जगजीत सिंह अरोड़ा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}[[चित्र:Jagjit-Singh-Arora.jpg|thumb|250px|जगजीत सिंह अरोड़ा]]
{{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
जगजीत सिंह अरोड़ा (जन्म- [[13  फ़रवरी]], [[1916]], मृत्यु- [[3 मई]], [[2005]]) भारतीय सेना के कमांडर थे। उनका जन्म झेलम में हुआ था जो वर्तमान में [[पाकिस्तान]] में स्थित है। [[पाकिस्तान]] के साथ [[1971]] के युद्ध में उसे पूर्वी मोर्चे पर करारी मात देकर ‘[[बांग्लादेश]]’ नाम के नये देश को विश्व के मानचित्र में स्थापित करने वाले ‘हीरो’ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म [[1916]] ई. में हुआ था।  
|चित्र=Jagjit-Singh-Arora.jpg
|चित्र का नाम=जगजीत सिंह अरोड़ा
|पूरा नाम=जगजीत सिंह अरोड़ा
|अन्य नाम=लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा
|जन्म=[[13 फ़रवरी]], 1916
|जन्म भूमि=काला गुज्रन, झेलम ज़िला, [[पंजाब]]
|मृत्यु=[[3 मई]], 2005
|मृत्यु स्थान=[[नई दिल्ली]]
|मृत्यु कारण=
|अविभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|स्मारक=
|क़ब्र=
|नागरिकता=भारतीय
|प्रसिद्धि=
|धर्म=
|आंदोलन=
|जेल यात्रा=
|कार्य काल=1939 - 1973
|विद्यालय=
|शिक्षा=
|पुरस्कार-उपाधि=सन 1972 में पद्म भूषण
|विशेष योगदान=[[पाकिस्तान]] युद्ध 1971
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=सेवा
|पाठ 1=भारतीय सेना
|शीर्षक 2=यूनिट
|पाठ 2=2 पंजाब रेजिमेंट (1947 तक), पंजाब रेजिमेंट (1947 के बाद)
|अन्य जानकारी=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
 
'''जगजीत सिंह अरोड़ा''' (जन्म- [[13  फ़रवरी]], [[1916]], मृत्यु- [[3 मई]], [[2005]]) भारतीय सेना के कमांडर थे। उनका जन्म झेलम में हुआ था जो वर्तमान में [[पाकिस्तान]] में स्थित है। [[पाकिस्तान]] के साथ [[1971]] के युद्ध में उसे पूर्वी मोर्चे पर करारी मात देकर ‘[[बांग्लादेश]]’ नाम के नये देश को विश्व के मानचित्र में स्थापित करने वाले ‘हीरो’ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म [[1916]] ई. में हुआ था।  
====सेना नायकत्त्व====
====सेना नायकत्त्व====
[[1938]] ई. में उन्हें सेना में कमीशन मिला और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय वे पूर्वी मोर्चे पर थे। डिफेंस कॉलेज के प्रशिक्षण के बाद वे मेजर जनरल के रूप में तोपखाना डिवीजन के कमाण्डर बने। [[1964]] में जनरल ऑफ़ीसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई। उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में वहाँ की सेना के अत्याचारों से त्रसित लगभग एक करोड़ [[बंगाल]] निवासियों को [[भारत]] में शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ा, तो [[भारत]] वहाँ की ‘मुक्ति सेना’ की सहायता के लिए आगे बढ़ा। इस पर पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह का साहस और रण कौशल सामने आया। पाकिस्तान की लगभग एक लाख सेना को चारों ओर से घेरकर और उस पर सैनिक और मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर उन्होंने उसे आत्मसमर्पण के लिए बाध्य कर दिया। पाकिस्तान के सेनानायक लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी को समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर करके जगजीत सिंह के सामने झुकना पड़ा और नया देश ‘[[बांग्लादेश]]’ अस्तित्त्व में आया। जगजीत अरोड़ा के सेना नायकत्त्व में यह भारत की एक बड़ी सफलता थी। 80 हज़ार से अधिक पाकिस्तानी सैनिक बन्दी बनाकर भारत लाए गए थे।<ref>{{cite book | last =लीलाधर | first =शर्मा  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय  | language =[[हिन्दी]]  | pages =290| chapter = }}</ref>
[[1938]] ई. में उन्हें सेना में कमीशन मिला और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय वे पूर्वी मोर्चे पर थे। डिफेंस कॉलेज के प्रशिक्षण के बाद वे मेजर जनरल के रूप में तोपखाना डिवीजन के कमाण्डर बने। [[1964]] में जनरल ऑफ़ीसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई। उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में वहाँ की सेना के अत्याचारों से त्रसित लगभग एक करोड़ [[बंगाल]] निवासियों को [[भारत]] में शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ा, तो [[भारत]] वहाँ की ‘मुक्ति सेना’ की सहायता के लिए आगे बढ़ा। इस पर पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह का साहस और रण कौशल सामने आया। पाकिस्तान की लगभग एक लाख सेना को चारों ओर से घेरकर और उस पर सैनिक और मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर उन्होंने उसे आत्मसमर्पण के लिए बाध्य कर दिया। पाकिस्तान के सेनानायक लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी को समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर करके जगजीत सिंह के सामने झुकना पड़ा और नया देश ‘[[बांग्लादेश]]’ अस्तित्त्व में आया। जगजीत अरोड़ा के सेना नायकत्त्व में यह भारत की एक बड़ी सफलता थी। 80 हज़ार से अधिक पाकिस्तानी सैनिक बन्दी बनाकर भारत लाए गए थे।<ref>{{cite book | last =लीलाधर | first =शर्मा  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय  | language =[[हिन्दी]]  | pages =290| chapter = }}</ref>

