कुण्डलिनी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 14: Line 14:
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=5788 कुण्डलिनी शक्ति]
*[http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=5788 कुण्डलिनी शक्ति]
*[http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=5802 कुण्डलिनी शक्ति का जागरण]
*[http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=5907 प्राणायाम और कुण्डलिनी]
*[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/yoga/article/0907/23/1090723023_1.htm कुंडलिनी योग का अभ्यास]





Revision as of 19:33, 24 December 2010

कुण्डलिनी शक्ति

कुण्डलिनी|thumb|250px कुण्डलिनी शरीर के अंदर मौजूद एक ऊर्जा शक्ति है, जिसे दिव्य शक्ति भी कहा जाता है। कुंडलिनी शक्ति समस्त ब्रह्मांड में परिव्याप्त सार्वभौमिक शक्ति है, कुंडलिनी शक्ति प्रत्येक जड़-चेतन सभी में अपने-अपने रूप व गुणानुरूप अधिक या कम मात्रा में विद्यमान रहती है। शरीर में मौजूद यह कुण्डलिनी शक्ति (ऊर्जा शक्ति) सुप्तावस्था (सोई हुई अवस्था) में अनंतकाल से विद्यमान रहती है। प्रकृति की यह महान ऊर्जा विद्युत शक्ति से कई गुना अधिक शक्तिमान है। यह शक्ति बिना किसी भेदभाव के संसार के सभी मनुष्य में जन्मजात पायी जाती है। मनुष्य में यह सब प्राणियों की अपेक्षा अधिक जाग्रत होती है। मनुष्य में यह पूर्ण रूप से जागती है तो उसका परमात्मा से एकाकार हो जाता है। ऐसे में उसका मन और अहंकार शेष नहीं रहता है, सबकुछ ईश्वर के प्रकाश से ज्योतिर्मय हो जाता है और अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं। कुण्डलिनी शक्ति दिखाई नहीं देती फिर भी ज्ञानी व योगियों ने इसकी कल्पना सर्पाकार में की है। इसे हठयोग के ग्रंथों में भुजंगिनी भी कहा गया है। कुण्डलिनी शक्ति प्रतीक रूप से साढ़े तीन कुंडल लगाए सर्प जो मूलाधार चक्र में सो रहा है के माध्यम से अभिव्यक्त किया जाता है। तीन कुंडल प्रकृति के तीन गुणों के परिचायक हैं। ये हैं सत्व (परिशुद्धता), रजस (क्रियाशीतता और वासना) तथा तमस (जड़ता और अंधकार)। अर्द्ध कुंडल इन गुणों के प्रभाव (विकृति) का परिचायक है। जिन महापुरूषों में आप दिव्य या अलौकिक शक्ति देखते हैं उसमें जो ऊर्जा शक्ति दिखाई देती है, वह उसी के अंदर मौजूद कुण्डलिनी (ऊर्जा शक्ति) होती है। जो पहले सोई हुई होती है और योग आदि के अभ्यास से जागृत हो जाती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