आंवला: Difference between revisions
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आंवले का पेड़ 6 से 8 मीटर ऊंचा होता है तथा इसका तना टेढ़ा-मेढ़ा और 150 से 300 सेमी तक मोटा होता है। आंवले के पेड़ की छाल पतली और परत छोड़ती हुई होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। फरवरी-मई में इस पेड़ पर फूल लगने शुरू होते हैं तथा अक्टूबर से अप्रैल तक फल मिलते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के गूदेदार हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। खरबूजे की भांति फल पर 6 रेखाएं 6 खंडों का प्रतीक होती हैं। फल की गुठली में 6 कोष (षट्कोषीय बीज) होते हैं, छोटे आंवलों में गूदा कम, रेशेदार और गुठली बड़ी होती है, औषधीय प्रयोग के लिए छोटे आंवले ही अधिक उपयुक्त होते हैं। | आंवले का पेड़ 6 से 8 मीटर ऊंचा होता है तथा इसका तना टेढ़ा-मेढ़ा और 150 से 300 सेमी तक मोटा होता है। आंवले के पेड़ की छाल पतली और परत छोड़ती हुई होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। फरवरी-मई में इस पेड़ पर फूल लगने शुरू होते हैं तथा अक्टूबर से अप्रैल तक फल मिलते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के गूदेदार हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। खरबूजे की भांति फल पर 6 रेखाएं 6 खंडों का प्रतीक होती हैं। फल की गुठली में 6 कोष (षट्कोषीय बीज) होते हैं, छोटे आंवलों में गूदा कम, रेशेदार और गुठली बड़ी होती है, औषधीय प्रयोग के लिए छोटे आंवले ही अधिक उपयुक्त होते हैं। | ||
आंवला (Emblic Myrobalan, Indian Gooseberry, Emblica Officinalis) शीतल (ठंडी) प्रकृति का होता है। आंवला युवकों को यौवन और बड़ों को युवा जैसी शक्ति प्रदान करता है। एक टॉनिक के रूप में आंवला शरीर और स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। दिमागी परिश्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। कसैला आंवला खाने के बाद पानी पीने पर मीठा लगता है। | |||
आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है। इसमें आंवले की अधिकता के कारण ही विटामिन `सी´ भरपूर होता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और केश (बालों) के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है। संक्रमण से बचाने, मसूढ़ों को स्वस्थ रखने, घाव भरने और खून बनाने में भी विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। | |||
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आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है। तुलसी की तरह आंवले का पेड़ भी धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। स्त्रियां इसकी पूजा भी करती हैं।
आंवले का पेड़ 6 से 8 मीटर ऊंचा होता है तथा इसका तना टेढ़ा-मेढ़ा और 150 से 300 सेमी तक मोटा होता है। आंवले के पेड़ की छाल पतली और परत छोड़ती हुई होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। फरवरी-मई में इस पेड़ पर फूल लगने शुरू होते हैं तथा अक्टूबर से अप्रैल तक फल मिलते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के गूदेदार हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। खरबूजे की भांति फल पर 6 रेखाएं 6 खंडों का प्रतीक होती हैं। फल की गुठली में 6 कोष (षट्कोषीय बीज) होते हैं, छोटे आंवलों में गूदा कम, रेशेदार और गुठली बड़ी होती है, औषधीय प्रयोग के लिए छोटे आंवले ही अधिक उपयुक्त होते हैं।
आंवला (Emblic Myrobalan, Indian Gooseberry, Emblica Officinalis) शीतल (ठंडी) प्रकृति का होता है। आंवला युवकों को यौवन और बड़ों को युवा जैसी शक्ति प्रदान करता है। एक टॉनिक के रूप में आंवला शरीर और स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। दिमागी परिश्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। कसैला आंवला खाने के बाद पानी पीने पर मीठा लगता है।
आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है। इसमें आंवले की अधिकता के कारण ही विटामिन `सी´ भरपूर होता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और केश (बालों) के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है। संक्रमण से बचाने, मसूढ़ों को स्वस्थ रखने, घाव भरने और खून बनाने में भी विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
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