मास्टर सूर्य सेन: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
'''मास्टर सूर्य सेन''' (जन्म- [[22 मार्च]], [[1894]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], ब्रिटिश भारत; मृत्यु- [[12 जनवरी]], [[1934]], बंगाल, [[भारत|आज़ाद भारत]]) भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारियों और अमर शहीदों में गिने जाते हैं। भारत भूमि पर अनेकों शहीदों ने क्रांति की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति देकर आज़ादी की राहों को रोशन किया है। सूर्य सेन | '''मास्टर सूर्य सेन''' (जन्म- [[22 मार्च]], [[1894]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], ब्रिटिश भारत; मृत्यु- [[12 जनवरी]], [[1934]], बंगाल, [[भारत|आज़ाद भारत]]) भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारियों और अमर शहीदों में गिने जाते हैं। भारत भूमि पर अनेकों शहीदों ने क्रांति की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति देकर आज़ादी की राहों को रोशन किया है। इन्हीं में से एक सूर्य सेन 'नेशनल हाईस्कूल' में उच्च स्नातक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, जिस कारण लोग उन्हें प्यार से 'मास्टर दा' कहते थे। "चटगाँव आर्मरी रेड" के नायक मास्टर सूर्य सेन ने [[अंग्रेज़]] सरकार को सीधे चुनोती दी थी। सरकार उनकी वीरता और साहस से इस प्रकार हिल गयी थी की जब उन्हें पकड़ा गया, तो उन्हें ऐसी [[हृदय]] विदारक व अमानवीय यातनाएँ दी गईं, जिन्हें सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। | ||
==जन्म तथा शिक्षा== | |||
सूर्य सेन का जन्म 22 मार्च, 1894 को ब्रिटिश शासन के समय [[चटगाँव]], बंगाल में हुआ था। इनका [[पिता]] का नाम रामनिरंजन था, जो चटगाँव के ही नोअपारा इलाके में एक शिक्षक थे। सूर्य सेन जी की प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा चटगाँव में ही हुई। जब वह इंटरमीडिएट के विद्यार्थी थे, तभी अपने एक राष्ट्र प्रेमी शिक्षक की प्रेरणा से वह बंगाल की प्रमुख क्रांतिकारी संस्था '''अनुशीलन समिति''' के सदस्य बन गए। इस समय उनकी आयु 22 वर्ष थी। आगे की शिक्षा के लिए सूर्य सेन [[बहरामपुर]] आ गए और उन्होंने 'बहरामपुर कॉलेज' में बी. ए. के लिए प्रवेश ले लिया। यहीं उन्हें प्रसिद्ध क्रांतिकारी संगठन "युगांतर" के बारे में पता चला और वह उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। युवा सूर्य सेन के हृदय में स्वतंत्रता प्राप्ति की भावना दिन-प्रतिदिन बलवती होती जा रही थी। इसीलिए वर्ष [[1918]] में चटगाँव वापस आकर उन्होंने स्थानीय स्तर पर युवाओं को संगठित करने के लिए "युगांतर पार्टी" की स्थापना की" | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 10: | Line 11: | ||
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:शिक्षक]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]] | [[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:शिक्षक]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Revision as of 05:53, 26 February 2013
मास्टर सूर्य सेन (जन्म- 22 मार्च, 1894, बंगाल, ब्रिटिश भारत; मृत्यु- 12 जनवरी, 1934, बंगाल, आज़ाद भारत) भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारियों और अमर शहीदों में गिने जाते हैं। भारत भूमि पर अनेकों शहीदों ने क्रांति की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति देकर आज़ादी की राहों को रोशन किया है। इन्हीं में से एक सूर्य सेन 'नेशनल हाईस्कूल' में उच्च स्नातक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, जिस कारण लोग उन्हें प्यार से 'मास्टर दा' कहते थे। "चटगाँव आर्मरी रेड" के नायक मास्टर सूर्य सेन ने अंग्रेज़ सरकार को सीधे चुनोती दी थी। सरकार उनकी वीरता और साहस से इस प्रकार हिल गयी थी की जब उन्हें पकड़ा गया, तो उन्हें ऐसी हृदय विदारक व अमानवीय यातनाएँ दी गईं, जिन्हें सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
जन्म तथा शिक्षा
सूर्य सेन का जन्म 22 मार्च, 1894 को ब्रिटिश शासन के समय चटगाँव, बंगाल में हुआ था। इनका पिता का नाम रामनिरंजन था, जो चटगाँव के ही नोअपारा इलाके में एक शिक्षक थे। सूर्य सेन जी की प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा चटगाँव में ही हुई। जब वह इंटरमीडिएट के विद्यार्थी थे, तभी अपने एक राष्ट्र प्रेमी शिक्षक की प्रेरणा से वह बंगाल की प्रमुख क्रांतिकारी संस्था अनुशीलन समिति के सदस्य बन गए। इस समय उनकी आयु 22 वर्ष थी। आगे की शिक्षा के लिए सूर्य सेन बहरामपुर आ गए और उन्होंने 'बहरामपुर कॉलेज' में बी. ए. के लिए प्रवेश ले लिया। यहीं उन्हें प्रसिद्ध क्रांतिकारी संगठन "युगांतर" के बारे में पता चला और वह उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। युवा सूर्य सेन के हृदय में स्वतंत्रता प्राप्ति की भावना दिन-प्रतिदिन बलवती होती जा रही थी। इसीलिए वर्ष 1918 में चटगाँव वापस आकर उन्होंने स्थानीय स्तर पर युवाओं को संगठित करने के लिए "युगांतर पार्टी" की स्थापना की"
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
- REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी