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अर्थ - तुलसीदास जी कहते हैं कि खेती ऐसे ऊंचे स्थानों पर करनी चाहिए जहां पर सांप रहते हों, पहाड़ों के ढाल पर उंख हो, वहीं पर अन्न और पान की अच्छी फसल होती है।  
अर्थ - तुलसीदास जी कहते हैं कि खेती ऐसे ऊंचे स्थानों पर करनी चाहिए जहां पर सांप रहते हों, पहाड़ों के ढाल पर उंख हो, वहीं पर अन्न और पान की अच्छी फसल होती है।  
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|5-असाढ़ जोतो लड़के ढार, सावन भादों हरवा है<br />
क्वार जोतो घर का बैल, तब ऊंचे उनहारे।
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अर्थ -किसान को आषाढ माह में साधारण जुताई करनी चाहिए, सावन भादों में अधिक, परन्तु क्वार में बहुत अधिक जुताई करें कि दिन-रात का ध्यान ना रहे, तभी अच्छी और ज़्यादा उपज होगी।
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|6-अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि।<br />
चंदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि।।
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अर्थ - यदि द्वितीया का चन्द्रमा, आर्द्रा नक्षत्र, कृत्तिका, श्लेषा या मघा में अथवा भद्रा में उगे तो मनुष्य सुखी रहते हैं।
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|-7- अखै तीज तिथि के दिना, गुरु होवे संजूत।<br />
तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।।
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अर्थ - अगर वैशाख में अक्षय तृतीया को गुरुवार पड़े तो खूब अन्न पैदा होगा।
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|8-असुनी नलिया अन्त विनासै। गली रेवती जल को नासै।।<br />
भरनी नासै तृनौ सहूतो। कृतिका बरसै अन्त बहूतो।।
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अर्थ - अगर चैत माह में अश्विनी नक्षत्र में बारिश हो तो वर्षा ऋतु के अन्त में झुरा पड़ेगा; रेतवी नक्षत्र बरसे तो वर्षा नाम मात्र की होगी;  भरणी नक्षत्र बरसे तो घास भी सूख जाएगी और कृतिका नक्षत्र बरसे तो अच्छी वर्षा होगी।
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|9-असाढ़ मास आठें अंधियारी। जो निकले बादर जल धारी।।<br />
चन्दा निकले बादर फोड़। साढ़े तीन मास वर्षा का जोग।।
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अर्थ - अगर आषाढ़ माह की अष्टमी को अन्धकार छाया हुआ हो और चन्द्रमा बादलों से निकले तो बहुत आनन्ददायी वर्षा होगी और पृथ्वी पर आनन्द की बारिश सी होगी।
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|10- असाढ़ मास पूनो दिवस, बादल घेरे चन्द्र।<br />
तो भड्डरी जोसी कहैं, होवे परम अनन्द।।
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अर्थ - अगर आषाढ़ माह की पूर्णिमा को चन्द्रमा बादलों से ढ़का रहे तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि उस वर्ष आनन्द ही आनन्द रहेगा।
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|11- अंधा बाँटे रेवड़ी (शीरनी), फिर-फिर अपनों को दे।
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अर्थ - अपने अधिकार का लाभ सिर्फ अपनों को ही पहुँचाना।
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Revision as of 13:05, 9 May 2010

मिजोरम
मिजोरम प्रदेश के ज़िले

आइजोल ज़िला . चम्फाई ज़िला . कोलासिब ज़िला . ममित ज़िला . लुंगलेई ज़िला . लॉन्ग्तलाई ज़िला . सइहा ज़िला . सेरछिप ज़िला


कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।।
कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1-अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम,
दास मलूका कह गए सब के दाता राम ..।

अर्थ - अजगर को किसी की नौकरी नहीं करनी होती और पक्षी को भी कोई काम नहीं करना होता, ईश्वर ही सबका पालनहार है, इसलिए कोई भी काम मत करो ईश्वर स्वयं देगा। आलसी लोगों के लिए श्री मलूकदास जी का ये कथन बहुत ही उचित है !

2-असाढ़ जोतो लड़के ढार, सावन भादों हरवा है

क्वार जोतो घर का बैल, तब ऊंचे उनहारे।

अर्थ -किसान को आषाढ माह में साधारण जुताई करनी चाहिए, सावन भादों में अधिक, परन्तु क्वार में बहुत अधिक जुताई करें कि दिन-रात का ध्यान ना रहे, तभी अच्छी और ज़्यादा उपज होगी।

3-अधजल गगरी छलकत जाय

अर्थ - जो व्यक्ति बहुत कम जानता, वह विद्वान ही होने का दिखावा ज्यादा करता है।

4-अति ऊंचे भू-धारन पर भुजगन के स्थान

तुलसी अति नीचे सुखद उंख अन्न असपान।

अर्थ - तुलसीदास जी कहते हैं कि खेती ऐसे ऊंचे स्थानों पर करनी चाहिए जहां पर सांप रहते हों, पहाड़ों के ढाल पर उंख हो, वहीं पर अन्न और पान की अच्छी फसल होती है।

5-असाढ़ जोतो लड़के ढार, सावन भादों हरवा है

क्वार जोतो घर का बैल, तब ऊंचे उनहारे।

अर्थ -किसान को आषाढ माह में साधारण जुताई करनी चाहिए, सावन भादों में अधिक, परन्तु क्वार में बहुत अधिक जुताई करें कि दिन-रात का ध्यान ना रहे, तभी अच्छी और ज़्यादा उपज होगी।

6-अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि।

चंदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि।।

अर्थ - यदि द्वितीया का चन्द्रमा, आर्द्रा नक्षत्र, कृत्तिका, श्लेषा या मघा में अथवा भद्रा में उगे तो मनुष्य सुखी रहते हैं।

अर्थ - अगर वैशाख में अक्षय तृतीया को गुरुवार पड़े तो खूब अन्न पैदा होगा।

8-असुनी नलिया अन्त विनासै। गली रेवती जल को नासै।।

भरनी नासै तृनौ सहूतो। कृतिका बरसै अन्त बहूतो।।

अर्थ - अगर चैत माह में अश्विनी नक्षत्र में बारिश हो तो वर्षा ऋतु के अन्त में झुरा पड़ेगा; रेतवी नक्षत्र बरसे तो वर्षा नाम मात्र की होगी; भरणी नक्षत्र बरसे तो घास भी सूख जाएगी और कृतिका नक्षत्र बरसे तो अच्छी वर्षा होगी।

9-असाढ़ मास आठें अंधियारी। जो निकले बादर जल धारी।।

चन्दा निकले बादर फोड़। साढ़े तीन मास वर्षा का जोग।।

अर्थ - अगर आषाढ़ माह की अष्टमी को अन्धकार छाया हुआ हो और चन्द्रमा बादलों से निकले तो बहुत आनन्ददायी वर्षा होगी और पृथ्वी पर आनन्द की बारिश सी होगी।

10- असाढ़ मास पूनो दिवस, बादल घेरे चन्द्र।

तो भड्डरी जोसी कहैं, होवे परम अनन्द।।

अर्थ - अगर आषाढ़ माह की पूर्णिमा को चन्द्रमा बादलों से ढ़का रहे तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि उस वर्ष आनन्द ही आनन्द रहेगा।

11- अंधा बाँटे रेवड़ी (शीरनी), फिर-फिर अपनों को दे।

अर्थ - अपने अधिकार का लाभ सिर्फ अपनों को ही पहुँचाना।