डेंगू: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 31: | Line 31: | ||
* ब्लड प्रेशर का सामान्य से बहुत कम हो जाना। | * ब्लड प्रेशर का सामान्य से बहुत कम हो जाना। | ||
* रोगी बेहद दुःखी व बीमार महसूस करता है। रोशनी से चिड़चिड़ाहट होना | * रोगी बेहद दुःखी व बीमार महसूस करता है। रोशनी से चिड़चिड़ाहट होना | ||
* शरीर पर लाल ददोरे (रैश / रैशेज़) का होना शरीर पर लाल-गुलाबी ददोरे निकल सकते हैं। चेहरे, गर्दन तथा छाती पर विसरित दानों की तरह के ददोरे हो सकते हैं। बाद में ये ददोरे और भी स्पष्ट हो जाते हैं। हाथ पैर में चकत्ते होना, विशेषकर दबे भागों में, खून बहना या खून के चकत्ते होना, शरीर पर दाने इस बुखार में दो बार भी दिखाई दे सकते हैं। पहली बार शुरू के दो - तीन दिनों में और दूसरी बार छठे या सातवें दिन। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है। यह बुखार बच्चों व बड़ी आयु के लोगों में ज्यादा खतरनाक होता है। | * शरीर पर लाल ददोरे (रैश / रैशेज़) का होना शरीर पर लाल-गुलाबी ददोरे निकल सकते हैं। चेहरे, गर्दन तथा छाती पर विसरित दानों की तरह के ददोरे हो सकते हैं। बाद में ये ददोरे और भी स्पष्ट हो जाते हैं। हाथ पैर में चकत्ते होना, विशेषकर दबे भागों में, खून बहना या खून के चकत्ते होना, शरीर के उभरे चकत्तों से खून रिसता है। शरीर पर दाने इस बुखार में दो बार भी दिखाई दे सकते हैं। पहली बार शुरू के दो - तीन दिनों में और दूसरी बार छठे या सातवें दिन। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है। यह बुखार बच्चों व बड़ी आयु के लोगों में ज्यादा खतरनाक होता है। | ||
* एक सप्ताह तक रोगी को पसीना, दस्त, नकसीर (नाक से खून आना) आने लगती है। अगर यह बुखार ज्यादा बढ़ जाता है तो रोगी के कान में दर्द और सूजन तथा फेफड़ों में सूजन आ जाती है। | * एक सप्ताह तक रोगी को पसीना, दस्त, नकसीर (नाक से खून आना) आने लगती है। अगर यह बुखार ज्यादा बढ़ जाता है तो रोगी के कान में दर्द और सूजन तथा फेफड़ों में सूजन आ जाती है। | ||
* गंभीर रोगियों में पहले केवल वमन फिर ताजा रक्त या कॉफी के रंग का वमन होता है । मल भी गहरा भूरा या काला होता है । साथ-साथ मसूड़ों से अथवा आंतों से रक्तस्त्राव का होना अथवा खून में ब्लउप्लेट का कम होना लक्षण पाये जायें तो यह गंभीर प्रकार का डेंगू बुखार हो सकता हैं जो घातक हो सकता हैं । इसमें तत्काल अस्पताल में इलाज लेना चाहिए । | * गंभीर रोगियों में पहले केवल वमन फिर ताजा रक्त या कॉफी के रंग का वमन होता है । मल भी गहरा भूरा या काला होता है । साथ-साथ मसूड़ों से अथवा आंतों से रक्तस्त्राव का होना अथवा खून में ब्लउप्लेट का कम होना लक्षण पाये जायें तो यह गंभीर प्रकार का डेंगू बुखार हो सकता हैं जो घातक हो सकता हैं । इसमें तत्काल अस्पताल में इलाज लेना चाहिए । | ||
Line 39: | Line 39: | ||
यदि रोगी को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका उपचार व देखभाल घर पर भी की जा सकती है तथा यह बीमारी स्वयं ही एक से दो हफ्तों में ठीक हो जाती है। चूँकि यह स्वयं ठीक होने वाला रोग है इसलिए केवल लाक्षणिक उपचार ही चाहिए। डेंगू का शंका होने पर, अपने डाक्टर को दिखलायें। कुछ दवा इस प्रकार से है - | यदि रोगी को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका उपचार व देखभाल घर पर भी की जा सकती है तथा यह बीमारी स्वयं ही एक से दो हफ्तों में ठीक हो जाती है। चूँकि यह स्वयं ठीक होने वाला रोग है इसलिए केवल लाक्षणिक उपचार ही चाहिए। डेंगू का शंका होने पर, अपने डाक्टर को दिखलायें। कुछ दवा इस प्रकार से है - | ||
* खूब सारा आराम करें | * खूब सारा आराम करें | ||
* अधिक पानी पियें | * अधिक पानी पियें, मुख्य रूप से तरल न देने पर शरीर में पानी की कमी हो सकती है। | ||
* बुखार के लिये पेरासिटामोल (paracetamol) या एसिटाअमिनोफेन (acetaminophen) ले सकते हैं। | * बुखार के लिये पेरासिटामोल (paracetamol) या एसिटाअमिनोफेन (acetaminophen) ले सकते हैं। | ||
