रहिमन गली है सांकरी -रहीम: Difference between revisions
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‘रहिमन’ गली है सांकरी, दूजो नहिं ठहराहिं।<br /> | ‘रहिमन’ गली है सांकरी, दूजो नहिं ठहराहिं।<br /> | ||
आपु अहै, तो हरि नहीं, हरि, तो आपुन | आपु अहै, तो हरि नहीं, हरि, तो आपुन नाहिं॥ | ||
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Latest revision as of 12:16, 4 February 2016
‘रहिमन’ गली है सांकरी, दूजो नहिं ठहराहिं।
आपु अहै, तो हरि नहीं, हरि, तो आपुन नाहिं॥
- अर्थ
जबकि गली सांकरी है, तो उसमें एक साथ दो जने कैसे जा सकते है? यदि तेरी खुदी ने सारी ही जगह घेर ली तो हरि के लिए वहां कहां ठौर है? और, हरि उस गली में यदि आ पैठे तो फिर साथ-साथ खुदी का गुजारा वहां कैसे होगा? मन ही वह प्रेम की गली है, जहां अहंकार और भगवान एक साथ नहीं गुजर सकते, एक साथ नहीं रह सकते।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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