उफ तक नहीं करना: Difference between revisions
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'''अर्थ''' -कष्ट या व्यथा नाम मात्र को भी प्रकट न करना। | '''अर्थ''' -कष्ट या व्यथा नाम मात्र को भी प्रकट न करना। | ||
'''प्रयोग''' -आदमी तो वही है जो दिक्कतों के बावजूद मुँह से उफ तक न करे।-( श्रवणकुमार) | '''प्रयोग''' - | ||
#आदमी तो वही है जो दिक्कतों के बावजूद मुँह से उफ तक न करे।-( श्रवणकुमार) | |||
#उसे फटे-पुराने कपड़े भी पहनने पड़ते है कभी रात को भूखा भी सोना पड़ता है पर उसने कभी उफ न की।- (भषण वनमाली) | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
Revision as of 07:29, 1 November 2015
उफ तक नहीं करना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है ।
अर्थ -कष्ट या व्यथा नाम मात्र को भी प्रकट न करना।
प्रयोग -
- आदमी तो वही है जो दिक्कतों के बावजूद मुँह से उफ तक न करे।-( श्रवणकुमार)
- उसे फटे-पुराने कपड़े भी पहनने पड़ते है कभी रात को भूखा भी सोना पड़ता है पर उसने कभी उफ न की।- (भषण वनमाली)