अफ़ज़ल ख़ाँ: Difference between revisions
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Revision as of 10:32, 15 May 2010
अफ़ज़ल खाँ बीजापुर के सुल्तान का सेनापति था। जिसे लगभग 15,000 सैनिकों के साथ शिवाजी का दमन करने के लिए भेजा गया था। जो उस समय विद्रोही शक्ति के रूप में उभर रहे थे। प्रारम्भ में अफ़ज़ल खाँ सफलता प्राप्त करता हुआ 15 दिनों के भीतर सतारा से 20 मील दूर वाई नामक स्थान तक पहुँच गया। लेकिन शिवाजी प्रतापगढ़ क़िले में सुरक्षित थे। जब अफ़ज़ल खाँ शिवाजी को उस क़िले से बाहर निकालने में सफल नहीं हुआ तो उसने सुलह की बात चलायी और दोनों के एक खेमे में मिलने की बात तय हुई।
शिवाजी को अफ़ज़ल खाँ की ओर से धोखेबाजी का संदेह था, इसलिए उन्होंने कपड़ों के नीचे बख्तर पहन लिया और अपने हाथ में बघनखा लगा लिया था ताकि अफ़ज़ल खाँ की ओर से घात होने पर उसका प्रतिकार कर सकें। जब शिवाजी अफ़ज़ल खाँ से मिले तो उसने शिवाजी को अपनी बाहों में भर लिया और इतना कसकर दबाया कि जिससे शिवाजी का दम घुट जाय। शिवाजी ने अपने पंजे में लगे बघनखा से अफ़ज़ल खाँ का पेट फाड़ दिया और उसे मार डाला। उसके बाद मराठों ने खुले युद्ध में बीजापुर की फौज को पराजित कर दिया।