Revision as of 10:57, 14 December 2011

जगजीत सिंह अरोड़ा
पूरा नाम जगजीत सिंह अरोड़ा
अन्य नाम लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा
जन्म 13 फ़रवरी, 1916
जन्म भूमि काला गुज्रन, झेलम ज़िला, पंजाब
मृत्यु 3 मई, 2005
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
नागरिकता भारतीय
कार्य काल 1939 - 1973
पुरस्कार-उपाधि सन 1972 में पद्म भूषण
विशेष योगदान पाकिस्तान युद्ध 1971
सेवा भारतीय सेना
यूनिट 2 पंजाब रेजिमेंट (1947 तक), पंजाब रेजिमेंट (1947 के बाद)

जगजीत सिंह अरोड़ा (जन्म- 13 फ़रवरी, 1916, मृत्यु- 3 मई, 2005) भारतीय सेना के कमांडर थे। उनका जन्म झेलम में हुआ था जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है। पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में उसे पूर्वी मोर्चे पर करारी मात देकर ‘बांग्लादेश’ नाम के नये देश को विश्व के मानचित्र में स्थापित करने वाले ‘हीरो’ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म 1916 ई. में हुआ था।

सेना नायकत्त्व

1938 ई. में उन्हें सेना में कमीशन मिला और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय वे पूर्वी मोर्चे पर थे। डिफेंस कॉलेज के प्रशिक्षण के बाद वे मेजर जनरल के रूप में तोपखाना डिवीजन के कमाण्डर बने। 1964 में जनरल ऑफ़ीसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई। उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में वहाँ की सेना के अत्याचारों से त्रसित लगभग एक करोड़ बंगाल निवासियों को भारत में शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ा, तो भारत वहाँ की ‘मुक्ति सेना’ की सहायता के लिए आगे बढ़ा। इस पर पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह का साहस और रण कौशल सामने आया। पाकिस्तान की लगभग एक लाख सेना को चारों ओर से घेरकर और उस पर सैनिक और मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर उन्होंने उसे आत्मसमर्पण के लिए बाध्य कर दिया। पाकिस्तान के सेनानायक लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी को समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर करके जगजीत सिंह के सामने झुकना पड़ा और नया देश ‘बांग्लादेश’ अस्तित्त्व में आया। जगजीत अरोड़ा के सेना नायकत्त्व में यह भारत की एक बड़ी सफलता थी। 80 हज़ार से अधिक पाकिस्तानी सैनिक बन्दी बनाकर भारत लाए गए थे।[1]

मृत्यु

जगजीत सिंह अरोड़ा की मृत्यु 3 मई, 2005 को नई दिल्ली में हुई थी।

पुरस्कार

जगजीत सिंह अरोड़ा को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 290।