भारतीय पुलिस सेवा: Difference between revisions
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Revision as of 03:02, 18 February 2013
भारतीय पुलिस सेवा भारत सरकार की केंद्रीय सेवाओं का ही एक हिस्सा है। भारत के गृह सचिव इस सेवा के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं। 'संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा' के माध्यम से भारतीय पुलिस सेवा में चयन के उपरांत नव नियुक्तों को बहुमुखी और विस्तृत प्रशिक्षण दिया जाता है।
स्थापना
'भारतीय पुलिस सेवा' की नींव ब्रिटिश शासन के दौरान उस समय रखी गई थी, जब विदेशी यूरोपीय शक्तियों के साथ कार्य संचालन के लिए 'गृह विभाग' का सृजन किया गया।13 सितंबर, 1783 को ईस्ट इंडिया कम्पनी के निदेशक मंडल ने फ़ोर्ट विलियम, कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में एक ऐसे विभाग के निर्माण हेतु संकल्प पारित किया, जो वारेन हेस्टिंग्स प्रशासन पर अपने गुप्त और राजनैतिक कार्य संचालन पर पड़ रहे दबाव को कम करने में सहायक हो सके। इसके बाद 'भारतीय विदेश विभाग' नामक इस विभाग ने ब्रिटिश हितों की रक्षा हेतु, जहाँ आवश्यक हुआ राजनयिक प्रतिनिधित्व का विस्तार किया। 1843 में गवर्नर-जनरल लॉर्ड एलनबरो ने प्रशासनिक सुधार किया, जिसके तहत सरकार के सचिवालय को निम्न चार विभागों में बाँटा गया-
- विदेश विभाग
- गृह विभाग
- वित्त विभाग
- सैन्य विभाग
अधिकारी
'भारतीय पुलिस सेवा' में प्रतिवर्ष औसतन 40 से 50 अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। जिसके अधिकारी देश में स्थित विभिन्न राज्यों में जनपदों में पुलिस विभाग के प्रमुख के रूप में तथा मंत्रालय में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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