कहावत लोकोक्ति मुहावरे-र: Difference between revisions

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|4- रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी।
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अर्थ - रूठने से अपना ही नुकसान होता है।
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|5- रक्षक ही भक्षक हो।  
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Revision as of 13:43, 26 January 2011

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- रोहिनी बरसै मृग तपै, कुछ कुछ अद्रा जाय।
कहै घाघ सुने घाघिनी, स्वान भात नहीं खाय।।

अर्थ - अगर रोहिणी नक्षत्र में बारिश हो, मृगशिरा नक्षत्र में ताप हो और आर्द्रा में नक्षत्र में साधारण बारिश हो जाए तो धान की पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाने से ऊब जाएंगे।

2- रोहिनी जो बरसै नहीं, बरसे जेठा मूर।

एक बूंद स्वाती पड़ै, लागै तीनिउ नूर।।

अर्थ - अगर रोहिणी नक्षत्र में वर्षा न हो पर ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र में बारिश हो जाए और स्वाति नक्षत्र में भी कुछ बूंदे पड़ जाएं तो तीनों अन्न जौ, गेहूं, और चना की पैदावार अच्छी होगी।

3- रवि के उदय में दीपक की बात न पूछे कोय।

अर्थ - बड़ों की उपस्थिति में छोटे की उपेक्षा हो जाती है।

4- रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी।

अर्थ - रूठने से अपना ही नुक़सान होता है।

5- रक्षक ही भक्षक हो।

अर्थ - रक्षा करने वाला ही शोषण करने लगे या कष्ट पहुँचाये।

6- रंग बदलना।

अर्थ - परिवर्तन होना।

7- राई का पहाड़ बनाना।

अर्थ - जरा सी बात का बतंगड़ बनाना।

8- रास्ता देखना।

अर्थ - प्रतीक्षा करना।

9- रास्ता नापना।

अर्थ - चले जाना।

10- रास्ते पर लाना।

अर्थ - सुधार करना।

11- रोगंटे खड़े होना।

अर्थ - रोमांच होना।

12- रो धोकर दिन काटना।

अर्थ - जैसे –तैसे जीवन बिताना।