तिलक (हिन्दू धर्म): Difference between revisions
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धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या भी तिलक कही जाती है, क्योंकि पूर्व काल के पत्राकार हस्तलेखों में, मूल ग्रंथ मध्य भाग में और उसकी व्याख्या मस्तकतुल्य ऊपरी हाशिये पर लिखी जाती थी। मस्तक के तिलक की समानता से ऐसे व्याख्यालेख को भी तिलक या टीका कहने की रीति चल पड़ी। | धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या भी तिलक कही जाती है, क्योंकि पूर्व काल के पत्राकार हस्तलेखों में, मूल ग्रंथ मध्य भाग में और उसकी व्याख्या मस्तकतुल्य ऊपरी हाशिये पर लिखी जाती थी। मस्तक के तिलक की समानता से ऐसे व्याख्यालेख को भी तिलक या टीका कहने की रीति चल पड़ी। | ||
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Revision as of 12:27, 10 January 2011
- धर्मिक एवं शोभाकर चिह्न, जिसे पुरुष और स्त्रियाँ सभी अपने ललाट पर धारण करते हैं।
- राज्यारोपण, यात्रा, प्रस्थान तथा अन्य मांगलिक अवसरों पर भी तिलक धारण किया जाता है।
- तिलक चन्दन, कस्तूरी, रोली आदि कई पदार्थों से किया जाता है।
- भारत में प्राचीन काल से ही मस्तक पर तिलक लगाने की परम्परा है।
- धार्मिक ग्रंथों में व्याख्या
धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या भी तिलक कही जाती है, क्योंकि पूर्व काल के पत्राकार हस्तलेखों में, मूल ग्रंथ मध्य भाग में और उसकी व्याख्या मस्तकतुल्य ऊपरी हाशिये पर लिखी जाती थी। मस्तक के तिलक की समानता से ऐसे व्याख्यालेख को भी तिलक या टीका कहने की रीति चल पड़ी।
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