लोपामुद्रा: Difference between revisions
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Revision as of 10:29, 29 May 2010
विदर्भराज की कन्या जिसका विवाह अगस्त्य मुनि के साथ हुआ था। महाभारत की कथा के अनुसार अगस्त्य मुनि को अपने पितरों की मुक्ति के लिए विवाह करने की इच्छा हुई। अपने योग्य कोई कन्या न मिलने पर उन्होंने विभिन्न जंतुओं का उत्तमांश लेकर एक कन्या की रचना की और उसे संतान के लिए आतुर विदर्भराज को दे दिया। यही लोपामुद्रा थी। लोपामुद्रा के युवती होने पर अगस्त्य ने उससे विवाह करने की इच्छा प्रकट की। राजा मुनि को कन्या नहीं देना चाहता था, पर उसे शाप का भी डर था। इस पर लोपामुद्रा ने पिता से कहा- मुझे मुनि को देकर आप अपनी रक्षा करें। अगस्त्य और लोपामुद्रा का विवाह हो गया। इनका इध्मवाहन नाम का पुत्र हुआ। ॠग्वेद में लोपामुद्रा का उल्लेख एक मन्त्रद्रष्टा विदुषी के रूप में आया है। दक्षिण भारत में इसे मलयध्वज नाम के पांड्य राजा की पुत्री बताया जाता है। वहाँ इसका नाम कृष्णेक्षणा है।