Template:एक व्यक्तित्व: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 3: Line 3:
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
[[चित्र:J.R.D-Tata.jpg|right|80px|link=जे. आर. डी. टाटा|border]]
[[चित्र:Omkarnath-thakur.jpg|right|120px|link=ओंकारनाथ ठाकुर|border]]
<poem>
<poem>
         '''[[जे. आर. डी. टाटा|जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा]]''' आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में सर्वोपरि थे। इन्होंने ही [[भारत]] की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा 'टाटा एयरलाइंस' शुरू की थी, जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा 'एयर इंडिया' बन गई। इस कारण जे. आर. डी. टाटा को 'भारत के नागरिक उड्डयन का पिता' भी कहा जाता है। जे. आर. डी. टाटा, भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त पायलट थे। जे. आर. डी. टाटा को [[फ़्राँस]] के सर्वोच्‍च नागरिकता पुरस्कार 'लीजन ऑफ द ऑनर' एवं [[भारत सरकार]] के सर्वोच्‍च अलंकरण '[[भारत रत्न]]' से सम्‍मानित किया जा चुका है। इन्होंने 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज', 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ंडामेंटल रिसर्च' और 'नेशनल सेंटर फ़ॉर परफ़ार्मिंग आर्ट्स' की स्‍थापना की। [[जे. आर. डी. टाटा|... और पढ़ें]]
         '''[[ओंकारनाथ ठाकुर|पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर]]''' [[भारत]] के प्रसिद्ध संगीतज्ञ एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक थे। इनका सम्बन्ध ग्वालियर घराने से था। पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर का जितना प्रभावशाली व्यक्तित्व था उतना ही असरदार उनका संगीत भी था। एक बार [[महात्मा गाँधी]] ने उनका गायन सुन कर टिप्पणी की थी- “पण्डित जी अपनी मात्र एक रचना से जन-समूह को इतना प्रभावित कर सकते हैं, जितना मैं अपने अनेक भाषणों से भी नहीं कर सकता।” पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर की कालजयी रचनाओं में एक महत्त्वपूर्ण रचना है, ‘[[वन्देमातरम्]]...’। [[बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय]] की यह अमर रचना, स्वतंत्र भारत के प्रथम सूर्योदय पर पण्डित जी के स्वरों से अलंकृत होकर [[आकाशवाणी]] द्वारा प्रसारित हुई थी। आगे चल कर ‘वन्देमातरम्...’ गीत के आरम्भिक दो अन्तरों को भारत की [[संविधान सभा]] ने [[राष्ट्रगीत]] के समकक्ष मान्यता प्रदान की थी। [[ओंकारनाथ ठाकुर|... और पढ़ें]]
</poem>
</poem>
<center>
<center>
Line 11: Line 11:
|-
|-
| [[एक व्यक्तित्व|पिछले लेख]] →
| [[एक व्यक्तित्व|पिछले लेख]] →
| [[जे. आर. डी. टाटा]]
| [[आर. के. लक्ष्मण]]  
| [[आर. के. लक्ष्मण]]  
| [[अबुलकलाम आज़ाद]]
|}</center>
|}</center>
|}<noinclude>[[Category:एक व्यक्तित्व के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:एक व्यक्तित्व के साँचे]]</noinclude>

Revision as of 14:09, 23 August 2017

एक व्यक्तित्व

right|120px|link=ओंकारनाथ ठाकुर|border

        पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर भारत के प्रसिद्ध संगीतज्ञ एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक थे। इनका सम्बन्ध ग्वालियर घराने से था। पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर का जितना प्रभावशाली व्यक्तित्व था उतना ही असरदार उनका संगीत भी था। एक बार महात्मा गाँधी ने उनका गायन सुन कर टिप्पणी की थी- “पण्डित जी अपनी मात्र एक रचना से जन-समूह को इतना प्रभावित कर सकते हैं, जितना मैं अपने अनेक भाषणों से भी नहीं कर सकता।” पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर की कालजयी रचनाओं में एक महत्त्वपूर्ण रचना है, ‘वन्देमातरम्...’। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की यह अमर रचना, स्वतंत्र भारत के प्रथम सूर्योदय पर पण्डित जी के स्वरों से अलंकृत होकर आकाशवाणी द्वारा प्रसारित हुई थी। आगे चल कर ‘वन्देमातरम्...’ गीत के आरम्भिक दो अन्तरों को भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रगीत के समकक्ष मान्यता प्रदान की थी। ... और पढ़ें

पिछले लेख जे. आर. डी. टाटा आर. के. लक्ष्मण