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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 23 जुलाई 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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[[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|शर्मदार की मौत]]
[[भारतकोश सम्पादकीय 23 जुलाई 2012|50-50 आधा खट्टा आधा मीठा]]
           जानवर अपनी बुद्धि का प्रयोग तार्किक धरातल पर नहीं कर सकते। इसीलिए जानवर को दो प्रकार से ही शिक्षित किया जा सकता है- डरा कर और भोजन के लालच से किंतु मनुष्य के लिए एक तीसरा तरीक़ा भी प्रयोग में लाया गया। वह था प्रेम द्वारा सीखना। तीसरा याने प्रेम से सीखने वाला तरीक़ा सबसे अधिक सहज और प्रभावशाली होता है। [[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|पूरा पढ़ें]]
           सबसे अधिक शिक्षित, सभ्य, संस्कारवान और सामाजिक लोग आपको मध्यमवर्गीय परिवारों में ही मिलेंगे। परिवार नियोजन करना, बेटे के साथ-साथ बेटी को भी पढ़ाना, बेटी के लिए शादी के ख़र्च की व्यवस्था रखना, पति-पत्नी में बराबरी के संबंध होना, पति-पत्नी का एक दूसरे के लिए वफ़ादार होना आदि ऐसी कई विशेषताएँ हैं जो आपको मध्यवर्ग में देखने को अधिक मिलेंगी। [[भारतकोश सम्पादकीय 23 जुलाई 2012|पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|शर्मदार की मौत]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 1 जुलाई 2012|कहता है जुगाड़ सारा ज़माना]]  
| [[भारतकोश सम्पादकीय 8 जुलाई 2012|मानसून का शंख]]  
 
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Revision as of 15:33, 23 July 2012

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

border|right|130px|link=भारतकोश सम्पादकीय 23 जुलाई 2012

50-50 आधा खट्टा आधा मीठा
          सबसे अधिक शिक्षित, सभ्य, संस्कारवान और सामाजिक लोग आपको मध्यमवर्गीय परिवारों में ही मिलेंगे। परिवार नियोजन करना, बेटे के साथ-साथ बेटी को भी पढ़ाना, बेटी के लिए शादी के ख़र्च की व्यवस्था रखना, पति-पत्नी में बराबरी के संबंध होना, पति-पत्नी का एक दूसरे के लिए वफ़ादार होना आदि ऐसी कई विशेषताएँ हैं जो आपको मध्यवर्ग में देखने को अधिक मिलेंगी। पूरा पढ़ें

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