बुंदेलखंड: Difference between revisions
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बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। इसका विस्तार मध्य प्रदेश तथा [[उत्तर प्रदेश]] में भी है। बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है, उसके कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा बन पड़ता है। अनेक शासकों और वंशों के शासन का इतिहास होने के बावजूद बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत है। बुंदेली माटी में जन्मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस अंचल का नाम | बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। इसका विस्तार मध्य प्रदेश तथा [[उत्तर प्रदेश]] में भी है। बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है, उसके कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा बन पड़ता है। अनेक शासकों और वंशों के शासन का इतिहास होने के बावजूद बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत है। बुंदेली माटी में जन्मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस अंचल का नाम ख़ूब रोशन किया और इतिहास में अमर हो गए। आल्हा-ऊदल, ईसुरी, कवि पद्माकर, [[झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई]], डॉ. हरिसिंह गौर आदि अनेक महान विभूतियाँ इसी क्षेत्र से संबद्ध हैं। बुंदेलखंड के ज्ञात इतिहास के अनुसार यहाँ 300 ई. पू. [[मौर्य काल|मौर्य]] शासनकाल के साक्ष्य उपलब्ध है। इसके पश्चात वाकाटक और [[गुप्त]] शासनकाल, कलचुरी|कलचुरी शासनकाल, चंदेल| चंदेल शासनकाल, बुंदेल शासनकाल (जिनमें ओरछा के बुंदेल भी शामिल थे), मराठा शासनकाल और अंग्रेजों के शासनकाल का उल्लेख मिलता है। | ||
Revision as of 04:32, 11 May 2010
बुंदेलखंड / Bundelkhand
बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। इसका विस्तार मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में भी है। बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है, उसके कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा बन पड़ता है। अनेक शासकों और वंशों के शासन का इतिहास होने के बावजूद बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत है। बुंदेली माटी में जन्मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस अंचल का नाम ख़ूब रोशन किया और इतिहास में अमर हो गए। आल्हा-ऊदल, ईसुरी, कवि पद्माकर, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, डॉ. हरिसिंह गौर आदि अनेक महान विभूतियाँ इसी क्षेत्र से संबद्ध हैं। बुंदेलखंड के ज्ञात इतिहास के अनुसार यहाँ 300 ई. पू. मौर्य शासनकाल के साक्ष्य उपलब्ध है। इसके पश्चात वाकाटक और गुप्त शासनकाल, कलचुरी|कलचुरी शासनकाल, चंदेल| चंदेल शासनकाल, बुंदेल शासनकाल (जिनमें ओरछा के बुंदेल भी शामिल थे), मराठा शासनकाल और अंग्रेजों के शासनकाल का उल्लेख मिलता है।