* रोगी को सेलिसिलेट, डिस्प्रीन, एस्प्रीन (aspirin) कभी ना दें। यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे की खून की बीमारी। | * रोगी को सेलिसिलेट, डिस्प्रीन, एस्प्रीन (aspirin) या गैरस्टेराइड दवाएं कभी ना दें। यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे की खून की बीमारी। | ||
* यदि बुखार 102 डिग्री फा. से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए हाइड्रोथेरेपी ( जल चिकित्सा ) करें। | * यदि बुखार 102 डिग्री फा. से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए हाइड्रोथेरेपी ( जल चिकित्सा ) करें। | ||
* सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें। बुखार की स्थिति में शरीर को अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। | * सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें। बुखार की स्थिति में शरीर को अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। | ||
Line 56: | Line 56: | ||
==बचाव== | ==बचाव== | ||
मच्छर एक छोटा से जीव है परन्तु यह मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियां फैला सकता है । मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में पनपता है इसके विपरीत डेंगू के मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते हैं, डेंगू से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है मच्छरों से बचना जिनसे कि डेंगू का वायरस फैलता है। मच्छर पानी में अंडा देकर, और मच्छर फैलाते हैं। यह जीवनचक्र करीब 1 हफ्ते में पूरा होता है। इसका मतलब है कि, अगर कोई रोकने का उपाय न किया गया तो हर हफ्ता, मच्छर का तादाद दौगुना होगा। इससे मच्छर से फैलने वाले बीमारी भी अधिक होंगे। तो डेंगू को रोकने के लिये आपको अपने घर और मोहल्ले में मच्छर को कम करना होगा। ये मच्छर आपके घर के अंदर और आस-पास जमा हुये पानी में पैदा होते हैं । मच्छरों के पैदा होने से रोकने के लिये ऐसे क्षेत्र जहां डेंगू फैल रहा है, वहां पानी को जमा ना होने दें। अपने घर के अंदर और आस-पास कहीं पानी को जमा न होने दें । आस-पास के गङ्ढों, सड़कों को जहां पानी जमा हो सकता है भर दें । कचरे, अनुपयोगी सामानों को हटा दें अथवा नष्ट करे दें । एयर कूलर, ड्रम, फूलदान, पौधों के गमलों, पक्षियों के नहाने के स्थान हर सप्ताह खाली करके सुखाएं । कुएं, तालाबों, पानी के बड़े पूल में मच्छरों का लार्वा खाने वाले गमबूशिया मछली छोड़ें। बरसात में या ऐसे क्षेत्रों में जहां मच्छर हों वहां मच्छरों से बचने का हर संभव प्रयास करें। आप जिस क्षेत्र में रह रहे हैं वहां मच्छर अधिक हैं तो मास्कीटो रिपेलेंट का प्रयोग ज़रूर करें। अपने घर, बच्चों के स्कूल और आफिस की साफ सफाई पर भी नज़र रखें। नाली को बहता रहना चाहिये। डेंगू का मच्छर दिन के समय ही काटता है इसलिए दिन में अपने आपको मच्छरों से बचाएँ। बरसात के समय फुल बाहों वाली शर्ट और जूते जरूर पहनें। मच्छरों के काटने से बचने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं, जैसे सफेद या हल्के रंगा का पूरे बांह वाले कपडे़ पहने, जिससे कि आप अपने शरीर को पूरे तरह से ढक सकें, सोते समय जहां अधिक मच्छर है, वहां रात को कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करें। कभी-कभार मच्छर मारने वाले दवा उन जगहों पर मच्छर पर असर नहीं करता है, नीम की पत्ती का धुंआ घर में कर सकते हैं, खिड़की और दरवाजे में जाली लगा कर रखना चाहिये। दोपहर के बाद, खिड़की और दरवाजे को बंद रखें, कि मच्छर का आना-जाना कम हो। कोई भी बरतन में खुले में पानी न जमने दें। बतरन को खाली करके रखें या उलट कर रखें। अगर आप किसी बरतन, बाल्टी, ड्रम, इत्यादि में पानी जमा करके रखते हैं, तो उसे ढक कर रखें। अगर किसी चीज में पानी रखते हैं, तो उसे साबुन और पानी से धो लिया करें, कि उस में से मच्छर का अंडा को हटाया जा सके। अपने मोहल्ले के लोगों को भी मच्छर को फैलने से रोकने के लिये प्रोतसाहित करें। अपने नगर निगम