शेषनाग झील: Difference between revisions
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'''शेषनाग झील''' [[जम्मू और कश्मीर]] में [[अमरनाथ|अमरनाथ गुफ़ा]] के पास स्थित एक धामिक [[झील]] है। यह पर्वतमालाओं के बीच नीले पानी की एक ख़ूबसूरत झील है। अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ़ से प्राकृतिक [[शिवलिंग]] का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इस स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। यह झील करीब डेढ़ किलोमीटर लम्बाई में फैली है। यह झील चन्दनवाडी से लगभग 16 किमी और [[पहलगाम]] से लगभग 32 किमी की दूर पर है। | |||
==किंवदंतियाँ== | ==किंवदंतियाँ== | ||
*किंवदंतियों के अनुसार शेषनाग झील में [[शेषनाग]] का वास है और चौबीस घंटों के अंदर शेषनाग एक बार झील के बाहर दर्शन देते हैं, लेकिन यह दर्शन खुशनसीबों को ही नसीब होते हैं। | *किंवदंतियों के अनुसार शेषनाग झील में [[शेषनाग]] का वास है और चौबीस घंटों के अंदर शेषनाग एक बार झील के बाहर दर्शन देते हैं, लेकिन यह दर्शन खुशनसीबों को ही नसीब होते हैं। |
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[[चित्र:Sheshnag-Lake.jpg|thumb|250px|शेषनाग झील, अमरनाथ]] शेषनाग झील जम्मू और कश्मीर में अमरनाथ गुफ़ा के पास स्थित एक धामिक झील है। यह पर्वतमालाओं के बीच नीले पानी की एक ख़ूबसूरत झील है। अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ़ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इस स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। यह झील करीब डेढ़ किलोमीटर लम्बाई में फैली है। यह झील चन्दनवाडी से लगभग 16 किमी और पहलगाम से लगभग 32 किमी की दूर पर है।
किंवदंतियाँ
- किंवदंतियों के अनुसार शेषनाग झील में शेषनाग का वास है और चौबीस घंटों के अंदर शेषनाग एक बार झील के बाहर दर्शन देते हैं, लेकिन यह दर्शन खुशनसीबों को ही नसीब होते हैं।
- किंवदंती हैं कि जब शिव जी माता पार्वती को अमरकथा सुनाने अमरनाथ ले जा रहे थे, तो उनका इरादा था कि इस कथा को कोई ना सुने। अगर कोई दूसरा इसे सुन लेगा, तो वो भी अमर हो जायेगा और सृष्टि का मूल सिद्धांत गडबड हो जायेगा। सभी इसे सुनकर अमर होने लगेंगे। इसी सिलसिले में उन्होनें अपने असंख्य सांपों-नागों को अनन्तनाग में, बैल नन्दी को पहलगाम में, चन्द्रमा को चन्दनवाडी में छोड दिया था। लेकिन अभी भी उनके साथ शेषनाग था जिसे उन्होनें इस झील में छोड दिया। शंकर जी ने शेषनाग को आदेश दिया था कि इस स्थान से आगे कोई ना जाने पाये। यह भी कहा जाता है कि कभी-कभी झील के पानी में शेषनाग दिखाई देता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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