प्रतापगढ़ ज़िला: Difference between revisions
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प्रतापगढ़ भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक ज़िला है। प्रतापगढ़ को बेला, बेल्हा, परतापगढ़, या प्रताबगढ़ भी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफ़ी | प्रतापगढ़ भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक ज़िला है। प्रतापगढ़ को बेला, बेल्हा, परतापगढ़, या प्रताबगढ़ भी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह ज़िला सुल्तानपुर एवं इलाहाबाद ज़िले के उत्तर, [[जौनपुर ज़िला]] के पूर्व, [[फतेहपुर ज़िला]] के पश्चिम और [[रायबरेली ज़िला]] के उत्तर-पूर्व से घिरा हुआ है। यहां का ज़िला मुख्यालय बेला स्थित है। जिस कारण इस जगह का बेला प्रतापगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। प्रतापगढ़ की स्थापना यहाँ के राजा प्रताप सिंह ने की थी। प्रतापसिंह ने 17वीं शताब्दी के दौरान यहाँ पर शासन किया था। इस जगह पर उन्होंने एक क़िले का निर्माण भी करवाया था। जिसके बाद उनके नाम पर इस जगह का नाम प्रतापगढ़ रखा गया था। | ||
==भौगोलिक स्थिति== | ==भौगोलिक स्थिति== |
Revision as of 13:46, 9 April 2012
प्रतापगढ़ ज़िला
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राज्य | उत्तर प्रदेश |
मुख्यालय | प्रतापगढ़ |
स्थापना | सन 1617 |
जनसंख्या | 27,31,000[1] |
क्षेत्रफल | 3717 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 25°34', 26°11' उत्तरी अक्षांश और 81°19' और 82°27' पूर्व देशांतर |
तहसील | 5 (रानीगंज, कुण्डा, लालगंज, पट्टी और सदर) |
लोकसभा | प्रतापगढ़ |
क़स्बे | 7 |
मुख्य पर्यटन स्थल | लालगंज, कटरा गुलाब सिंह, बेलखरनाथ मंदिर और चन्द्रिका देवी मंदिर |
आबादी रहित ग्राम | 37 |
आबाद ग्राम | 2182 |
नगर पंचायत | 171 |
ग्राम पंचायत | 1105 |
· ग्रीष्म | 45.6 अधिकतम |
· शरद | 3.3 न्यूनतम |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 18:12, 30 नवम्बर 2011 (IST)
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प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। प्रतापगढ़ को बेला, बेल्हा, परतापगढ़, या प्रताबगढ़ भी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह ज़िला सुल्तानपुर एवं इलाहाबाद ज़िले के उत्तर, जौनपुर ज़िला के पूर्व, फतेहपुर ज़िला के पश्चिम और रायबरेली ज़िला के उत्तर-पूर्व से घिरा हुआ है। यहां का ज़िला मुख्यालय बेला स्थित है। जिस कारण इस जगह का बेला प्रतापगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। प्रतापगढ़ की स्थापना यहाँ के राजा प्रताप सिंह ने की थी। प्रतापसिंह ने 17वीं शताब्दी के दौरान यहाँ पर शासन किया था। इस जगह पर उन्होंने एक क़िले का निर्माण भी करवाया था। जिसके बाद उनके नाम पर इस जगह का नाम प्रतापगढ़ रखा गया था।
भौगोलिक स्थिति
ज़िला 25° 34' और 26° 11' उत्तरी अक्षांश के बीच समानताएं और 81° 19' और 82° 27' पूर्व देशांतर कुछ 110 किमी के लिए विस्तार के बीच स्थित है। पश्चिम से पूर्व की यह उत्तर दक्षिण में ज़िले के सुल्तानपुर, इलाहाबाद द्वारा जौनपुर द्वारा पूर्व में, पश्चिम पर फतेहपुर और रायबरेली द्वारा उत्तर - पूर्व से घिरा हुआ है। गंगा और बकुलाही और सई नदी इस ज़िले में बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।
ऐतिहासिक स्थल
लालगंज
लालगंज प्रतापगढ़ ज़िले के प्रमुख शहरों में से एक है। यह शहर प्रतापगढ़ के पश्चिम से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। रणजीतपुर फॉरेस्ट की सीमा पर स्थित सेन दाता की कुटी यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों मे से है। यह स्थान एक ख़ूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
कटरा गुलाब सिंह
कटरा गुलाब सिंह बाज़ार प्रतापगढ़ मुख्यालय से 30 किलोमीटर और जेठवारा से 12 किलोमीटर की दूरी पर बकुलाही नदी में तट पर मुख्यालय के दक्षिणी सीमा पर स्थित है। 18वीं शताब्दी के महान क्रांतिकारी बाबू गुलाब सिंह ने इस बाज़ार को बसाया था। महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहाँ ठहरे थे और इसी ग्राम के निकट बकुलाही नदी के तट पर भीम ने राक्षस बकासुर का वध किया था। प्रतापगढ़ के मुख्य पर्यटक स्थलों के रूप में विख्यात पांडवकालीन प्राचीन मंदिर बाबा भयहरण नाथ धाम कटरा गुलाब सिंह बाज़ार के पूर्व में स्थित है।
बेलखरनाथ मंदिर
बेलखरनाथ मंदिर प्रतापगढ़ ज़िले के पट्टी में स्थित है। सई नदी के तट पर स्थित बेलखरनाथ मंदिर ज़िला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। भगवान शिव को समर्पित बेलखरनाथ मंदिर इस ज़िले के प्राचीन मंदिरों में से है। प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
चन्द्रिका देवी मंदिर
संडवा चन्द्रिका गांव स्थित चन्द्रिका देवी मंदिर ज़िला मुख्यालय से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर चन्द्रिका देवी को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष चैत्र माह (फरवरी-मार्च) और अश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) माह में चन्द्रिका देवी मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
भाषाएँ
ज़िले में अधिक बोली जाने वाली और लोकप्रिय भाषा अवधी है। अवध क्षेत्र में मुख्य रूप से 38 लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी - उर्दू भी शामिल हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