द्वारा मच्छर मारने वाला दवा छिड़कायें। बरसात के मौसम में और चौकसी बरतें। | डेंगू से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों की आबादी पर काबू करना है। इसके लिए या लार्वा पर नियंत्रण करें या वयस्क मच्छरों की आबादी पर। मच्छर एक छोटा से जीव है परन्तु यह मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियां फैला सकता है । मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में पनपता है इसके विपरीत डेंगू के मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते हैं, डेंगू से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है मच्छरों से बचना जिनसे कि डेंगू का वायरस फैलता है। मच्छर पानी में अंडा देकर, और मच्छर फैलाते हैं। यह जीवनचक्र करीब 1 हफ्ते में पूरा होता है। इसका मतलब है कि, अगर कोई रोकने का उपाय न किया गया तो हर हफ्ता, मच्छर का तादाद दौगुना होगा। इससे मच्छर से फैलने वाले बीमारी भी अधिक होंगे। तो डेंगू को रोकने के लिये आपको अपने घर और मोहल्ले में मच्छर को कम करना होगा। ये मच्छर आपके घर के अंदर और आस-पास जमा हुये पानी में पैदा होते हैं । मच्छरों के पैदा होने से रोकने के लिये ऐसे क्षेत्र जहां डेंगू फैल रहा है, वहां पानी को जमा ना होने दें। अपने घर के अंदर और आस-पास कहीं पानी को जमा न होने दें । आस-पास के गङ्ढों, सड़कों को जहां पानी जमा हो सकता है भर दें । कचरे, अनुपयोगी सामानों को हटा दें अथवा नष्ट करे दें । एयर कूलर, ड्रम, फूलदान, पौधों के गमलों, पक्षियों के नहाने के स्थान हर सप्ताह खाली करके सुखाएं । कुएं, तालाबों, पानी के बड़े पूल में मच्छरों का लार्वा खाने वाले गमबूशिया मछली छोड़ें। बरसात में या ऐसे क्षेत्रों में जहां मच्छर हों वहां मच्छरों से बचने का हर संभव प्रयास करें। आप जिस क्षेत्र में रह रहे हैं वहां मच्छर अधिक हैं तो मास्कीटो रिपेलेंट का प्रयोग ज़रूर करें। अपने घर, बच्चों के स्कूल और आफिस की साफ सफाई पर भी नज़र रखें। नाली को बहता रहना चाहिये। डेंगू का मच्छर दिन के समय ही काटता है इसलिए दिन में अपने आपको मच्छरों से बचाएँ। बरसात के समय फुल बाहों वाली शर्ट और जूते जरूर पहनें। मच्छरों के काटने से बचने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं, जैसे सफेद या हल्के रंगा का पूरे बांह वाले कपडे़ पहने, जिससे कि आप अपने शरीर को पूरे तरह से ढक सकें, सोते समय जहां अधिक मच्छर है, वहां रात को कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करें। कभी-कभार मच्छर मारने वाले दवा उन जगहों पर मच्छर पर असर नहीं करता है, नीम की पत्ती का धुंआ घर में कर सकते हैं, खिड़की और दरवाजे में जाली लगा कर रखना चाहिये। दोपहर के बाद, खिड़की और दरवाजे को बंद रखें, कि मच्छर का आना-जाना कम हो। कोई भी बरतन में खुले में पानी न जमने दें। बतरन को खाली करके रखें या उलट कर रखें। अगर आप किसी बरतन, बाल्टी, ड्रम, इत्यादि में पानी जमा करके रखते हैं, तो उसे ढक कर रखें। अगर किसी चीज में पानी रखते हैं, तो उसे साबुन और पानी से धो लिया करें, कि उस में से मच्छर का अंडा को हटाया जा सके। अपने मोहल्ले के लोगों को भी मच्छर को फैलने से रोकने के लिये प्रोतसाहित करें। अपने नगर निगम द्वारा मच्छर मारने वाला दवा छिड़कायें। बरसात के मौसम में और चौकसी बरतें। | ||
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के घरों में आजकल पानी का संचय करने की प्रवृति होने से अकसर सभी व्यक्ति घरों में पानी कंटेनर में 5-7 दिन से ज्यादा रखने लगे हैं । ये कंटेनर हैं - सीमेंट की टंकी, प्लास्टिक की टंकी, पानी का हौद, नांद मटका, घरों में रखे हुऐ फूलदान, जिसमें अकसर पानी प्लांट लगाते हैं, पशुओं के पानी पीने के स्थान, टायर, टूटे, फूटे सामान, जिनमें बारिश का पानी जमा होता रहता है में एड़ीज मच्छर पैदा होते हैं । अकसर यह देखते हैं कि ये कंटेनर ढंके हुए नहीं रहते हैं, जिससे इनमें मच्छर पैदा होते रहते हैं, यदि हम इन कंटेनर में भरे हुए पानी को गौर से देखें तो