आंवला: Difference between revisions

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शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है। आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता है लेकिन शहद के साथ सेवन करने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। मात्रा :- आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर। चूर्ण 5 से 10 ग्राम।
शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है। आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता है लेकिन शहद के साथ सेवन करने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। मात्रा :- आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर। चूर्ण 5 से 10 ग्राम।
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|आमलकी, आमला, आंगला।
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Revision as of 12:26, 16 July 2011

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आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है। तुलसी की तरह आंवले का पेड़ भी धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। स्त्रियां इसकी पूजा भी करती हैं।

आंवले का पेड़ 6 से 8 मीटर ऊंचा होता है तथा इसका तना टेढ़ा-मेढ़ा और 150 से 300 सेमी तक मोटा होता है। आंवले के पेड़ की छाल पतली और परत छोड़ती हुई होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। फरवरी-मई में इस पेड़ पर फूल लगने शुरू होते हैं तथा अक्टूबर से अप्रैल तक फल मिलते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के गूदेदार हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। खरबूजे की भांति फल पर 6 रेखाएं 6 खंडों का प्रतीक होती हैं। फल की गुठली में 6 कोष (षट्कोषीय बीज) होते हैं, छोटे आंवलों में गूदा कम, रेशेदार और गुठली बड़ी होती है, औषधीय प्रयोग के लिए छोटे आंवले ही अधिक उपयुक्त होते हैं।

आंवला (Emblic Myrobalan, Indian Gooseberry, Emblica Officinalis) शीतल (ठंडी) प्रकृति का होता है। आंवला युवकों को यौवन और बड़ों को युवा जैसी शक्ति प्रदान करता है। एक टॉनिक के रूप में आंवला शरीर और स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। दिमागी परिश्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। कसैला आंवला खाने के बाद पानी पीने पर मीठा लगता है।

आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है। इसमें आंवले की अधिकता के कारण ही विटामिन `सी´ भरपूर होता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और केश (बालों) के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है। संक्रमण से बचाने, मसूढ़ों को स्वस्थ रखने, घाव भरने और खून बनाने में भी विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है। आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता है लेकिन शहद के साथ सेवन करने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। मात्रा :- आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर। चूर्ण 5 से 10 ग्राम।

विभिन्न भाषाओं में आंवला का नाम
भाषा नाम
हिन्दी आंवला, आमला, आंवरा।
अंग्रेज़ी एमब्लिक माइरोबेलन, इंडियन गोसबेरी।
संस्कृत आमलकी, धात्री, शिवा।
मराठी आंवली, आंवलकांटी, आंवला।
गुजराती आंवला, आमला।
बंगाली आमलकी, आमला, आंगला।
तेलगू असरिकाय, उशीरिकई।
कन्नड़ निल्लकाय, नेल्लि।
द्राविड़ी नेल्लिक्काय्, अमृत फल, वयस्था।
अरबी आमलन्।
लैटिन एमब्लिका ऑफिसिनेलिस।


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