पूरब: Difference between revisions
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'''पूरब''' ([[अंग्रेज़ी]]:''East'') एक [[दिशा]] है। सूर्य हमेशा पूरब दिशा से ही उदित होता है इसलिए इसे आत्मा के कारक सूर्य की दिशा भी माना जाता है। साथ ही वास्तु शास्त्र में [[इंद्र |इंद्र देव]] को पूर्व दिशा का देवता बताया गया है। आप अपने घर में पूर्व दिशा की तरफ कोई भी रुकावट ना रहने दें क्योकि ये दिशा पितृस्थान की द्योतक मानी जाती है। साथ ही अगर पूर्व दिशा खुली रहती है तो घर के मुखिया को दीर्घायु प्राप्त होती है। | '''पूरब''' ([[अंग्रेज़ी]]:''East'') एक [[दिशा]] है। सूर्य हमेशा पूरब दिशा से ही उदित होता है इसलिए इसे आत्मा के कारक सूर्य की दिशा भी माना जाता है। साथ ही वास्तु शास्त्र में [[इंद्र |इंद्र देव]] को पूर्व दिशा का देवता बताया गया है। आप अपने घर में पूर्व दिशा की तरफ कोई भी रुकावट ना रहने दें क्योकि ये दिशा पितृस्थान की द्योतक मानी जाती है। साथ ही अगर पूर्व दिशा खुली रहती है तो घर के मुखिया को दीर्घायु प्राप्त होती है। | ||
==महत्व== | ==महत्व== |
Revision as of 13:33, 20 January 2018
thumb|250px|दिशाओं के नाम पूरब (अंग्रेज़ी:East) एक दिशा है। सूर्य हमेशा पूरब दिशा से ही उदित होता है इसलिए इसे आत्मा के कारक सूर्य की दिशा भी माना जाता है। साथ ही वास्तु शास्त्र में इंद्र देव को पूर्व दिशा का देवता बताया गया है। आप अपने घर में पूर्व दिशा की तरफ कोई भी रुकावट ना रहने दें क्योकि ये दिशा पितृस्थान की द्योतक मानी जाती है। साथ ही अगर पूर्व दिशा खुली रहती है तो घर के मुखिया को दीर्घायु प्राप्त होती है।
महत्व
पूर्व दिशा से सौर ऊर्जा आती है। यह हमारे ऐश्वर्य ख्याति आदि को बढ़ाती है। अतः भवन निर्माण में इस दिशा में अधिक से अधिक खुला स्थान रखना चाहिए। इस दिशा में भूमि नीची होनी चाहिए। दरवाजे और खिड़कियां ज्यादातर इसी दिशा में होना चाहिए। पोर्टिको भी पूर्व दिशा में बनाया जा सकता है। बरामदा, बालकनी और वाशबेसिन आदि इसी दिशा में रखना चाहिए। बच्चे भी इसी दिशा की तरफ मुंह करके पढ़े।
दिशाओं के नाम
अंग्रेज़ी | संस्कृत (हिन्दी) |
---|---|
East | पूरब, प्राची, प्राक् |
West | पश्चिम, प्रतीचि, अपरा |
North | उत्तर, उदीचि |
South | दक्षिण, अवाचि |
North-East | ईशान्य |
South-East | आग्नेय |
North-West | वायव्य |
South-West | नैऋत्य |
Zenith | ऊर्ध्व |
Nadir | अधो |
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