इनमें कुछ कीड़े लार्वा ऊपर नीचे चलते हुए दिखाई देते हैं, ये ही कीड़े मच्छर बनते हैं । अब हमें ज्ञात हैं कि कीड़ों से मच्छर बनते हैं और मच्छर से डेंगू बीमारी फैलती है तो इन कीड़ो का नाश करना बहुत जरूरी हैं । हम जानते हैं कि लार्वा पानी में रहते हैं, इसलिये इन सभी कंटेनर में से प्रत्येक सप्ताह में एक बार पानी निकाल देना चाहिए और साफ करके फिर से पानी भरना चाहिए । इन सभी कंटेनर को इस प्रकार से ढंककर रखना चाहिए कि इनमें मच्छर प्रवेश नहीं कर सकें और अण्डे नहीं दे सकें । ये कीड़े स्पष्ट दिखाई देते हैं , इसलिए इन्हें चाय की छन्नी से भी निकाला जा सकता है । ये कीड़े पानी से बाहर निकलाने के बाद स्वत: मर जाते हैं । इस प्रकार का अभियान अपने घर में चलाकर मच्छरों की उत्पत्ति रोकना हैं । केरोसिन में मिलाकर छिड़कने से मच्छर नष्ट होते हैं, जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध हैं । | शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के घरों में आजकल पानी का संचय करने की प्रवृति होने से अकसर सभी व्यक्ति घरों में पानी कंटेनर में 5-7 दिन से ज्यादा रखने लगे हैं । ये कंटेनर हैं - सीमेंट की टंकी, प्लास्टिक की टंकी, पानी का हौद, नांद मटका, घरों में रखे हुऐ फूलदान, जिसमें अकसर पानी प्लांट लगाते हैं, पशुओं के पानी पीने के स्थान, टायर, टूटे, फूटे सामान, जिनमें बारिश का पानी जमा होता रहता है में एड़ीज मच्छर पैदा होते हैं । अकसर यह देखते हैं कि ये कंटेनर ढंके हुए नहीं रहते हैं, जिससे इनमें मच्छर पैदा होते रहते हैं, यदि हम इन कंटेनर में भरे हुए पानी को गौर से देखें तो इनमें कुछ कीड़े लार्वा ऊपर नीचे चलते हुए दिखाई देते हैं, ये ही कीड़े मच्छर बनते हैं । अब हमें ज्ञात हैं कि कीड़ों से मच्छर बनते हैं और मच्छर से डेंगू बीमारी फैलती है तो इन कीड़ो का नाश करना बहुत जरूरी हैं । हम जानते हैं कि लार्वा पानी में रहते हैं, इसलिये इन सभी कंटेनर में से प्रत्येक सप्ताह में एक बार पानी निकाल देना चाहिए और साफ करके फिर से पानी भरना चाहिए । इन सभी कंटेनर को इस प्रकार से ढंककर रखना चाहिए कि इनमें मच्छर प्रवेश नहीं कर सकें और अण्डे नहीं दे सकें । ये कीड़े स्पष्ट दिखाई देते हैं , इसलिए इन्हें चाय की छन्नी से भी निकाला जा सकता है । ये कीड़े पानी से बाहर निकलाने के बाद स्वत: मर जाते हैं । इस प्रकार का अभियान अपने घर में चलाकर मच्छरों की उत्पत्ति रोकना हैं । केरोसिन में मिलाकर छिड़कने से मच्छर नष्ट होते हैं, जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध हैं । | ||
Revision as of 23:10, 9 December 2010
डेंगू क्या है
डेंगू ( Dengue ) / डेंगी / डेंगू बुखार ( Dengue Fever ) / डेंगू फीवर / डेंगू ज्वर -- एक आम संक्रामक रोग है आम भाषा में इस बीमारी को "हड्डी तोड़ बुखार" कहा जाता है क्योंकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत दर्द होता है। जिसके मुख्य लक्षण हैं, तीव्र बुखार, जोड़ों में मांसपेशियों में और शरीर दर्द, चिडचिडा़पन तथा सिर दर्द। यह एडिस मच्छर के काटने से होने वाला एक तीव्र वायरल इन्फेक्शन है । इससे शरीर की सामान्य क्लॉटिंग (थक्का जमना) की प्रक्रिया अव्यवस्थित हो जाती है । ऐसी अवस्था प्लेटलेट के बहुतायत में नष्ट होने के कारण होती है । इससे कभी कभी घातक रूप में सारे शरीर में रक्तस्राव होने लगता है । यह एक ऐसी बीमारी है जिसे महामारी के रूप में देखा जाता है। वयस्कों के मुकाबले, बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है। यह बीमारी योरप महाद्वीप को छोड़कर पूरे विश्व में होती है तथा काफी लोगों को प्रभावित करती है। एक अनुमान है कि प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 10 करोड़ लोगों को डेंगू बुखार होता है। डेंगू की स्थिति में मृत्युदर लगभग एक प्रतिशत है। यह बरसात के मौसम में तेज़ी से फैलता है। आपको या आपके पड़ोसी को अगर डेंगू बुखार हो जाता है, तो इससे बचने के उपाय अपनायें। सबसे पहले रक्तजांच करायें और अपने आसपास मच्छरों से सुरक्षा के उपाय अपनायें।
