दिशा: Difference between revisions

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==दिशा निर्धारण==
==दिशा निर्धारण==
प्राचीनकाल में दिशा निर्धारण प्रातःकाल व मध्याह्न के पश्चात एक बिन्दू पर एक छड़ी लगाकर सूर्य रश्मियों द्वारा पड़ रही छड़ी की परछाई तथा [[उत्तरायण]] व [[दक्षिणायन]] काल की गणना के आधार पर किया जाता था। वर्तमान में चुम्बकीय सुई की सहायता से बने [[दिशा सूचक यंत्र]] (Compass) से यह काफी सुगम हो गया है।
प्राचीनकाल में दिशा निर्धारण प्रातःकाल व मध्याह्न के पश्चात एक बिन्दू पर एक छड़ी लगाकर सूर्य रश्मियों द्वारा पड़ रही छड़ी की परछाई तथा [[उत्तरायण]] व [[दक्षिणायन]] काल की गणना के आधार पर किया जाता था। वर्तमान में चुम्बकीय सुई की सहायता से बने [[दिशा सूचक यंत्र]] (Compass) से यह काफी सुगम हो गया है।





Revision as of 11:55, 20 January 2018

thumb|दस दिशाओं के नाम दिशा (अंग्रेज़ी: Cardinal direction) हिन्दू धर्म के अनुसार मुख्यत: चार होती हैं- पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण। इनके अतिरिक्त इन दिशाओं से 45 डिग्री कोण पर स्थित चार दिशाएँ तथा ऊर्ध्व (ऊपर) और अधो (नीचे) मिलाकर कुल दस दिशाएं हैं।

दिशाओं के नाम

अंग्रेज़ी संस्कृत
East पूरब, प्राची, प्राक्
West पश्चिम, प्रतीचि, अपरा
North उत्तर, उदीचि
South दक्षिण, अवाचि
North-East ईशान्य
South-East आग्नेय
North-West वायव्य
South-West नैऋत्य
Zenith ऊर्ध्व
Nadir अधो

दिशा निर्धारण

प्राचीनकाल में दिशा निर्धारण प्रातःकाल व मध्याह्न के पश्चात एक बिन्दू पर एक छड़ी लगाकर सूर्य रश्मियों द्वारा पड़ रही छड़ी की परछाई तथा उत्तरायणदक्षिणायन काल की गणना के आधार पर किया जाता था। वर्तमान में चुम्बकीय सुई की सहायता से बने दिशा सूचक यंत्र (Compass) से यह काफी सुगम हो गया है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख