माधवन नाम्बियार: Difference between revisions

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*माधवन नाम्बियार ने पहली बार साल [[1976]] में पय्योली स्कूल के एक वार्षिक खेल समारोह के दौरान पीटी ऊषा को देखा था।  
*माधवन नाम्बियार ने पहली बार साल [[1976]] में पय्योली स्कूल के एक वार्षिक खेल समारोह के दौरान पीटी ऊषा को देखा था।  
*[[1978]] में क्विलोन नेशनल्स में ऊषा ने छह पदक जीतकर [[खेल]] में धमाकेदार आगाज किया।
*[[1978]] में क्विलोन नेशनल्स में ऊषा ने छह पदक जीतकर [[खेल]] में धमाकेदार आगाज किया।
*[[भारतीय वायु सेना]] में अधिकारी रहे माधवन नाम्बियार ने रेलवे में नौकरी नहीं मिलने तक ऊषा के साथ दौरों पर जाने के लिए अपनी पेंशन की राशि का उपयोग किया।
*[[भारतीय वायु सेना]] में अधिकारी रहे माधवन नाम्बियार ने रेलवे में नौकरी नहीं मिलने तक ऊषा के साथ दौरों पर जाने के लिए अपनी पेंशन की राशि का उपयोग किया।
*लॉस एंजिल्स ओलंपिक से पहले माधवन नाम्बियार यह मानकर चल रहे थे कि 400 मीटर बाधा दौड़ में ओलंपिक पदक लाने की ऊषा में कुव्वत है, लेकिन दुर्भाग्य से वह एक सेकंड के सौवें हिस्से से एक पोडियम फिनिश देने से चूक गईं। माधवन नाम्बियार ने इसे अपने कॅरियर में 'सबसे दुख:द, लेकिन सबसे शानदार पल' के रूप में याद किया।<ref>{{cite web |url=https://olympics.com/hi/news/republic-day-2021-meet-the-seven-sportspersons-who-were-awarded-the-padma-shri |title=इन सात खिलाड़ियों को मिलेगा पद्म श्री सम्मान|accessmonthday=08 जुलाई|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
*लॉस एंजिल्स ओलंपिक से पहले माधवन नाम्बियार यह मानकर चल रहे थे कि 400 मीटर बाधा दौड़ में ओलंपिक पदक लाने की ऊषा में कुव्वत है, लेकिन दुर्भाग्य से वह एक सेकंड के सौवें हिस्से से एक पोडियम फिनिश देने से चूक गईं। माधवन नाम्बियार ने इसे अपने कॅरियर में 'सबसे दुख:द, लेकिन सबसे शानदार पल' के रूप में याद किया।<ref>{{cite web |url=https://olympics.com/hi/news/republic-day-2021-meet-the-seven-sportspersons-who-were-awarded-the-padma-shri |title=इन सात खिलाड़ियों को मिलेगा पद्म श्री सम्मान|accessmonthday=08 जुलाई|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
*[[1985]] में [[पी. टी. ऊषा]] ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण पदक और एक कांस्य जीता। इसके बाद कोच नांबियार ने उनके फिजियो और मालिश करने वाले के रूप में काम किया, क्योंकि ऊषा इसके लिए किसी और को नहीं रख सकती थीं। उनके कोच ने यह भी सुनिश्चित किया कि उनका प्रशिक्षु केवल पांच दिनों में 11 दौड़ लगाने के लिए पर्याप्त रूप से फिट रहे।
*[[1985]] में [[पी. टी. ऊषा]] ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण पदक और एक कांस्य जीता। इसके बाद कोच नांबियार ने उनके फिजियो और मालिश करने वाले के रूप में काम किया, क्योंकि ऊषा इसके लिए किसी और को नहीं रख सकती थीं। उनके कोच ने यह भी सुनिश्चित किया कि उनका प्रशिक्षु केवल पांच दिनों में 11 दौड़ लगाने के लिए पर्याप्त रूप से फिट रहे।
*माधवन नाम्बियार को [[1985]] में '[[द्रोणाचार्य पुरस्कार]]' से नवाजा गया था।
*माधवन नाम्बियार को [[1985]] में '[[द्रोणाचार्य पुरस्कार]]' से नवाजा गया था।
*वर्ष [[2021]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें '[[पद्म श्री]]' से सम्मानित किया है।
*वर्ष [[2021]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें '[[पद्म श्री]]' से सम्मानित किया है।



Latest revision as of 10:16, 8 July 2021

माधवन नाम्बियार
पूरा नाम माधवन नाम्बियार
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र भारतीय एथलीट कोच
पुरस्कार-उपाधि द्रोणाचार्य पुरस्कार (1985), पद्म श्री (2021)
प्रसिद्धि एथलीट कोच
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी भारतीय वायु सेना में अधिकारी रहे माधवन नाम्बियार ने रेलवे में नौकरी नहीं मिलने तक पी. टी. ऊषा के साथ दौरों पर जाने के लिए अपनी पेंशन की राशि का उपयोग किया।
अद्यतन‎

माधवन नाम्बियार (अंग्रेज़ी: Madhavan Nambiar) भारतीय एथलेटिक्स कोच हैं। वह 1977 से 1990 तक 'पय्योली एक्सप्रेस' के नाम से मशहूर पी. टी. ऊषा के कोच रहे।


  • माधवन नाम्बियार ने पहली बार साल 1976 में पय्योली स्कूल के एक वार्षिक खेल समारोह के दौरान पीटी ऊषा को देखा था।


  • 1978 में क्विलोन नेशनल्स में ऊषा ने छह पदक जीतकर खेल में धमाकेदार आगाज किया।


  • भारतीय वायु सेना में अधिकारी रहे माधवन नाम्बियार ने रेलवे में नौकरी नहीं मिलने तक ऊषा के साथ दौरों पर जाने के लिए अपनी पेंशन की राशि का उपयोग किया।


  • लॉस एंजिल्स ओलंपिक से पहले माधवन नाम्बियार यह मानकर चल रहे थे कि 400 मीटर बाधा दौड़ में ओलंपिक पदक लाने की ऊषा में कुव्वत है, लेकिन दुर्भाग्य से वह एक सेकंड के सौवें हिस्से से एक पोडियम फिनिश देने से चूक गईं। माधवन नाम्बियार ने इसे अपने कॅरियर में 'सबसे दुख:द, लेकिन सबसे शानदार पल' के रूप में याद किया।[1]


  • 1985 में पी. टी. ऊषा ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण पदक और एक कांस्य जीता। इसके बाद कोच नांबियार ने उनके फिजियो और मालिश करने वाले के रूप में काम किया, क्योंकि ऊषा इसके लिए किसी और को नहीं रख सकती थीं। उनके कोच ने यह भी सुनिश्चित किया कि उनका प्रशिक्षु केवल पांच दिनों में 11 दौड़ लगाने के लिए पर्याप्त रूप से फिट रहे।




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इन सात खिलाड़ियों को मिलेगा पद्म श्री सम्मान (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 08 जुलाई, 2021।

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