भारतकोश:Quotations/रविवार: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
*राष्ट्रीयता भी सत्य है और मानव जाति की एकता भी सत्य है । इन दोनों सत्यों के सामंजस्य में ही मानव जाति का कल्याण है। - अरविन्द (कर्मयोगी) 
*तिलक-गीता का पूर्वार्द्ध है ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’, और उसका उत्तरार्द्ध है ‘स्वदेशी हमारा जन्मसिद्ध कर्तव्य है’। स्वदेशी को लोकमान्य बहिष्कार से भी ऊँचा स्थान देते थे। -[[महात्मा गाँधी]]
*अंतर्राष्ट्रीयता तभी पनप सकती है जब राष्ट्रीयता का सुदृढ़ आधार हो।  - श्यामाप्रसाद मुखर्जी  [[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]
*अंतर्राष्ट्रीयता तभी पनप सकती है जब राष्ट्रीयता का सुदृढ़ आधार हो।  - श्यामाप्रसाद मुखर्जी  [[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]

Latest revision as of 06:41, 14 July 2011

  • तिलक-गीता का पूर्वार्द्ध है ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’, और उसका उत्तरार्द्ध है ‘स्वदेशी हमारा जन्मसिद्ध कर्तव्य है’। स्वदेशी को लोकमान्य बहिष्कार से भी ऊँचा स्थान देते थे। -महात्मा गाँधी
  • अंतर्राष्ट्रीयता तभी पनप सकती है जब राष्ट्रीयता का सुदृढ़ आधार हो। - श्यामाप्रसाद मुखर्जी .... और पढ़ें