छमा बड़न को चाहिये -रहीम: Difference between revisions
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कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात। | कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात। |
Revision as of 10:03, 3 February 2016
छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात।
- अर्थ
बड़ों को क्षमा शोभा देती है और छोटों को उत्पात (बदमाशी)। अर्थात अगर छोटे बदमाशी करें कोई बड़ी बात नहीं और बड़ों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिए। छोटे अगर उत्पात मचाएं तो उनका उत्पात भी छोटा ही होता है। जैसे यदि कोई कीड़ा (भृगु) अगर लात मारे भी तो उससे कोई हानि नहीं होती।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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