बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-6 ब्राह्मण-1: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{बृहदारण्यकोपनिषद}}") |
||
Line 15: | Line 15: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{बृहदारण्यकोपनिषद}} | |||
[[Category:बृहदारण्यकोपनिषद]] | [[Category:बृहदारण्यकोपनिषद]] | ||
[[Category:दर्शन कोश]] | [[Category:दर्शन कोश]] |
Revision as of 07:23, 8 September 2011
- बृहदारण्यकोपनिषद के अध्याय छठा का यह प्रथम ब्राह्मण है।
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- यहाँ 'प्राण' की सर्वश्रेष्ठता का प्रतिपादन किया गया है।
- छान्दोग्य उपनिषद में भी इसी भांति 'प्राणतत्त्व' की श्रेष्ठता दर्शायी गयी है।
- अन्य सभी इन्द्रियों से 'प्राण' ही सर्वश्रेष्ठ हैं।
- छान्दोग्य उपनिषद के पांचवे अध्याय में भी इसका वर्नन है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख