भारत की जनसंख्या: Difference between revisions
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समाचार
भारत की जनसंख्या बढ़कर हुई 121 करोड़
- गुरुवार, 31 मार्च, 2011
जनगणना के ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत की आबादी बढ़ कर 121 करोड़ (1 अरब 21 करोड़) हो गई है। दस साल पहले हुई गणना के मुकाबले यह 17.64 फ़ीसदी ज़्यादा है। संतोष की बात यह है कि आबादी बढ़ने की हमारी रफ़्तार कम हुई है और आज़ादी के बाद यह सबसे निचले स्तर पर है। पिछली जनगणना के मुकाबले जनसंख्या दर क़रीब चार फ़ीसदी कम दर्ज की गई है। इसी तरह महिलाओं की तत्परता के कारण अब हमारी कुल 74 फ़ीसदी आबादी साक्षर हो चुकी है। लेकिन चिंता की बात है कि इस दौरान गर्भ में बच्चियों की हत्या के मामले में हमने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। छह साल तक की आबादी में इस समय एक हज़ार लड़कों के मुकाबले सिर्फ 914 लड़कियाँ ही हैं।
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शहरी आबादी ढाई गुना से अधिक तेज़ी से बढ़ी
- शुक्रवार, 16 जुलाई, 2011
देश में पिछले एक दशक में गांवों की तुलना में शहरी आबादी ढाई गुना से भी अधिक तेज़ी से बढ़ी है। भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दशक में देश की जनसंख्या में 17.64 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। यह वृद्धि गांवों में 12.18 और शहरी क्षेत्रों में 31.80 प्रतिशत की रही है। ग्रामीण आबादी में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी की दर बिहार में 23.90 प्रतिशत रही है। 2011 की जनगणना के तदर्थ आंकड़ों के अनुसार देश की आबादी एक अरब 21 करोड़ है। इसमें 83 करोड़ 31 लाख ग्रामीण और 37 करोड़ 71 लाख शहरी हैं। पिछले एक दशक में ग्रामीण आबादी में नौ करोड़ चार लाख 70 हज़ार और शहरी में नौ करोड़ 10 लाख की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार देश की आबादी का 68.84 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 31.16 फीसदी शहरी है। सर्वाधिक 89.96 प्रतिशत ग्रामीण आबादी हिमाचल प्रदेश में और सबसे ज़्यादा 97.50 फीसदी शहरी जनसंख्या दिल्ली में है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