ज़बान रोकना: Difference between revisions
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#दीपक बहुत कुछ बोले जा रहा था, पर न जाने क्यों अचानक से उसने अपनी 'ज़बान रोक' ली। | #दीपक बहुत कुछ बोले जा रहा था, पर न जाने क्यों अचानक से उसने अपनी 'ज़बान रोक' ली। | ||
#राकेश ने सबके रहस्य खोलने शुरू किये ही थे कि अमर ने उसकी 'ज़बान रोक' दी। | #राकेश ने सबके रहस्य खोलने शुरू किये ही थे कि अमर ने उसकी 'ज़बान रोक' दी। |
Revision as of 13:31, 16 November 2015
ज़बान रोकना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ-
- कुछ कहते-कहते रुक जाना।
- किसी को कुछ कहने से रोकना।
प्रयोग -
- दीपक बहुत कुछ बोले जा रहा था, पर न जाने क्यों अचानक से उसने अपनी 'ज़बान रोक' ली।
- राकेश ने सबके रहस्य खोलने शुरू किये ही थे कि अमर ने उसकी 'ज़बान रोक' दी।