कारण
यह "डेंगू" वायरस द्वारा होता है इसे डेन वायरस भी कहते हैं। डेंगू वायरस चार मुख्य प्रकार के होते हैं, जैसे कि डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 (DEN-1, DEN-2, DEN-3, DEN-4)। डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफी मात्रा में होता है। डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस प्रवेश कर प्लेटलेट पर आक्रमण करता है । प्लेटलेट शरीर में रक्तस्राव रोकने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं । शरीर में प्लेटलेट की संख्या चिंताजनक स्तर तक गिर जाती है । इससे असामान्य रक्तस्राव हो सकता है, जो कि चमड़ी, आमाशय, आंतों और शरीर के अन्य रन्ध्रों से होता है । एक छोटी मार लगने पर भी बहुत तेज रक्तस्राव होने लगता है, क्योंकि रक्त क्लॉट (जमने) नहीं हो पाता ।
प्रसार
मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू सभी मच्छर से नहीं फैलता है। यह केवल कुछ जाति के मच्छर से फैलता है। ये मच्छर 'एडीज मच्छर' -- एडिस एजिपटाई (Aedes aegypti) तथा एडिज एल्बोपेक्टस के नाम से जाने जाते हैं। जो काफी ढीठ व और दुस्साहसी मच्छर हैं और दिन में भी काटते हैं। मच्छर के शरीर में एक बार वायरस के पहुंचने के पश्चात यह पूरी जिन्दगी बीमारी फैलाने में समक्ष होता है । डेंगू बुखार उस मच्छर के काटने से होता है जिसने पहले से ही किसी डेंगू के मरीज़ को काटा है। यह मच्छर बरसात के मौसम में ज्यादा फैलते हैं और यह उन जगहों पर तेज़ी से फैलते हैं जहां पानी जमा हो । डेंगू का वायरस स्वाइन फ्लू की तरह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से नहीं फैलता। यह मच्छर के माध्यम से ही फैलता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता, अगर किसी को डेंगू का बीमारी है, और एडीज मच्छर उस मरीज से खून पीता है, तो मच्छर में डेंगू वायरस युक्त खून चला जाता है। फिर जब एक सप्ताह में किसी स्वस्थ व्यक्ति को यह मच्छर काटता है, तो डेंगू का वायरस उसमें चला जाता है। मच्छर को वेक्टर (vector) कहते हैं। और इस प्रकार से फैलनेवाले बीमारी को वेक्टर बोर्न डिसईज़ (vector borne disease) कहते हैं। डेंगू उन लोगों को जल्दी प्रभावित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। यह भी हो सकता है कि डेंगू बुखार एक ही व्यक्ति को कई बार हो जाये। लेकिन ऐसी स्थिति में बुखार के प्रकार भिन्न होंगे ।
एड़ीज मच्छर
एड़ीज मादा मच्छर साफ पानी में अण्डे देती है, अण्डे से एक कीड़ा निकलता है, जिसे लार्वा कहते हैं, लार्वा से प्यूपा बनता है एवं फिर मच्छर बन जाता है । लार्वा व प्यूपा अवस्था पानी में रहते हैं और मच्छर पानी के बाहर रहता हैं । अण्डे से मच्छर बनने में करीब एक सप्ताह का समय लगता हैं । मच्छर का जीवनकाल करीब तीन सप्ताह का होता है । एड़ीज मच्छर काले रंग का होता है, जिस पर सफेद धब्बे बने होते हैं, इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता हैं । खास बात यह है कि डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर गंदे पानी की बजाय साफ पानी में पनपता है। ये मच्छर ऐसे स्वच्छ पानी में जहॉं कई दिनों से हलचल न हो उस स्थान पर ब्रीड करते हैं । पानी के पुराने टैंकों में पानी की सतह पर बड़ी संख्या में लार्वा देखे जा सकते हैं । जल संकाय, मछली के खुले टैंक, साफ झील आदि, बरसात और बाढ़ में महामारी के बड़े स्रोत होते हैं । तथा बरसात में गमलों, कूलरों, पानी के ड्रम, पुराने ट्यूब या टायर, फूटे मटके जानवरों के पीने की हौद आदि में एकत्रित हुए पानी में यह मच्छर ज्यादा पाया जाता है।
संक्रामक काल
जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके लगभग 3-5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। यह संक्रामक काल 3-10 दिनों तक भी हो सकता है।
प्रकार
एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार ही किसी खास प्रकार के डेंगू से संक्रमित होता है। डेंगू बुखार तीन प्रकार के होते हैं तथा लक्षण इस बात पर निर्भर करेंगे कि डेंगू बुखार किस प्रकार है। क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार डेंगू हॅमरेजिक बुखार (डीएचएफ) डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) क्लासिकल डेंगू साधारण प्रकार का डेंगू है, यह एक स्वयं ठीक होने वाली बीमारी है तथा इससे मृत्यु नहीं होती है अगर इसका सही उपचार नहीं हुआ तो यह बुखार (1) डेंगू हेमोरेजिक फीवर, (2) डेंगू शॉक सिंड्रोम में बदल जाता है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। इसलिए यह पहचानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि बीमारी का स्तर का क्या है। जब यह बीमारी गंभीर हो जाता है, तो मरीज में विभिन्न जगहों से खून बहने लगता है | इसका इलाज, अस्पताल में तुरंत होना चाहिये|
लक्षण
डेंगू बुखार के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि बुखार किस प्रकार है। डेंगू का एक से अधिक लक्षण होता है। अगर आपको नीचे लिखे हुये लक्षण में से कुछ भी है, जो साधारण दवा से ठीक नहीं हो रहा है, तो डाक्टर से दिखलाने जायें। सामान्यत: डेंगू बुखार के लक्षण कुछ ऐसे होते हैं:
- डेंगू बुखार होने पर रोगी को अचानक बिना खांसी व जुकाम के तथा ठंड व कपकंपी के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना। रोगी को हर समय बुखार 103 से 105 डिग्री तक बना रहता है। डेंगू बुखार दो से चार दिनों तक रहता है। दवा उपचार पर भी कम न होना ।
- रोगी के सिर के अगले हिस्से में तेज दर्द होता है, आंख के पिछले भाग में दर्द होता है, कमर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।
- अत्यधिक कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी तथा जी मितलाना।
- मुँह का स्वाद खराब होना, उल्टी-दस्त की शिकायत होना।
- गले में हल्का सा दर्द होना, हल्की खाँसी व गले में खराश होना।
- ब्लड प्रेशर का सामान्य से बहुत कम हो जाना।
- रोगी बेहद दुःखी व बीमार महसूस करता है। रोशनी से चिड़चिड़ाहट होना
- शरीर पर लाल ददोरे (रैश / रैशेज़) का होना शरीर पर लाल-गुलाबी ददोरे निकल सकते हैं। चेहरे, गर्दन तथा छाती पर विसरित दानों की तरह के ददोरे हो सकते हैं। बाद में ये ददोरे और भी स्पष्ट हो जाते हैं। हाथ पैर में चकत्ते होना, विशेषकर दबे भागों में, खून बहना या खून के चकत्ते होना, शरीर के उभरे चकत्तों से खून रिसता है। शरीर पर दाने इस बुखार में दो बार भी दिखाई दे सकते हैं। पहली बार शुरू के दो - तीन दिनों में और दूसरी बार छठे या सातवें दिन। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है। यह बुखार बच्चों व बड़ी आयु के लोगों में ज्यादा खतरनाक होता है।
- एक सप्ताह तक रोगी को पसीना, दस्त, नकसीर (नाक से खून आना) आने लगती है। अगर यह बुखार ज्यादा बढ़ जाता है तो रोगी के कान में दर्द और सूजन तथा फेफड़ों में सूजन आ जाती है।
- गंभीर रोगियों में पहले केवल वमन फिर ताजा रक्त या कॉफी के रंग का वमन होता है । मल भी गहरा भूरा या काला होता है । साथ-साथ मसूड़ों से अथवा आंतों से रक्तस्त्राव का होना अथवा खून में ब्लउप्लेट का कम होना लक्षण पाये जायें तो यह गंभीर प्रकार का डेंगू बुखार हो सकता हैं जो घातक हो सकता हैं । इसमें तत्काल अस्पताल में इलाज लेना चाहिए ।
- हीमोरैजिक रक्तस्राव के समय के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं- लगातार पेट में तेज दर्द रहना, त्वचा ठंड़ी, पीली व चिपचिपी होना, रोगी के चेहरे और हाथ-पैरों पर लाल दाने हो जाते हैं। हीमोरैजिक डेंगू होने पर शरीर के अन्दरूनी अंगों से खून आने लगता है। नाक, मुंह व मल के रास्ते खून आता है जिससे कई बार रोगी बेहोश हो जाता है। खून के बिना या खून के साथ बार-बार उल्टी, नींद के साथ व्याकुलता, लगातार चिल्लाना, अधिक प्यास का लगना या मुंह का बार-बार सूखना आदि लक्षण पैदा हो जाते हैं। हीमोरैजिक डेंगू अधिक खतरनाक होता हैं और डेंगू बुखार साधारण बुखार से काफी मिलता-जुलता होता है।
उपचार
