गरदन न उठाना: Difference between revisions

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'''अर्थ'''-  
'''अर्थ'''-  
#बीमारी की हालत में बेसुध पड़े, रहना, गरदन तक हिलाने की हिम्मत न होना।
#बीमारी की हालत में बेसुध पड़े रहना, गरदन तक हिलाने की हिम्मत न होना।
#(शर्म से) सिर न उठाना।
#(शर्म से) सिर न उठाना।


'''प्रयोग'''-
#बुखार के कारण इतनी कमज़ोरी आ गई है कि अपनी गरदन नहीं उठा पा रहा हूँ।
#अपनी पुत्री की हरकतों से वह इतना लज्जित है कि किसी के सामने गरदन नहीं उठा सकता।


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

Revision as of 13:20, 23 November 2015

गरदन न उठाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ-

  1. बीमारी की हालत में बेसुध पड़े रहना, गरदन तक हिलाने की हिम्मत न होना।
  2. (शर्म से) सिर न उठाना।


प्रयोग-

  1. बुखार के कारण इतनी कमज़ोरी आ गई है कि अपनी गरदन नहीं उठा पा रहा हूँ।
  2. अपनी पुत्री की हरकतों से वह इतना लज्जित है कि किसी के सामने गरदन नहीं उठा सकता।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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