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| -पूर्व-रेफेलाइट | | -पूर्व-रेफेलाइट |
| ||फ्रा एंजेलिको पुनरुत्थानकाल (पुनर्जागरण) के रोमिनिक चित्रकारों में सर्वश्रेष्ठ [[चित्रकार]] था। इसने अपनी कला को धर्म के प्रचार में लगाया। इसके प्रमुख चित्र हैं- मिस्त्र को पलायन, कुमार का अभिषेक, भविष्यवादी रेवइत संगीतज्ञ, अंतिम न्याय आदि। | | ||फ्रा एंजेलिको पुनरुत्थानकाल (पुनर्जागरण) के रोमिनिक चित्रकारों में सर्वश्रेष्ठ [[चित्रकार]] था। इसने अपनी कला को धर्म के प्रचार में लगाया। इसके प्रमुख चित्र हैं- मिस्त्र को पलायन, कुमार का अभिषेक, भविष्यवादी रेवइत संगीतज्ञ, अंतिम न्याय आदि। |
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| {घनवाद आंदोलन कब समाप्त हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-43
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| -1726 ई.
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| -1825 ई.
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| +1925 ई.
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| -1926 ई.
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| ||वर्ष 1907 में पाब्लो पिकासो ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'Les Demoiselles Avignon' का [[पेरिस]] में प्रदर्शन किया, जिससे घनवादी आंदोलन की आधारशिला रखी गई जो वर्ष [[1925]] में समाप्त हो गया। वर्ष [[1914]] के बाद दुनिया के सभी विकसित देशों में घनवादी कलाकृतियां बनाने लगीं एवं 1925 तक घनवाद निश्चल हुआ। घनवाद के प्रणेता पिकासो ने वर्ष [[1925]] में 'तीन नर्तक' चित्र बना कर घनवाद से विदा ली और इसके साथ ही घनवादी आंदोलन समाप्त हुआ यद्यपि बीसवीं शताब्दी की कला व निर्माण क्षेत्र पर अमित प्रभाव छोड़ गया।
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| {इटली का वयोवृद्ध कलाचार्य किसको कहा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-145,प्रश्न-53
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| +टिशियन
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| -आन्दिया मांतेना
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| -ड्यूरर
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| -टिन्टोरेट्टो
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| ||टिशियन अथवा तिजिआनो वेचेल्लिको को 'इटली का वयोवृद्ध कलाचार्य' कहा जाता है। संभवत: इटालियन कलाकारों में सर्वाधिक आयु उसी ने प्राप्त की है। उसने 'कुमारी का स्वर्गारोहण' चित्र आरंभ किया जो 1518 ई. में पूर्ण हुआ। यह चित्र वेनिस में पुनरुत्थान का प्रथम उद्घोष है। 1520 ई. में उसने बैकस तथा एरियाने शीर्षक चित्र की रचना की जिसमें झूठे प्रेमी थीसिस द्वारा परित्यक्त एरियाने को मंदिर का [[देवता]] बैकस अपने रथ से उतरकर सांत्वना दे रहा है। 1532 ई. में वह बोलोना में चार्ल्स पंचम से मिला जहां उसने ऑस्ट्रियन चित्रकार द्वारा अंकित चार्ल्स के एक चित्र की इतनी सुंदर अनुकृति की कि सम्राट ने उसे 1533 ई. में अपना दरबारी बना लिया। ईसा की कब्र में लिराना (The Entomdment) नामक चित्र को अपूर्ण छोड़कर 1576 ई. में वह चल बसा। इस चित्र को उसके शिष्य पाल्मा जिओवाने ने पूर्ण किया। 'फ्लोरो' (1515 ई.) टिशियन द्वारा चित्रित प्रसिद्ध चित्र है।
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| {निम्न में से उस चित्रकार की पहचान कीजिए जिसने बंगाल शैली से भिन्न शैली में काम किया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-77
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| -[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]]
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| +[[गगनेन्द्रनाथ टैगोर]]
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| -असित कुमार हल्दर
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| -[[नंदलाल बोस]]
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| ||[[गगनेन्द्रनाथ टैगोर]] ने अपने छोटे भाई [[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] के बंगाली कला आंदोलन से अप्रभावित रहकर अपनी व्यक्तिगत कला का सृजन किया।
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| {किस कलाकार ने 'ताहितियनस' पेंट किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-50
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| -हेनरी मातिस
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| -ली काबुर्जिए
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| +पॉल गॉगिन
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| -एफ.एन. सुजां
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| ||पॉल गॉगिन 1891 ई. में ताहिती पहुंचकर दूर जंगल में रहने लगे। वहीं पर आदिवासियों के रीति-रिवाजों के अनुसार अपना विवाह किया और वहां चित्रण-कार्य किया। गोगॉ ने लिखा है- "यहां में आनंदित हूं, शांति व कला पर जीवित रह रहा हूं, एवं आस-पास ऐसी शक्तियों के अस्तित्व को अनुभव कर रहा हूं जो मुझसे बहुत प्यार करती हैं"।
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| {चित्र में [[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्णमाला]] के [[अक्षर|अक्षरों]] का प्रयोग इनमें से कौन-सा [[चित्रकार]] करता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-175,प्रश्न-71