यदि रोगी को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका उपचार व देखभाल घर पर भी की जा सकती है तथा यह बीमारी स्वयं ही एक से दो हफ्तों में ठीक हो जाती है। चूँकि यह स्वयं ठीक होने वाला रोग है इसलिए केवल लाक्षणिक उपचार ही चाहिए। डेंगू का शंका होने पर, अपने डाक्टर को दिखलायें। कुछ दवा इस प्रकार से है -
- खूब सारा आराम करें
- अधिक पानी पियें, मुख्य रूप से तरल न देने पर शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
- बुखार के लिये पेरासिटामोल (paracetamol) या एसिटाअमिनोफेन (acetaminophen) ले सकते हैं।
- रोगी को सेलिसिलेट, डिस्प्रीन, एस्प्रीन (aspirin) या गैरस्टेराइड दवाएं कभी ना दें। यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे की खून की बीमारी।
- यदि बुखार 102 डिग्री फा. से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए हाइड्रोथेरेपी ( जल चिकित्सा ) करें।
- सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें। बुखार की स्थिति में शरीर को अधिक भोजन की आवश्यकता होती है।
संदेहास्पद रोगियों रक्त परीक्षा करने पर प्लेटलेट की कम सख्या पायी जाती है । हिमोग्लोबिन सामान्य हो सकता है । रक्त का ब्लीडिंग और क्लॉटिंग समय लंबा हो सकता है । डेंगू का सही निदान रक्त परीक्षा में वायरल एंटीजन की उपस्थिति से होता है । डेंगू की सहायात्मक चिकित्सा की जाती है । इस वायरस का कोई ईलाज नहीं है । नष्ट हुए प्लेटलेट की पूर्ति के लिए प्लेटलेट का ट्रान्सफ्यूजन, रक्त और बड़ी मात्रा में अन्तशिरा द्वारा द्रव दिया जाता है । मलेरिया और अन्य इन्फेक्शन की रोकथाम के लिए अतिरिक्त एंटीबायोटिक दिया जाता है । यह निवारणोपचार होता है और हमेशा इसकी आवश्यकता नहीं होती ।
डेंगू की जांच हेतु रक्त के नमूने राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान, दिल्ली तथा राष्ट्रीय विषाणु रोग संस्थान पूणें भेजे जाते हैं, वहीं उनकी जांच होती हैं । आजकल जांच हेतु रेपिड डाइग्नोस्टिक किट भी उपलब्ध हो रहे हैं । बुखार होने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क किया जाना चाहियें । डेंगू बुखर एक वायरस की वजह से होता हैं एव वायरस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं निकलता हैं, न ही इस बीमारी के अभी तक टीके इंजाद हुए हैं, इस लिए मरीज में बीमारी के जो-जो लक्षण दिखाई देते है, उसी अनुसार मरीज को उपचार किया जाता हैं । सामान्यत: 80 से 90 प्रतिशत मरीज 5 से 7 दिनों में स्वस्थ हो जाते हैं । यदि हेमोरेजिक डेंगू फीवर होता है तो वह घातक हो सकता हैं । इसके एक बार से ज्यादा होने की संभावना रहती है अत: सावधानी बरते ।
लक्ष्य
अगर आप डेंगू के मरीज़ है, तो आप को दो लक्ष्य होना चाहिये। पहला कि आप जल्द से जल्द स्वस्थ हो सकें और दूसरा कि आप दूसरों को यह बीमारी न फैलायें। अपने लिये डाक्टर द्वारा बताये गये इलाज का पालन करें। दूसरों को यह बीमारी न फैलाने के लिये आप कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं - मच्छर द्वारा काटने से बचने का हर उपाय करें हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें मच्छर मारनेवाला दवा का प्रयोग करें
बचाव
डेंगू से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों की आबादी पर काबू करना है। इसके लिए या लार्वा पर नियंत्रण करें या वयस्क मच्छरों की आबादी पर। मच्छर एक छोटा से जीव है परन्तु यह मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियां फैला सकता है । मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में पनपता है इसके विपरीत डेंगू के मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते हैं, डेंगू से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है मच्छरों से बचना जिनसे कि डेंगू का वायरस फैलता है। मच्छर पानी में अंडा देकर, और मच्छर फैलाते हैं। यह जीवनचक्र करीब 1 हफ्ते में पूरा होता है। इसका मतलब है कि, अगर कोई रोकने का उपाय न किया गया तो हर हफ्ता, मच्छर का तादाद दौगुना होगा। इससे मच्छर से फैलने वाले बीमारी भी अधिक होंगे। तो डेंगू को रोकने के लिये आपको अपने घर और मोहल्ले में मच्छर को कम करना होगा। ये मच्छर आपके घर के अंदर और आस-पास जमा हुये पानी में पैदा होते हैं । मच्छरों के पैदा होने से रोकने के लिये ऐसे क्षेत्र जहां डेंगू फैल रहा है, वहां पानी को जमा ना होने दें। अपने घर के अंदर और आस-पास कहीं पानी को जमा न होने दें । आस-पास के गङ्ढों, सड़कों को जहां पानी जमा हो सकता है भर दें । कचरे, अनुपयोगी सामानों को हटा दें अथवा नष्ट करे दें । एयर कूलर, ड्रम, फूलदान, पौधों के गमलों, पक्षियों के नहाने के स्थान हर सप्ताह खाली करके सुखाएं । कुएं, तालाबों, पानी के बड़े पूल में मच्छरों का लार्वा खाने वाले गमबूशिया मछली छोड़ें। बरसात में या ऐसे क्षेत्रों में जहां मच्छर हों वहां मच्छरों से बचने का हर संभव प्रयास करें। आप जिस क्षेत्र में रह रहे हैं वहां मच्छर अधिक हैं तो मास्कीटो रिपेलेंट का प्रयोग ज़रूर करें। अपने घर, बच्चों के स्कूल और आफिस की साफ सफाई पर भी नज़र रखें। नाली को बहता रहना चाहिये। डेंगू का मच्छर दिन के समय ही काटता है इसलिए दिन में अपने आपको मच्छरों से बचाएँ। बरसात के समय फुल बाहों वाली शर्ट और जूते जरूर पहनें। मच्छरों के काटने से बचने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं, जैसे सफेद या हल्के रंगा का पूरे बांह वाले कपडे़ पहने, जिससे कि आप अपने शरीर को पूरे तरह से ढक सकें, सोते समय जहां अधिक मच्छर है, वहां रात को कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करें। कभी-कभार मच्छर मारने वाले दवा उन जगहों पर मच्छर पर असर नहीं करता है, नीम की पत्ती का धुंआ घर में कर सकते हैं, खिड़की और दरवाजे में जाली लगा कर रखना चाहिये। दोपहर के बाद, खिड़की और दरवाजे को बंद रखें, कि मच्छर का आना-जाना कम हो। कोई भी बरतन में खुले में पानी न जमने दें। बतरन को खाली करके रखें या उलट कर रखें। अगर आप किसी बरतन, बाल्टी, ड्रम, इत्यादि में पानी जमा करके रखते हैं, तो उसे ढक कर रखें। अगर किसी चीज में पानी रखते हैं, तो उसे साबुन और पानी से धो लिया करें, कि उस में से मच्छर का अंडा को हटाया जा सके। अपने मोहल्ले के लोगों को भी मच्छर को फैलने से रोकने के लिये प्रोतसाहित करें। अपने नगर निगम द्वारा मच्छर मारने वाला दवा छिड़कायें। बरसात के मौसम में और चौकसी बरतें।
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के घरों में आजकल पानी का संचय करने की प्रवृति होने से अकसर सभी व्यक्ति घरों में पानी कंटेनर में 5-7 दिन से ज्यादा रखने लगे हैं । ये कंटेनर हैं - सीमेंट की टंकी, प्लास्टिक की टंकी, पानी का हौद, नांद मटका, घरों में रखे हुऐ फूलदान, जिसमें अकसर पानी प्लांट लगाते हैं, पशुओं के पानी पीने के स्थान, टायर, टूटे, फूटे सामान, जिनमें बारिश का पानी जमा होता रहता है में एड़ीज मच्छर पैदा होते हैं । अकसर यह देखते हैं कि ये कंटेनर ढंके हुए नहीं रहते हैं, जिससे इनमें मच्छर पैदा होते रहते हैं, यदि हम इन कंटेनर में भरे हुए पानी को गौर से देखें तो इनमें कुछ कीड़े लार्वा ऊपर नीचे चलते हुए दिखाई देते हैं, ये ही कीड़े मच्छर बनते हैं । अब हमें ज्ञात हैं कि कीड़ों से मच्छर बनते हैं और मच्छर से डेंगू बीमारी फैलती है तो इन कीड़ो का नाश करना बहुत जरूरी हैं । हम जानते हैं कि लार्वा पानी में रहते हैं, इसलिये इन सभी कंटेनर में से प्रत्येक सप्ताह में एक बार पानी निकाल देना चाहिए और साफ करके फिर से पानी भरना चाहिए । इन सभी कंटेनर को इस प्रकार से ढंककर रखना चाहिए कि इनमें मच्छर प्रवेश नहीं कर सकें और अण्डे नहीं दे सकें । ये कीड़े स्पष्ट दिखाई देते हैं , इसलिए इन्हें चाय की छन्नी से भी निकाला जा सकता है । ये कीड़े पानी से बाहर निकलाने के बाद स्वत: मर जाते हैं । इस प्रकार का अभियान अपने घर में चलाकर मच्छरों की उत्पत्ति रोकना हैं । केरोसिन में मिलाकर छिड़कने से मच्छर नष्ट होते हैं, जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध हैं ।
|
|
|
|
|