कहावत लोकोक्ति मुहावरे-प: Difference between revisions
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हारे-जीते कुछ नहीं लाजा। | |||
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अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेदारी एक पर नहीं आती। | अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेदारी एक पर नहीं आती। |
Revision as of 10:16, 15 May 2010
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कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ |
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1- पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली ही सही। |
अर्थ - सर्वसम्मति से जो काम हो जाए, वही ठीक। |
2- पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा। |
अर्थ - दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना। |
3- पकाई खीर पर हो गया दलिया। |
अर्थ - दुर्भाग्य। |
4- पगड़ी रख,घी चख। |
अर्थ - मान–सम्मान से ही जीवन का आनंद है। |
5- पढ़े तो हैं गुने नहीं। |
अर्थ - पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन। |
6- पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल। |
अर्थ - गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिला है। |
7- पत्थर को जोंक नहीं लगती। |
अर्थ - निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता। |
8- पत्थर मोम नहीं होता। |
अर्थ - निर्मम आदमी में दया नहीं होती। |
9- पराया धर थूकने का भी डर। |
अर्थ - दूसरे के घर में संकोच रहता है। |
10- पराये धन पर लक्ष्मी नारायण। |
अर्थ - दूसरे के धन पर गुलछर्रे उड़ाना। |
11- पहले तोलो, पीछे बोलो। |
अर्थ - बात समझ-सोचकर करनी चाहिए। |
12- पाँच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कुछ नहीं लाजा। |
अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेदारी एक पर नहीं आती। |
13- पाँचों उँगलियाँ घी में। |
अर्थ - सब लाभ ही लाभ। |
14- पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं। |
अर्थ - सब आदमी एक जैसे नहीं होते। |
15- पाँचों सवारों में मिलना। |
अर्थ - अपने को बड़े व्यक्तियों में गिनना। |
16- पागलों के क्या सींग होते हैं। |
अर्थ - पागल भी साधारण लोगों में होते हैं। |
17- पानी पीकर जात पूछते हो। |
अर्थ - काम करने के बाद उसके अच्छे - बुरे पहलुओं पर विचार क्यों ? |
18- पाप का घड़ा भरकर डूबता है। |
अर्थ - पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है। |
19- पिया गए परदेश, अब डर काहे का। |
अर्थ - जब कोई निगरानी करने वाला न हो, तो मौज उड़ाना। |
20- पीर बावर्ची भिस्ती खर। |
अर्थ - सब तरह का काम एक को करना पड़ता है। |
21- पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं। |
अर्थ - भविष्य क्या होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है। |
22- पूत सपूत तो काहे धन संचै, पूत कपूत तो काहे धन संचै। |
अर्थ - धन का संचय अच्छा, नहीं। |
23- पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन। |
अर्थ - भाग्य और स्वभाव सब स्थान साथ रहता है। |
24- पेड़ फल से जाना जाता है। |
अर्थ - कर्म का महत्व उसके परिणाम से होता है। |
25- पैसा गाँठ का, जोरू साथ की। |
अर्थ - अपने पास पैसा और पत्नी हो तो जीवन सुखी रहता है। |
26- प्यासा कुएँ के पास जाता है। |
अर्थ - जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है।। |