वतन पे जो फ़िदा होगा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} {| class="bharattable-pink" align="right" |+ संक्षिप्त परिचय |- | * फ़ि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 6: Line 6:
* फ़िल्म : फूल बने अंगारे (1963)
* फ़िल्म : फूल बने अंगारे (1963)
* संगीतकार : कल्याणजी-आनंदजी
* संगीतकार : कल्याणजी-आनंदजी
* गायक : मो. रफ़ी
* गायक : [[मोहम्मद रफ़ी|मो. रफ़ी]]
* गीतकार: साहिर लुधिंवी
* गीतकार: [[साहिर लुधियानवी]]
* फ़िल्मांकन: माला सिन्हा, राजकुमार
* फ़िल्मांकन: [[माला सिन्हा]], [[राज कुमार]]
|}
|}
{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
Line 51: Line 51:




{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
Line 58: Line 58:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{देश भक्ति गीत}}
[[Category:नया पन्ना दिसंबर-2011]]
[[Category:फ़िल्मी गीत]]
 
[[Category:देश भक्ति गीत]]
[[Category:संगीत]]
[[Category:संगीत कोश]]
[[Category:सिनेमा]]
[[Category:सिनेमा कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:देश_भक्ति_गीत]]
__NOTOC__

Revision as of 14:35, 4 November 2012

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
संक्षिप्त परिचय

हिमाला की बुलन्दी से, सुनो आवाज़ है आयी
कहो माँओं से दें बेटे, कहो बहनों से दें भाई

वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा
रहेगी जब तलक दुनिया, यह अफ़साना बयाँ होगा
वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा

हिमाला कह रहा है इस वतन के नौजवानों से
खड़ा हूँ संतरी बनके मैं सरहद पे ज़मानों से
भला इस वक़्त देखूँ कौन मेरा पासबाँ होगा
वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा

चमन वालों की ग़ैरत को है सैय्यादों ने ललकारा
उठो हर फूल से कह दो कि बन जाये वो अंगारा
नहीं तो दोस्तों रुसवा, हमारा गुलसिताँ होगा

वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा
वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा
रहेगी जब तलक दुनिया, यह अफ़साना बयाँ होगा
वतन पे जो फ़िदा होगा अमर वो नौजवाँ होगा

हमारे एक पड़ोसी ने, हमारे घर को लूटा है
हमारे एक पड़ोसी ने, हमारे घर को लूटा है
भरम इक दोस्त की बस दोस्ती का ऐसे टूटा है
कि अब हर दोस्त पे दुनिया को दुश्मन का गुमाँ होगा
वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा

सिपाही देते हैं आवाज़, माताओं को, बहनों को
हमें हथियार ले दो, बेच डालो अपने गहनों को
कि इस क़ुर्बानी पे क़ुर्बां वतन का हर जवाँ होगा

वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा
रहेगी जब तलक दुनिया, यह अफ़साना बयाँ होगा
वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख