लोककथा संग्रहालय, भारतकोश: Difference between revisions
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चित्र:Disamb2.jpg लोककथा संग्रहालय | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- लोककथा संग्रहालय |
thumb भले ही हम लोककथाओं के संरक्षण की बात करें परंतु अपनी विशेषताओं के कारण ही श्रुति एवं स्मृति के आधार पर जीवन प्राप्त करनेवाली ये कथाएँ युगों से चली आ रही हैं।
- हमारी लोककथाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से चली आ रही हैं। इनमें भारत की सांस्कृतिक एकता और धार्मिक मान्यताओं की सुंदर झलक देखने को मिलती है। दरअसल, कथाएँ बच्चों की सूझ-बूझ विकसित करने और उनकी मानसिक क्षुधा शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बालपन का कल्पना संसार विस्तृत होता चला जाता है। साथ ही सामाजिक मूल्य और भारतीय संस्कारों के प्रति चेतना भी जाग्रत होती है
- ये कथाएँ मुख्य रूप से तीन शैलियों में कही जाती हैं।
- प्रथम गद्य शैली; इस प्रकार में पूरी कथा सरल एवं आंचलिक बोली में गद्य में कही जाती है।
- द्वितीय गद्य पद्य मय कथाएँ - इन्हें चंपू शैली की कथा कहा जा सकता है। ऐसी कथाओं में प्राय: मार्मिक स्थलों पर पद्य रचना मिलती हैं।
- तीसरे प्रकार की कथाओं में पद्य गद्य के स्थान पर एक प्रवाह सा होता है। यह प्रवाह श्रोताओं पर अच्छा असर डालता है किंतु इस में द्वितीय प्रकार की कथाओं के पद्यों की भाँति गेयता नहीं होती,
- भारतकोश में संकलित लोककथाऐं इस प्रकार हैं