा गया है और भारत के प्राचीन सम्बन्धों का शानदार स्मारक है।
- अंकोरवाट मन्दिर अंकोरयोम नामक नगर में स्थित है, जिसे प्राचीन काल में यशोधरपुर कहा जाता था।
- अंकोरवाट जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल (1181-1205 ई.) में कम्बोडिया की राजधानी था।
- यह अपने समय में संसार के महान नगरों में गिना जाता था और इसका विशाल भव्य मन्दिर अंकोरवाट के नाम से आज भी विख्यात है।
- अंकोरवाट का निर्माण कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय (1049-66 ई.) ने कराया था और यह मन्दिर विष्णु को समर्पित है।
- यह मन्दिर एक ऊँचे चबूतरे पर स्थित है।
- इसमें तीन खण्ड हैं, जिसमें प्रत्येक में सुन्दर मूर्तियाँ हैं और प्रत्येक खण्ड से ऊपर के खण्ड तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ हैं।
- प्रत्येक खण्ड में आठ गुम्बज हैं। जिनमें से प्रत्येक 180 फ़ुट ऊँची है।
- मुख्य मन्दिर तीसरे खण्ड की चौड़ी छत पर है।
- उसका शिखर 213 फ़ुट ऊँचा है और यह पूरे क्षेत्र को गरिमा मंडित किये हुए है।
- मन्दिर के चारों ओर पत्थर की दीवार का घेरा है जो पूर्व से पश्चिम की ओर दो-तिहाई मील और उत्तर से दक्षिण की ओर आधे मील लम्बा है।
- इस दीवार के बाद 700 फ़ुट चौड़ी खाई है। जिस पर एक स्थान पर 36 फ़ुट चौड़ा पुल है। इस पुल से पक्की सड़क मन्दिर के पहले खण्ड द्वार तक चली गयी है।
- इस प्रकार की भव्य इमारत संसार के किसी अन्य स्थान पर नहीं मिलती है।
- भारत से सम्पर्क के बाद दक्षिण-पूर्वी एशिया में कला, वास्तुकला तथा स्थापत्यकला का जो विकास हुआ, उसका यह मन्दिर चरमोत्कृष्ट उदाहरण है।
|
|
|
|
|