निवेदिता सेतु: Difference between revisions

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'''निवेदिता सेतु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nivedita Setu'') [[कोलकाता]], [[पश्चिम बंगाल]] में [[हुगली नदी]] पर बना हुआ है। यह तार युक्त सेतु है। इसे मुख्यतः [[दिल्ली]] और कोलकाता को जोड़ने वाले [[राष्ट्रीय राजमार्ग 2]] को उठाने और काफी पुराने हो चुके विवेकानन्द सेतु के पुनर्स्थापन के रूप में बनाया गया है। निवेदिता सेतु उत्तर हावड़ा के बाली क्षेत्र को बैरकपुर नगर के दक्षिणेश्वर क्षेत्र से जोड़ता है। इस पुल का नाम [[स्वामी विवेकानन्द]] की शिष्या और नवजागरण काल की सामाजिक कार्यकर्ता [[सिस्टर निवेदिता]] के नाम पर रखा गया है।
'''निवेदिता सेतु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nivedita Setu'') [[कोलकाता]], [[पश्चिम बंगाल]] में [[हुगली नदी]] पर बना हुआ है। यह तार युक्त सेतु है। इसे मुख्यतः [[दिल्ली]] और कोलकाता को जोड़ने वाले [[राष्ट्रीय राजमार्ग 2]] को उठाने और काफी पुराने हो चुके विवेकानन्द सेतु के पुनर्स्थापन के रूप में बनाया गया है। निवेदिता सेतु उत्तर हावड़ा के बाली क्षेत्र को बैरकपुर नगर के दक्षिणेश्वर क्षेत्र से जोड़ता है। इस पुल का नाम [[स्वामी विवेकानन्द]] की शिष्या और नवजागरण काल की सामाजिक कार्यकर्ता [[सिस्टर निवेदिता]] के नाम पर रखा गया है।



Latest revision as of 06:50, 19 September 2022

[[चित्र:Nivedita-Setu-Kolkata.jpg|thumb|250px|निवेदिता सेतु, कोलकाता]] निवेदिता सेतु (अंग्रेज़ी: Nivedita Setu) कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुगली नदी पर बना हुआ है। यह तार युक्त सेतु है। इसे मुख्यतः दिल्ली और कोलकाता को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 2 को उठाने और काफी पुराने हो चुके विवेकानन्द सेतु के पुनर्स्थापन के रूप में बनाया गया है। निवेदिता सेतु उत्तर हावड़ा के बाली क्षेत्र को बैरकपुर नगर के दक्षिणेश्वर क्षेत्र से जोड़ता है। इस पुल का नाम स्वामी विवेकानन्द की शिष्या और नवजागरण काल की सामाजिक कार्यकर्ता सिस्टर निवेदिता के नाम पर रखा गया है।

  • हुगली नदी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 2 के रास्ते नये पुल को निर्मित करने की आवश्यक्ता थी, क्योंकि विवेकानन्द सेतु उम्र और अतिरिक्त ट्रैफिक के कारण कमज़ोर हो गया था।
  • विवेकानन्द सेतु जिसे दक्षिणेश्वर और बाली, हावड़ा के बीच 1931 में निर्मित किया गया था, उत्तर भारत और उत्तर बंगाल के अन्य शहरों को कोलकाता से जोड़ने वाला बहुत ही अहम सड़कमार्ग था, क्योंकि दिल्ली और मुम्बई से आने वाले वाहन इस पर से ही गुज़र कर कोलकाता से जुड़ते थे।
  • निवेदिता सेतु के निर्माण में कुल 650 करोड़ की लागत आई थी। निर्माण अप्रैल 2004 में कंपनी लार्सन एंड टर्बो द्वारा शुरू हुआ था और जुलाई 2007 में इसे यातायात के लिए खोल दिया गया।
  • यह सेतु भारत में निर्मित पहला एक्स्ट्राडोस पुल है। इसमें सात निरंतर अवधियाँ हैं, जिनमें प्रत्येक की लंबाई 110 मीटर है, जिन्हें मिलाकर इस सेतु की कुल लम्बाई 880 मीटर होती है। इस पर मार्ग की चौड़ाई 29 मीटर है। यह एक साथ छ: लेन यातायात ढोने में सक्षम है।
  • निवेदिता सेतु की मुख्य रचना में 29 मीटर चौड़े 254 सिंगल-बॉक्स कंक्रीट के गर्डर हैं, जिनका वज़न 140 से 170 टन तक है। इन गर्डरों में कठोरता बढ़ाने हेतु अतिरिक्त युक्तियाँ भी मौजूद हैं। इन बॉक्स गर्डरों के अलावा अतिरिक्त पश्च-तनाव प्रदान करने के लिए केवल एक ही समतल में 14 मीटर ऊँचे स्तंभों से जुड़े हुए तार हैं। यह तार और गर्डर दोनों मिलकर इस पुल को इसकी आवश्यकतानुसार मध्यम आकार और काम ऊँचाई के साथ निर्माण सामग्री का उपयोग करते हुए एक अत्यंत मज़बूत पुल बनाती है, जोकि बहुत अधिक वहन क्षमता रखता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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