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| -विकास भट्टाचार्य
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| +पिकासो
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| -ग़ुलाम मुहम्मद शेख
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| -[[एम.एफ. हुसैन]]
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| ||1912 से 1915 के मध्य पिकासो और ब्राक ने द्विआयामी एवं त्रिआयामी चित्रण का प्रयोग [[काग़ज़]] या कार्ड-बोर्ड पर किए और धीरे-धीरे अन्य धातुओं पर चित्रण करने लगे। पिकासो ने ग्राफिक में शब्दों और अक्षरों का प्रयोग किया जो वास्तव में मूर्ति में प्रयोग किया गया है।
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| {वह कौन-सा तत्त्व है जिसके अभाव में चित्र रचना संभव नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-48
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| -रेखा
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| -[[रंग]]
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| -रूप
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| +धरातल
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| ||किसी भी धरातल या भूमि पर चित्र अंकन की जाती है तो उसका विस्तार या अंतराल दो दिशाओं में होता है। सर्वप्रथम चित्रकार चित्र आकृति की लंबाई और चौड़ाई का विचार करने के बाद चित्र रचना करता है तो उसका विस्तार दो दिशाओं में होता है, इसलिए इसे हम 'द्विआयामी' भी कह सकते हैं जबकि द्विआयामी चित्र में गहराई का विचार करने पर त्रिआयामी अंतराल की सृष्टि हो जाती है। चित्र रचना के समय चित्रकार के सामने चित्र का धरातल उसके मन का दर्पण होता है। चित्रकार अपने मन में विभिन्न प्रकार की कल्पना करके संपूर्ण संसार को चित्र में स्थान देता है। इस प्रकार सृजन के लिए उसे अंतराल को अलग-अलग पक्षों में विभाजित करना पड़ता है। कला के तत्त्व, अंतराल से किसी न किसी प्रकार संबंधित होते हैं। अंतराल में सभी प्रकार के रूपों को संयोजित किया जा सकता है।
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| {यूरोप की कला में किस कलाकार को डिवाइन पेंटर कहा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-109,प्रश्न-47
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| -माइकेल एंजेलो
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| -ज्योर्जियोन
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| -[[लियोनार्डो दा विंची]]
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| +राफेल
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| ||'द मैरिज ऑफ़ वर्जिन' का तैल चित्र चरम पुनरुत्थानवादी (High Renaissance) चित्रकार राफेल (Raphael) ने चित्रित किया था। राफेल को 'डिवाइन पेंटर' कहा जाता है।
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| {बैठा हुआ 'मुक्केबाज़' निम्न में से, किस कला से संबंध रखता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-237,प्रश्न-377
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| +ग्रीक
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| -ग्रेको-रोमन
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| -जर्मन
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| -ग्रेको-इट्रस्कन
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| ||बैठा हुआ 'मुक्केबाज़' ग्रीक कला से संबंध रखता है।
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| {सित्तनवासल गुफ़ा किस राज्य में स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-42,प्रश्न-19
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| -[[मध्य प्रदेश]]
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| +[[तमिलनाडु]]
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| -[[महाराष्ट्र]]
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| -[[केरल]]
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| ||सित्तनवासल गुफ़ा [[जैन धर्म]] से संबंधित है। यह एक [[जैन मंदिर]] है, जिसे चट्टानों को काटकर बनाया गया है। यह सित्तनवासल गांव, पुडुकोट्टई जिला, [[तमिलनाडु]] में अवस्थित है।
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| {'[[कल्पसूत्र]]' ग्रंथों के चित्रण किस शैली में हुए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-23
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| |type="()"}
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| -पाल शैली
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| -[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]
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| +जैन शैली
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| -[[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]]
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| ||'कल्पसूत्र' नामक जैन ग्रंथों में तीर्थंकरों ([[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]], [[महावीर स्वामी]] आदि) का जीवन चरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। कल्पसूत्र ग्रंथों के चित्रण जैन शैली में हुए। इस ग्रंथ की रचना [[महावीर स्वामी]] के निर्वाण के 150 वर्ष बाद हुई मानी जाती है।
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